कौन थे मदन लाल सैनी, जिनकी सादगी के कायल थे मोदी

फोकस भारत। राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी का निधन हो गया है। मदन लाल सैनी दिल्ली एम्म में भर्ती थे, जहां सोमवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। सूत्रो के मुताबिक मदन लाल सैनी को जब एम्स मे भर्ती कराया तो उन्हें लास्ट स्टेज के कैंसर होने के बारे में मालूम चला। इस जानलेवा बीमाराी  ने उनकी जान ले ली। मदन लाल सैनी राज्यसभा से सांसद थे।


कौन थे मदन लाल सैनी

मदन लाल सैनी का जन्म 13 जुलाई, 1943 को हुआ था। राजस्थान के सीकर जिले की मालियों की ढाणी के रहने वाले करीब 76 वर्षीय सैनी राजनीति में आने से पहले भारतीय मजूदर संघ (भामस) से लंबे समय तक जुड़े रहे थे। सैनी ने राजनीति के लिए सीकर मुख्यालय से सटे माली बहुल झुंझुनूं के उदयपुवाटी विधानसभा (पूर्व में गुढ़ा) को चुना था।
सैनी ने वर्ष 1990 में अपना पहला चुनाव उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से लड़ा था। इसमें वह जीत कर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। उसके बाद वह संगठन में भी सक्रिय हुए और 1991 में एक साल के लिए बीजेपी के झुंझुनूं जिलाध्यक्ष भी रहे। वहीं से संगठन में पदोन्नत होकर प्रदेश मंत्री बने। बाद में ओमप्रकाश माथुर के अध्यक्ष काल में वह प्रदेश महामंत्री रहे।

सादगी थी उनकी पहचान

मदनलाल सैनी अपनी सादगी के लिए जाने जाते थे। प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले वह नियमित रूप से बस से सीकर से जयपुर आते थे। फिर पैदल ही बीजेपी दफ्तर जाते थे। उनकी कार्यशैली और सादगी से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको 2018 में राज्यसभा भिजवाया।जब राजस्‍थान बीजेपी में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भारी जोर-आजमाईश चल रही थी, तब अमित शाह ने सैनी को राजस्थान बीजेपी की कमान सौंपी थी। सैनी की अगुवाई में बीजेपी ने लोकसभा में राज्य की सभी 25 सीटें जीतीं। सैनी ने दो बार लोकसभा चुनाव में भी भाग्य आजमाया था, लेकिन सफल नहीं हो सके थे। सैनी ने वर्ष 1993 में कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे शीशराम ओला के सामने झुंझुनूं लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। उसके बाद सैनी ने साल 1998 में फिर लोकसभा का चुनाव लड़ा और एक बार फिर से जीतने में विफल रहे। सैनी ने 2008 में उदयपुरवाटी से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन सफल नहीं हो पाए। इस दौरान सैनी ने संगठन में अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी।  उनकी पांच बेटियां और एक बेटा है। पुत्र मनोज सैनी पेशे से वकील हैं। वह हाईकोई में वकालत करते हैं।

 

राजनीतिक सफर
मदनलाल सैनी 1952 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक से जुड़े थे। बाद में लगातार संघ के विभिन्न संगठनों में सक्रिय रहे। एबीवीपी के प्रदेश मंत्री भी रहे। वर्ष 1975 तक वकालत के पेशे से जुड़ने बाद आपातकाल के समय सैनी जेल में भी रह।. संघ की ओर से सैनी ने भारतीय मजदूर संघ में प्रदेश महामंत्री व अखिल भारतीय कृषि मजदूर संघ के राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व निभाया था। वर्ष 1990 में झुंझुनूं के उदयपुरवाटी विधानसभा से विधायक रहे और 1991 व 1996 में लोकसभा में बीजेपी के झुंझुनूं से प्रत्याशी रहे। सैनी बीजेपी में प्रदेश महामंत्री व अनुशासन समिति के सदस्य भी रह चुके हैं। वर्तमान में पंडित दीनदयाल उपाध्याय प्रशिक्षण महाअभियान के प्रदेश प्रभारी भी थे। इस दौर में भी मदनलाल सैनी वो नेता थे जो राजस्थान रोडवेज की बस से चला करते थे। वो नेता थे जो चौमू सर्कल से पैदल प्रदेश कार्यालय पहुंचा करते थे। मदनलाल सैनी बेहद साधारण जीवन शैली अपनाने वाले नेताओं में से एक थे। उनकी सादगी और पार्टी के प्रति निष्ठा ने उन्हें अलग पहचान दी।

 

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