भरतपुर राजा मानसिंह हत्याकांड: 35 साल बाद मिला इंसाफ और उसी तारीख पर बना खास संयोग

फोकस भारत। कहते है कि न्याय अपना रास्ता खुद तय करता है । जी हां देर से ही सही आखिर राजस्थान के बहुचर्चित और भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह हत्याकांड में 14 आरोपियों में 11 को दोषी ठहराया गया है। 3 आरोपितों को बरी कर दिया गया है। दोषियों की सजा पर बुधवार को फैसला सुनाया जाएगा। मथुरा पुलिस ने दोषी पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है।एक आरोपी पहले ही बरी हो चुका है जबकि तीन की मौत हो चुकी है। दरअसल 35 साल पुराने इस मुकदमे की सुनवाई के लिए राजा मानसिंह की बेटी दीपा सिंह, उनके पति विजय सिंह आदि स्वजन मथुरा कोर्ट पहुंच गए थे।  ये संयोग है कि 21 फरवरी, 1985 को राजा मान सिंह की पुलिस मुठभेड़ में मृत्यु हुई थी। और मंगलवार को फैसला सुनाया गया  यह भी 21 तारीख है। अंतर सिर्फ इतना है, वह फरवरी माह था, जबकि यह जुलाई माह है।

 

क्या था मामला

भरतपुर रियासत के राजा मानसिंह और दो अन्य लोगों की 21 फरवरी 1985 को पुलिस से आमने सामने की गोलीबारी में मौत हो गई थी। , राजा मानसिंह के दामाद विजय सिंह ने पुलिसकर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था, राज्य सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी, जयपुर सीबीआई कोर्ट में 18 पुलिसकर्मियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। घटना 21 फरवरी 1985 की है। उस वक्त राजस्थान में चुनावी माहौल था। डीग विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार राजा मान सिंह अपनी जोगा जीप लेकर चुनाव प्रचार के लिए लाल कुंडा के चुनाव कार्यालय से डीग थाने के सामने से निकले थे। पुलिस ने उन्हें घेर लिया था। ताबड़तोड़ फायरिंग होने लगी थी। घटना में राजा मान सिंह, उनके साथ सुम्मेर सिंह और हरी सिंह की मौत हो गई थी। उनके शव जोगा जीप में मिले थे।

लगातार 7 बार निर्दलीय विधायक चुने गए

भरतपुर रियासत के महाराज किशन सिंह के घर राजा मान सिंह का जन्म पांच दिसंबर, 1921 को हुआ था। इंग्लैंड में वर्ष 1928 से 1942 तक इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। दीपा उर्फ कृष्णेंद्र कौर उनकी तीन बेटियों में सबसे बड़ी हैं। 1946-1947 भरतपुर रियासत के मंत्री रहे थे। वर्ष 1947 में उन्होंने रियासत का झंडा उतारने का विरोध किया। 1952 में विधान सभा का पहला निर्दलीय चुनाव जीता। इसके बाद लगातार वह सात बार निर्दलीय विधायक चुने गए।

 

राजा मानसिंह पर लगे थे ये आरोप

23 फरवरी को दामाद विजय सिंह सिरोही ने डीग थाने में राजा मान सिंह और दो अन्य की हत्या का मामला दर्ज कराया। इसमें सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह समेत कई पुलिसकर्मी आरोपी थे। बचाव पक्ष के अधिवक्ता नंद किशोर उपमन्यु ने बताया कि तीन-चार दिन में यह मामला सीबीआई के सुपुर्द  कर दिया गया। सीबीआई ने हत्या से पूर्व दर्ज हुए मुकदमों में एफआर लाग दी। हत्या का मामला जयपुर की सीबीआई की विशेष अदालत में चला। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मुकदमा वर्ष 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरित हो गया। गौरतलब रहे कि हत्याकांड से एक दिन पहले 20 फरवरी 1985 की घटना है  तब तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डीग में राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए जनसभा करने आए थे। राजा मान सिंह डीग विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे थे। जबकि उनके सामने कांग्रेस के ब्रजेंद्र सिंह प्रत्याशी थे। आरोप है कि कांग्रेस समर्थकों ने राजा मान सिंह के डीग स्थित किले पर लगा उनका झंडा उतारकर कांग्रेस का झंडा लगा दिया था। ये बात राजा मान सिंह को नागवार गुजरी। पुलिस एफआइआर के मुताबिक, राजा ने चौड़ा सभा मंच को जोगा जीप की टक्कर से तोड़ दिया था, इसके बाद सीएम के हेलीकॉप्टर को जोगा से टक्कर मारकर क्षतिग्रस्त कर दिया था।

 

ये बनाए गए थे आरोपी

डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, चालक महेंद्र सिंह, कांस्टेबल नेकीराम, सुखराम, कुलदीप सिंह, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी, एसआइ रवि शेखर, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, एएसआइ सीताराम।

ये दोषी करार

डिप्टी एसपी कान सिंह भाटी, एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह, सुखराम, आरएसी के हेड कांस्टेबल जीवाराम, भंवर सिंह, कांस्टेबल हरी सिंह, शेर सिंह, छत्तर सिंह, पदमाराम, जगमोहन, एसआइ रवि शेखर। इन सभी को धारा 148, 149, 302 के तहत दोषी करार दिया गया हैैै। सभी को कस्‍टडी में लिया गया है। सजा अब बुधवार को सुनाई जाएगी।

ये बरी 

पुलिस लाइन के हेड कांस्टेबल हरी किशन, कांस्टेबल गोविन्द प्रसाद, इंस्‍पेक्‍टर कान सिंह सिरबी। इन तीनों पर जीडी में फेरबदल करने का आरोप साबित नहीं हो पाया, लिहाजा अदालत ने बरी कर दिया।

इन आरोपितों का निधन

कांस्टेबल नेकीराम, कुलदीप और सीताराम। चालक महेंद्र सिंह हो चुके हैं आरोप मुक्त।