Devliya Kalan Festival 2023- “ग्रामीण पर्यटन” को बढ़ाने के साथ “कला-साहित्य-संस्कृति” के समागम के साथ “देवलिया कलां फेस्टिवल” “ग्राम स्वराज” और “आत्मनिर्भर गांव – आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा” को सार्थक बनाने की दिशा में अजमेर जिले की भिनाय तहसील की देवलिया कलां ग्राम पंचायत में फोकस भारत मीडिया(Focus Bharat) और फोकस फाउंडेशन (Focus Foundation)की ओर से पिछले साल की तरह इस बार भी बड़े स्तर 7 फरवरी (मंगलवार) 2023 को आयोजन किया जा रहा है तथा इस मौके पर महात्मा गांधी- डॉ. एस. एन. सुब्बाराव लाइब्रेरी और म्यूजियम के लिए भूमि पूजन कार्यक्रम रखा गया है,
फोकस भारत की संपादक कविता नरुका (kavita Naruka)ने बताया कि गांव के विकास के साथ गांव का नाम विश्व के मानचित्र पर उकेरने के दृढ़ संकल्प को गति मिल सकें, गौरतलब है कि पिछले साल 25 मार्च को भी बड़े स्तर पर हमारे द्वारा देवलिया कलां फेस्टिवल को हजारों लोगों की मौजूदगी में सफलतापूर्वक आयोजित किया जा चुका है, इस उत्सव का आयोजन हर साल देवलिया कलां ग्राम पंचायत “भाईजी’ गांधीवादी विचारक डॉ. एस. एन. सुब्बाराव(Dr. S N Subbarao Jayanti) की जयंती 7 फरवरी (Dr. S N Subbarao Birthday) को आयोजित किया जाना सुनिश्चित किया गया, भाईजी (Bhaijee) ने जीवनपर्यन्त युवाओं को जागरूक करने की मुहिम चलाई, देश के संस्कार, संस्कृति,अनेकता में एकता का संदेश नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य किया। उनके गीत व विचार प्रेरक संदेश देते रहेंगे।
हर साल 7 फरवरी को होगा आयोजन
कार्यक्रम आयोजक और फोकस भारत की प्रधान संपादक कविता नरुका ने बताया कि ग्राम स्वराज, आत्मनिर्भर गांव और आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ देवलिया कलां फेस्टिवल (Devliya Kalan Festival))के दूसरे संस्करण का आयोजन 7 फरवरी 2023 को किया जा रहा है। राजस्थान के अजमेर जिले की भिनाय तहसील के गांव देवलिया कलां को विश्व के मानचित्र पर अंकित करने की दिशा में ये एक सार्थक प्रयास है। जिसका आयोजन हर साल गांधीवादी विचारक दिवंगत डॉ. एस. एन. सुब्बाराव की जयंती के शुभ अवसर 7 फरवरी को किया जाना निश्चित किया गया है।
‘भाईजी’ का जीवन सफर
एसएन सुब्बाराव का जन्म 7 फरवरी 1929 को बेंगलुरु में हुआ था। वे बचपन से ही महात्मा गांधी से प्रभावित थे। 13 साल की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। सुब्बाराव जीवन भर गांधीवादी मूल्यों के प्रचार में लगे रहे। वे देश-विदेश भर में कैंप लगाकर युवाओं को गांधीवाद और अहिंसा के बारे में बताते थे। उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था। सुब्बाराव जी को लोग भाई जी के नाम से जानते थे। उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में आजादी के आंदोलन में हिस्सेदारी की और जेल गए। महात्मा गांधी के विचारों के प्रभाव में वे जीवन दानी बन गए। उन्होंने सारा जीवन सादगी से बिताया। एक हाफ पेंट सफेद आधी बांहों की कमीज उनकी स्थाई वेशभूषा थी। उन्होंने काफी लोगों को गांधी के विचारों से अवगत कराया और शिक्षित किया।ग्वालियर चंबल संभाल में डॉ एस एन सुब्बाराव साथियों के बीच भाईजी के नाम से प्रसिद्ध थे। डॉ. सुब्बाराव ने ही जौरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, जो अब श्योपुर तक गरीब व जरूरतमंदों से लेकर कुपोषित बच्चों के लिए काम कर रहा है। डॉ. सुब्बाराव का पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित रहा है। डॉ. सुब्बाराव ने 14 अप्रैल 1972 को जौरा के गांधी सेवा आश्रम में 654 डकैतों का आत्म समर्पण कराया था। उस समय समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण एवं उनकी पत्नी प्रभादेवी भी मौजूद रहे थे। 450 डकैतों ने जौरा के आश्रम में जबकि 100 डकैतों ने राजस्थान के धौलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डाले थे। पद्मश्री से सम्मानित डॉ. सुब्बाराव को 1995 में राष्ट्रीय युवा परियोजना को राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, 2003 में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, 2006 में 03 जमानालाल बजाज पुरस्कार, 2014 में कर्नाटक सरकार की ओर से महात्मा गांधी प्रेरणा सेवा पुरस्कार और नागपुर में 2014 में ही राष्ट्रीय सद्भावना एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित डॉ. एसएन सुब्बाराव ने 27 अक्टूबर 2021 को जयपुर में आखिरी सांस ली। वे अपने समय का बेहतर प्रबंधन करते थे और शायद ही कभी खाली बैठते हो। 93 वर्ष के आयु में भी वह बेहद सक्रिय थे और देश के युवाओं से लगातार जुड़े रहते थे।