फोकस भारत। राजस्थान के जैसलमेर सेंट्रल को-ओपरेटिव बैंक के अंतर्गत आने वाली कनोई ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष रोज़े खान द्वारा 70 लाख के गड़बड़झाले के आरोपों के बाद अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जोधपुर खंड जोधपुर से इस गड़बड़झाले की जांच के आदेश आए हैं। जिसके बाद सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियों मे हड़कंप मच गया है। साथ ही इस गबद्झाले में शामिल सभी अधिकारियों व कर्मचारियों के हाथ पाँव फूल गए हैं।
गौरतलब है की जैसलमेर सेंट्रल को-ओपरेटिव बैंक के अंतर्गत आने वाली कनोई ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष रोज़े खान ने आरोप लगाए थे की कनोई ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक नरेश कुमार व जैसलमेर सेंट्रल को-ओपरेटिव बैंक के तत्कालीन एमडी जगदीश सुथार ने उनके फर्जी हस्ताक्षर करके 70 किसानों के कृषि क्लेम के 70 लाख रुपए उठाकर खा गए। उनके द्वारा बार बार शिकायत किए जाने के बाद भी इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। तब स्थानीय मीडिया में इसकी खबरें आने पर और उनकी शिकायत के आधार पर अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जोधपुर खंड जोधपुर ने इसकी जांच के लिए विशेष लेखा परीक्षक अरुण बारहठ को इस मामले की जांच सौंपी। गड़बड़झाले की जांच कर रहे अधिकारी अरुण बारहट ने बताया की मुझे इस मामले की जांच दी गई है तथा मैंने इसमे शामिल सभी जिम्मेदारों को नोटिस देकर उनका जवाब मांगा है। तथा जल्द ही इस मामले की खोजबीन की जा रही है। और जो भी इस गड़बड़झाले में शामिल होंगे उनपर शत प्रतिशत कार्रवाई होगी।
जैसलमेर जिले की कनोई ग्राम सहकारी समिति के अध्यक्ष रोजे खान ने बताया की सोसायटी के कार्य व्यवस्थापक नरेश कुमार प्रजापत एव जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के प्रबंध निदेशक जगदीश सुथार ने मिली-भगती कर समिति के खाते के चेक पर अध्यक्ष रोजे खान के फर्जी कूट रचित हस्ताक्षर करके करीब 70 लाख रुपए का भुगतान व्यवस्थापक नरेश कुमार ने नियमो के विरुद्ध से उठा लिया तथा राशि का दुरुपयोग किया गया। जबकि कनोई सहकारी सोसायटी के कार्य व व्यवस्थापक नरेश कुमार को सोसाइटी व्यवस्थापक पर गंभीर दुराचार का दोषी मानते हुए प्रबंध कार्यकारिणी द्वारा दिनांक 30-8-2020 को सेवा से समाप्त करने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। इसके बावजूद भी इतनी बड़ी रकम व्यवस्थापक द्वारा केश भुगतान बैंक से उठा लेने पर गंभीर अनियमितता व गड़बड़झाला किया गया।
गौरतलब है की द जैसलमेर को ऑपरेटिव बैंक लिमिटेडक की कनोई सोसाइटी मे कार्यरत व्यवस्थापक नरेश कुमार को सोसाइटी के अध्यक्ष ने कार्यों में गड़बड़ी की आशंका के चलते दिनाक 30 अगस्त 2020 को कार्यमुक्त करते हुए तथा उक्त प्रस्ताव पालना करते हुए दिनांक 31-8- 2020 को कार्यालय आदेश जारी किया गया। व्यवस्थापक नरेश कुमार की सेवा समाप्त कर कार्यमुक्त किया गया था। नरेश कुमार कनोई सोसाइटी में कार्य व्यवस्था पर थे उनकी मूल सोसायटी डेढा है। जिसके कारण दिनांक 31-8- 2000 को नरेश कुमार को सेवा समाप्त होने के बाद उसकी सूचना जैसलमेर कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड जैसलमेर के प्रबंध निदेशक जगदीश सुथार को मौखिक व रजिस्ट्री पत्र द्वारा अवगत कराया गया। लेकिन रजिस्ट्री पत्र मिलने के करीबन 7 दिन बाद दिनांक 8-9- 2020 को 20 लाख रुपए व 25 -9-2020 को 50 लाख रुपए नरेश कुमार व एमडी जगदीश ने मिली भगत करके कुल 70 लाख रुपए की राशि समिति अध्यक्ष रोजे खान के फर्जी हस्ताक्षर करके भुगतान उठाकर सोसाइटी के धन का गबन किया। तथा गबन राशि में मिलकर बंदरबांट किया गया। सोसाइटी के व्यवस्थापक को हटाने के बाद 70 लाख का भुगतान करना नियम विरुद्ध है तथा चेक पर अध्यक्ष रोजे खान के हस्ताक्षर भी फर्जी किए गए।
दरअसल रोज़े खान के अनुसार राजस्थान सरकार के आदेश थे की सोसायटी में किसानों का ऋण क्लेम का पैसा आया है उसे ऑनलाइन किसानों के खातों में देना था। लेकिन एमडी जगदीश सुथार ने अपने पद का दुरोपयोग करते हुए सेवा समाप्त किए गए व्यवस्थापक को 70 लाख का भुगतान नियम विरूद्ध कर दिया, वही कनोई सोसाइटी का खाता जैसलमेर शाखा में है परंतु नियमों के विरूद्ध से भुगतान चांदन ब्रांच से किया गया। इस प्रकार कार्य व व्यवस्थापक नरेश कुमार को हटाने के बाद उसे विधि विरुद्ध रूप से भुगतान किया गया वह किसानों के क्लेम की 7000000 रुपए की राशि का गबन किया गया। गौरतलब है की व्यवस्थापक नरेश कुमार पर इससे पूर्व भी कई किसानों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए है। लेकिन आज दिन तक कोई जांच या कार्रवाई नहीं हुई है । अब चूंकि अतिरिक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियां जोधपुर खंड जोधपुर से जांच आई है और इस मामले की जांच विशेष लेखा परीक्षक अरुण बारहठ कर रहे है तो जरूर दूध का दूध और पानी का पानी होना तय है।
रिपोर्ट- जैसलमेर से सिकंदर शैख