सांसों के संकट में ज़ज्बे की कहानी, जैसलमेर के डॉ सलीम जावेद बने मिसाल

फोकस भारत। रमजान का पवित्र महीना प्रत्येक मुसलमान के लिए खास होता है। रहमतों और बरकतों के इस महीने में खुदा की इबादत में हजारों शीश अपनी मन्नते पूरी करने के लिए झुकते है। लेकिन रमजान के इस पवित्र महीने में राजस्थान के  जैसलमेर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में तैनात मुख्य सलाहकार के पद पर डॉ सलीम जावेद कोरोना महामारी में अपने धर्म के साथ मानव धर्म भी निभा रहे है। कोरोना महामारी में डॉ सलीम जावेद के कंधों पर दोहरी जिम्मेदारी है वो बिना थके व बिना रुके बड़ी सादगी के साथ इन्हें निभाते भी है। साथ ही वे अभी इतने व्यस्त हैं की नमाज़ भी ऑफिस मे ही पढ़ते हैं।

ज़ज्बे को सलाम

इस समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर तेजी से पाव पसार रही है इनके पास जैसलमेर जिले के शहर सहित लम्बे क्षेत्र में फैले ग्रामीण क्षेत्रो के चिकित्सा विभाग से जुड़े कार्यो की मॉनिटरिंग के साथ अन्य कार्य करनें की जिम्मेदारी रहती है। आज हम आपको एक ऐसी शख्शियत से रूबरू करवा रहे हैं जो इस कोरोना काल में रोज़ा भी रख रहे हैं और साथ ही लोगों की सेवा भी कर रहे हैं। जैसलमेर के सीएमएचओ कार्यालय में कार्यरत डॉ सलीम जावेद रमजान के महीने में रोजे भी रखते है और साथ ही अपनी ड्यूटी भी बड़ी मुस्तैदी से कर रहे हैं। अलसवेरे 4 बजे उठकर वे रोज़ा रखते हैं और फिर उसके बाद पूरे दिन भूखे पेट इस अप्रैल माह की इस तन को झुलसाने वाली गर्मी में दिनभर कार्यो को बखूबी रूप से अंजाम भी देते हैं। इनके बुलंद हौसले को देखकर इनकी ऑफिस के स्टाफ के साथ साथ जैसलमेर के मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी कमलेश चौधरी भी इनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं और इनके जज्बे को सलाम करते हैं।

ऑफिस में ही अपनी नमाज़ अदा

कोरोना का संकट चल रहा जिसमें चिकित्सा विभाग में मुख्य सलाकार के पद पर सेवा देकर रोजा रखकर अपने धर्म पर अडिग रहकर शाम की नमाज अदा करके रोजा छोड़ना अल्लाह की बड़ी मेहरबानी से कम नहीं है, जावेद अपने काम में इतने व्यस्त रहते हैं लेकिन फिर भी वे इस पाक महीने में नमाज़ पढ्न नहीं भूलते। घर जाकर नमाज़ पढ़ना और फिर वापस आने में समय और कारी न खराब हो इसलिए चलते काम में वे ऑफिस में ही अपनी नमाज़ अदा कर देते हैं। ऑफिस वाले भी उनके इस जज्बे को देखकर बहुत खुश होते हैं और जावेद की तारीफ करते नहीं थकते हैं।

 

हालांकि डॉक्टर जावेद अपने कर्म और धर्म को दोनों को मिलाकर चलते हैं और दोनों पर ही एक दूसरे का कोई असर नहीं आने देते हैं । डॉ सलीम जावेद कहते हैं की “मनुष्य को धर्म भी जरूरी और कर्म भी जरूरी है | वर्तमान हमारा पवित्र रमजान का माह चल रहा है मैं मुस्लिम कौम से हूँ रोजा रखना भी मेरा धर्म बनता है और कोरोना जैसे खतरनाक संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हो रखी तो बखूबी से सेवा देना भी पहला कर्म है | डॉ सलीम जावेद अल सुबह की नमाज अदा करने के बाद से मूँह में पानी की बूंद भी नहीं लेकर दिनभर तेज गर्मी में शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में रेंड़म सैम्पल, कोरोना पोजिटिव की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री सहित तमाम चिकित्सा विभाग के कोरोना रोकथाम के मुख्य कार्य भी करके शाम को नमाज अदा करके रोजा खोलते हैं। तब तक वे पूरे दिन भूखे प्यासे केवल कोरोना के कार्यों को अंजाम देते हुए नज़र आते हैं। और वे इसे अपना फर्ज़ समझते हैं।