- गहलोत सरकार जाएगी तनोट माता मंदिर की शरण ?
- आज का कार्यक्रम रद्द करना महंगा तो नहीं पड़ेगा
Tanot Mata Mandir Jaisalmer क्या तनोट माता मंदिर जाने का कार्यक्रम रद्द करके गहलोत खेमे के विधायकों ने उस देवी (Tanot Mata Mandir Jaisalmer) को नाराज कर दिया है जिसके आगे पाकिस्तान भी पस्त हो गया था। जी हां, बात कर रहे हैं जैसलमेर की प्रसिद्ध और पूज्य देवी तनोट माता की। पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित इस मंदिर में पूजा आराधना भारतीय सेना के जवान करते हैं। जवानों का विश्वास है कि तनोट माता दुश्मन के हमले से रक्षा करती है।
बुधवार को जैसलमेर के सूर्यागढ रूके गहलोत खेमे के विधायकों ने दोपहर 3 बजे बसों से तनोट माती के दर्शन करने जाने का प्लान बनाया था। लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विधायकों की बैठक लेनी थी, लिहाजा तनोट माता के दर्शनों का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। क्या देवी के दर्शन की इच्छा को कैंसिल करना गहलोत सरकार के लिए भारी पड़ जाएगा। सवाल इसलिए है क्योंकि थार में तनोट देवी की कृपा को लोग मानते आए हैं, और उनके चमत्कार की कहानियां सीमा पार भी कही सुनी जाती हैं।
क्या है तनोट माता की कहानी ?
तनोट माता मंदिर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर बियाबान रेगिस्तान में है। तनोट माता भारतीय सीमा सुरक्षा बल की आराध्य देवी हैं। बड़ी बात ये है कि मंदिर में पुजारी भी भारतीय जवान ही हैं। मंदिर में पूजा आराधना और तमाम देखरेख का काम बीएसएफ के जवान ही करते हैं। भारतीय सेना की मान्यता है कि 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान की सेना भारतीय इलाके में 4 किलोमीटर तक अंदर घुस आई थी। लेकिन तनोट माता मंदिर इलाके को दुश्मन पार नहीं कर पाया। भारतीय सेना ने दुश्मन सेना को रोक लिया। मंदिर इलाके में पाकिस्तान के टैंकों ने तकरीबन 3 हजार बम गिराए।
लेकिन मंदिर को कोई नुकसान नहीं हुआ, सभी बम बेअसर हो गए। मंदिर परिसर में आज भी करीब पांच सौ बमों को रखा गया है, जिन्हें देखकर मंदिर आने वाले आस्थावानों का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है और माता के लिए उनकी भावना और प्रबल हो जाती है। कहा जाता है कि माता का यह चमत्कार देखकर पाकिस्तान का ब्रिगेडियर शाहनवाज भी हैरान रह गया था। इसके बाद शाहनवाज ने भारत सरकार से एक परमीशन मांगी, उसे माता के दर्शन करने थे, ढाई साल बाद उसकी मुराद पूरी हो सकी और उसने माता के दरबार में चांदी का छत्र चढ़ाया।
उस युद्ध और तनोट माता के चमत्कार को फिल्म बॉर्डर में भी दिखाया गया था, साथ ही उस युद्ध पर विजय की स्मृति में यहां एक विजय स्तंभ बनाया गया है जो भारतीय वीरों की वीरता को यदा दिलाता है।
क्या गहलोत सरकार की रक्षा करेगी तनोट माता ?
तनोट माता ने पाकिस्तान की आर्मी से भारत की जमीन की हिफाजत की, दुश्मनों के गोले मंदिर परिसर में बेअसर हो गए, यानी युद्ध के हालात में तनोट माता ने अपना चमत्कार खूब दिखाया। वर्तमान राजनीतिक संकट भी गहलोत सरकार के लिए किसी युद्ध के हालात से कम नहीं। पूरी सरकार स्वर्णनगरी के दो होटलों में कैद है। सरकार बचाने के सारे गणित, समीकरण और सूत्र लगाए जा रहे हैं। लेकिन तय रूप से कहा नहीं जा सकता कि सरकार गिरेगी या बचेगी। ऐसे में गहलोत के दुश्मन खेमे से गिरने वाले हालात के इस बमों से क्या तनोट माता गहलोत सरकार को बचा पाएगी, ये सवाल मायने रखता है। वैसे तनोट माता के दर्शनों का प्रोग्राम बनाकर कैंसिल कर दिया जाना, कहीं माता को नाराज कर बैठने जैसा कदम साबित न हो जाए।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा