Aparna Yadav in BJP: अपर्णा यादव के BJP में शामिल होने की इनसाइड स्टोरी

Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश (UP Chunav) में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले (UP Chunav 2022) UP की सियासत में हिचकोले मार रही है। मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav)  बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं। अपर्णा यादव (Aparna Yadav Joins BJP) की एंट्री से न केवल भाजपा ने सपा में सेंधमारी की है, बल्कि मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की छोटी बहू ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को बड़ा झटका दिया है। बीजेपी में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव (Aparna Yadav News) ने कहा कि मैं प्रधानमंत्री मोदी जी का और राष्ट्रीय अध्यक्ष जी का धन्यवाद करती हूं, उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और अनिल बलूनी जी का धन्यवाद करती हूं, मैं प्रधानमंत्री जी से पहले से ही प्रभावित रहती थी, मेरे लिए सर्वप्रथम राष्ट्र है, अब मैं राष्ट्र की आराधना के लिए निकली हूं, आपका सहयोग अनिवार्य है, यही कहूंगी कि जो भी कर सकूंगी अपनी क्षमता से करूंगी।

 

क्या बोले अखिलेश यादव?

वहीं इस मामले में अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की भी पहली प्रतिक्रिया आई है, लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पत्रकारों ने अखिलेश यादव ने अपर्णा यादव को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले मैं बधाई और शुभकामना दूंगा, सपा विचारधारा का विस्तार हो रहा है, जिसे हम टिकट नहीं दे पार रहे उसे वो टिकट दे रहे हैं, मुझे उम्मीद है वहां भी हमारी विचारधारा होगी,’ अखिलेश ने इसके साथ ही कहा कि नेता जी ने उन्हें बहुत कोशिश की समझाने की, लेकिन वह नहीं मानीं।

 

अपर्णा यादव के BJP लगाव की इनसाइड स्टोरी-

राजनीतिक विश्लेषक बताते है कि मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव की परिवार में एंट्री के साथ ही परिवार में बगावत शुरू हो गई थी।  तब अखिलेश यादव ने अपने पिता मुलायम से बगावत कर दी थी। पिता और पुत्र के बीच बढ़ती दूरियों को कम करने और परिवार को एक साथ लाने की जिम्मेदारी अमर सिंह ने उठाई थी। अमर सिंह ने न सिर्फ साधना यादव को परिवार में एंट्री दिलाई, बल्कि अखिलेश यादव को भी मनाया। इस दौरान परिवार को साथ रखने के लिए एक समझौता भी हुआ।उस समझौते के मुताबिक पिता की राजनीतिक विरासत के इकलौते वारिस अखिलेश यादव होंगे, जबकि साधना के बेटे प्रतीक यादव कभी भी राजनीति में नहीं आएंगे। इतना ही नहीं उस वक्त जो प्रॉपर्टी थी, उसे भी दोनों भाइयों में बराबर-बराबर बांटा गया।  राजनीतिक पंड़ित कहते है कि अपर्णा यादव की राजनैतिक महत्वाकांक्षा की वजह से मुलायम सिंह यादव ने 2017 में अपर्णा को पार्टी का टिकट दिलवाया था, लेकिन अपर्णा चुनाव हार गईं। लेकिन सूत्रो के मुताबिक अखिलेश यादव ने इस बार परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट ना देने का फैसला किया है। राजनीति में करियर बनाने के लिए बेताब अपर्णा के लिए यह फैसला बेहद परेशान करने वाला था। माना जा रहा है कि इसके बाद ही अपर्णा भाजपा के संपर्क में आईं और अब पार्टी में शामिल हो गई हैं।