Jhalrapatan Assembly Elections 2023: दमदार युवा नेता राजेश गुप्ता

Jhalrapatan Assembly Elections 2023-
‘दमदार युवा’: राजेश गुप्ता ‘करावन’ (Rajesh Gupta Karawan)
 विधानसभा  –  झालरापाटन
जिला- झालावाड़
  पद-  सदस्य, प्रदेश कांग्रेस कमेटी राजस्थान
         सदस्य, राज्यस्तरीय जन अभियोग निराकरण समिति राजस्थान
मजबूत दावेदारी
Rajasthan Assembly Election 2023 –झालावाड़ जिले की झालरापाटन विधानसभा (Jhalrapatan Assembly )से कांग्रेस (Congress)पार्टी के युवा नेता  राजेश गुप्ता (Rajesh Gupta Karawan)की दावेदारी(Davedar) मजबूत नजर आ रही है।  बचपन से लेकर वर्तमान तक के जीवन और उनके कार्यो को बयां किया जाएं तो वह शब्‍द होगा – “सेवा”।  उन्‍होने अपना  जीवन लोगों की, राष्‍ट्र की और गरीबों की सेवा में समर्पित कर दिया है। कई लोगों के लिए दूसरों की सेवा करना एक अलग कार्य होता है जिसके लिए वह लोगों के लिए समर्पण की भावना पैदा करते है और उसे आत्‍मसात् करने की कोशिश करते हैं, लेकिन राजेश गुप्ता  के लिए यह कोई कार्य नहीं है बल्कि उनका मानना है कि उनका जन्‍म ही लोगों और देश की सेवा करने के लिए हुआ है। सेवाभावी  व्यक्तित्व ने क्षेत्र में एक  अलग पहचान अपने दम पर कायम की है। सरल-सहज स्वभाव से क्षेत्र की जनता के दिलों में खास जगह बनाई है। वर्तमान में सरकार की योजनाओं का क्षेत्र की जनता तक फायदा पहुंचाने में एक अहम रोल अदा किया है। जिसका फायदा निश्चित तौर पर आने वाले वक्त में कांग्रेस पार्टी को मिलेगा।   ऐसे में पार्टी इन पर भरोसा जताती है तो मजबूती मिलेगी।
विधानसभा सियासी समीकरण
1977 के चुनाव से शुरुआत करें तो, इस चुनाव में जनता दल के नेता निर्मल कुमार ने अपनी जीत दर्ज की थी। इसके बाद 1980 में फिर से चुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने अनंग कुमार को मैदान में उतारा। अनंग कुमार ने इस सीट पर पहली बार भाजपा की जीत का ध्वज लहराया। 1985 के चुनाव में भाजपा के अनंग कुमार को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने ज्वाला प्रसाद को उम्मीदवारी सौंपी। ज्वाला प्रसाद कांग्रेस को जीत दिलाने में कामयाब भी हुए। 1990 और 1993 के चुनावों में फिर से अनंग कुमार ही भाजपा की तरफ से प्रत्याशी रहे और दोनों ही चुनावों में जीत गए। इसके बाद झालरापाटन की जनता ने इस सीट की सत्ता एक बार फिर कांग्रेस के हाथ में सौंपी। 1998 के चुनाव में मोहनलाल ने अपनी जीत का परचम लहराया, पर कांग्रेस की इस सीट पर यह आखिरी जीत थी। इसके बाद 2003 के चुनाव में  वसुंधरा राजे ने दावेदारी पेश की जबकि कांग्रेस की तरफ से सचिन पायलेट की माँ रमा पायलट मैदान में थीं। फिर भी 27 हज़ार से ज्यादा वोटों से रमा पायलट को हार का सामना करना पड़ा और तब से लेकर 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में जीत हासिल की। 2018 में वसुंधरा की जीत में वोटों में कटौती करने  में मानवेन्द्र जसोल कामयाब जरुर हुए, पर गद्दी हासिल नहीं कर पाए। 2013 में जहां वसुंधरा राजे को कुल मतदान के 63 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे वहीं 2018 में जसोल ने कटौती कर वसुंधरा के हिस्से मात्र 54 प्रतिशत वोट ही जाने दिए। काँग्रेस के राजस्थान प्रभारी रंधावा ने जो संकेत दिए हैं उस हिसाब से नए चेहरों पर दाव खेला जाएगा। राहुल गांधी ने भी राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जितने बयान दिए उनमें यही कहते नज़र आए कि, “छोटे नेताओं की सुनो, उन्हें मौका दो।” इस हिसाब से कांग्रेस किसी स्थानीय उम्मीदवार पर दांव खेल सकती है।