‘प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया’: प्लास्टिक से भारत बन रही हैं सड़कें

फोकस भारत। dr rajagopalan vasudevan plastic man in india-  भारत में  सड़क पर रोज़ाना अनगिनत कारें, कई टन प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों के ढक्कनों और इधर-उधर यूं ही फेंक दिया जाता है।  लेकिन एक सड़क ऐसी भी है  जो कचरे से बनी है। जी हां ये   सड़क नई दिल्ली से मेरठ तक जाती है, सड़क जिस तकनीक पर बनी है,उसे त्यागराजार कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के केमिस्ट्री के प्रोफे़सर राजगोपालन वासुदेवन (dr rajagopalan vasudevan) ने विकसित किया है। जिन्हें  प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता है। दरअसल इस तकनीक से सड़क बनाते वक्त नब्बे फ़ीसदी कोलतार में दस फीसदी दोबारा इस्तेमाल होने वाला प्लास्टिक कचरा मिलाया जाता है।

‘प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया’

मदुरई में केमिस्ट्री के प्रॉफेसर राजगोपालन वासुदेवन डामर के बदले प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर रोड बनवाते हैं। प्लास्टिक मैन ऑफ इंडिया(plastic man in india) के नाम से मशहूर प्रोफेसर राजगोपालन वासुदेवन अपने इनोवेशन से प्लास्टिक के कचरे से रोड बना रहे हैं। इस इनोवेशन के लिए उन्हें 10 साल कड़ी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने सबसे पहले 2002 में अपनी तकनीक से थिएगराजार कॉलेज के परिसर में प्लास्टिक कचरे से रोड का निर्माण कराया, इसके बावजूद उन्हें अपनी तकनीक को मान्यता दिलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अंतत: 2004 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री स्व. जयललिता को अपना प्रोजेक्ट दिखाने के बाद उन्हें कामयाबी मिली थी। कई देशी-विदेशी कंपनियों ने राजगोपालन वासुदेवन को पेटेंट खरीदने का ऑफर दिया। लेकिन पैसों का मोह छोड़ उन्होंने भारत सरकार को यह टेक्नोलॉजी मुफ्त में दी। उनकी इस तकनीक से अबतक हजारों किमी. से अधिक पक्की सड़कें बन चुकी हैं। उनके इनोवेशन से जहां एक तरफ कम खर्च में मजबूत सड़क का निर्माण हो रहा है वहीं पर्यावरण के लिए सबसे खतरनाक माने जाने वाले प्लास्टिक का सदुपयोग भी हो रहा है।