भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां (Satish Poonia) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार कर कहा कि, विश्व के प्रमुख मजबूत लीडरों में शुमार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दिनों-दिन बढ़ती लोकप्रियता को कांग्रेस के गांधी खानदान से लेकर पूरी कांग्रेस पचा नहीं पा रही, शुरुआत से ही जाति-पंथ और मजहब के नाम पर वोट बैंक की राजनीति करने वाली कांग्रेस स्वयं के अस्तित्व को बचाने के लिये लड़ाई लड़ रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का राजस्थान की जनता के प्रति दण्डवत प्रणाम यह दर्शाता है कि उनका राजस्थान की देवतुल्य जनता और संत-महापुरुषों एवं वीरों की धरती से अथाह प्रेम है, जिसके विकास व तरक्की के लिये वह समर्पित हैं, लेकिन कांग्रेस नेताओं की संस्कृति गांधी खानदान को दण्डवत करने की रही है, जिनका जनता से कोई सरोकार नहीं रहा। जुड़े हुये भारत को जोड़ने का पाखंड़ करने करने वाली कांग्रेस खुद टुकड़ों में बंट चुकी है, इनके नेता ही कांग्रेस से घृणा करने लगे हैं, जिसके प्रमाण सबके सामने हैं।
राजस्थान के आदिवासी समाज सहित सभी 36 कौम द्वारा आबू रोड़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऐतिहासिक एवं भव्य स्वागत से कांग्रेस की जमीन पूरी खिसक चुकी है, इससे यह भी स्पष्ट हो गया कि विधानसभा चुनाव 2023 में नरेन्द्र मोदी के नाम, काम और भाजपा संगठन की खूबियों से तीन चौथाई बहुमत से भाजपा की सरकार बनेगी और कांग्रेस की ऐतिहासिक हार होगी, जिसको लेकर कांग्रेस आलाकमान से लेकर अशोक गहलोत तक सभी को यह पता चल चुका है और 2024 में प्रदेश की सभी 25 लोकसभा सीटें भी भाजपा जीतेगी और नरेन्द्र मोदी तीसरी बार प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बनेंगे। कांग्रेस आलाकमान की हालत यह है कि सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक को अशोक गहलोत कोई अहमियत नहीं देते, उनके द्वारा भेजे गये पर्यवेक्षकों के सामने कांग्रेस विधायकों से बयान दिलवाकर, अलग से बैठक करवाकर और विधायक दल की बैठक रद्द करवाकर अशोक गहलोत ने यह साबित कर दिया कि वह कांग्रेस आलाकमान से बड़े हैं।
अशोक गहलोत कांग्रेस को फिर से राजस्थान में रिपीट करने की बात करते हैं, जबकि उन्होंने युवा, किसान और महिला विरोधी नीतियों से कांग्रेस सरकार की प्रदेश में यह हालत कर दी है कि 2023 में कांग्रेस की विपक्ष में रहने लायक स्थिति भी शायद नहीं रहेगी, मुश्किल से टैंपों सवारी लायक इनकी सीटें आ जायें तो बहुत बड़ी बात होगी। अशोक गहलोत कांग्रेस के अंदर युवा नेतृत्व को दबाने का षडयंत्र भी बराबर करते हैं, पूरे प्रदेश ने देखा कि अपने पीसीसी चीफ व डिप्टी सीएम रहे सचिन पायलट के खिलाफ उन्होंने कैसे षडयंत्र रचा और कांग्रेस आलाकमान की नजरों में उनको नीचा दिखाने की साजिश रची, यह सबने देखा और इससे भी आगे बढ़कर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया, जो मुख्यमंत्री पद की गरिमा को शोभा नहीं देता। अशोक गहलोत स्वयं की कुर्सी बचाने के खेल में प्रदेश की कानून और विकास को पूरी तरह भूल चुके हैं, इनके शासन में कांग्रेस सरकार के खिलाफ पूरे प्रदेश में एंटी इनकम्बेंसी है, कांग्रेस सरकार के झगड़े और अंतरकलह ने गांवों से लेकर शहरों तक के विकास को ठप कर दिया।