जस्टिस एनवी रमन्ना का पत्रकार से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने का दिलचस्प सफर, जानिए

फोकस भारत। जस्टिस नाथुलापति वेंकट रमन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायधीश के रूप में शनिवार को शपथ ली। दरअसल एनवी रमन्ना देश के 48वें मुख्य न्यायधीश बने है। उनसे पहले मुख्य न्यायधीश रहे जस्टिस एसए बोबड़े का कार्यकाल शनिवार को पूरा हो गया था।

 

पत्रकार से सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनने का दिलचस्प सफर

जस्टिस रमन्ना 65 साल की उम्र होने तक, 26 अगस्त 2022 तक सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश के रूप में काम करेंगे।  जस्टिस रमन्ना का जन्म 27 अगस्त 1957 को अविभाजित आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम के एक किसान परिवार में हुआ था, 1970 से 1980 तक दो साल तक उन्होंने एनाडु समाचारपत्र के लिए राजनीति और कानून मामलों के पत्रकार के तौर पर काम किया। 10 फ़रवरी 1983 में उन्होंने वकालत का काम शुरू किया, जिसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट, आंध्र प्रदेश प्रशासनिक ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की। 17 फ़रवरी 2014 से वो सुप्रीम कोर्ट के उप-न्यायाधीश के रूप में नियुक्त रहे।

मुख्यमंत्री के साथ विवाद?

जानकारी के मुताबिक अक्‍टूबर 2020 में आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने जस्टिस रमन्‍ना और उनके परिवार पर भ्रष्‍टाचार के आरोप भी लगाए थे, सीएम रेड्डी ने सीजेआई बोबड़े को चिट्ठी लिखी थी, उन्‍होंने कहा था कि रमन्‍ना और उनके कुछ रिश्‍तेदार अमरावती में जमीन की खरीद में हुए भ्रष्‍टाचार में शामिल हैं, रेड्डी ने यहां तक कहा था कि जस्टिस रमन्‍ना आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में सुनवाई और फैसलों को प्रभावित कर उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिशें कर रहे हैं, रेड्डी ने सीजेआई से इस पूरे मसले की जांच की अपील की थी।

पूर्व जस्टिस चेलमेश्वर के साथ विवाद?

मार्च 2017 में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस चेलमेश्वर ने एक पत्र लिख कर कहा था कि जस्टिस एनवी रमन्ना और एन चंद्रबाबू नायडू के बीच अच्छे रिश्ते हैं, उन्होंने कहा था, “ये न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच ग़ैर-ज़रूरी नज़दीकी का सबसे बड़ा उदाहरण हैं”। अपने पत्र में उन्होंने लिखा था कि अविभाजित आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के बारे में एनवी रमन्ना की रिपोर्ट और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की टिप्पणी में समानताएं थीं।