सरकार बनाम राज्यपाल की जंग ‘आर-पार’

  • राज्यपाल ने तीसरी बार भी लौटाया प्रस्ताव 
  • कोरोना को देखते हुए सत्र आहूत करने पर उठाए सवाल
  • गहलोत सरकार की टेंशन बढ़ी 

फोकस भारत। राजस्थान सरकार और राजभवन का टकराव बुधवार को चरम पर पहुंच गया है। राज्यपाल ने एक बार फिर सरकार की ओर से भेजा गया विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव लौटा दिया है। इस तरह राज्यपाल ने तीसरी बार यह प्रस्ताव वापस कर दिया है। राजभवन की ओर से कहा गया कि इतने शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने का कोई वैध कारण नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि कोरोना को देखते हुए राजभवन ने 15 अगस्त तक का एट होम निरस्त किया है। आन्ध्रप्रदेश में 39 हजार कोरोना के केस आए हैं, देशभर में कोरोना की महामारी बढ़ती जा रही है, कोरोना से बचाव और सोशल डिस्टेंसिंग प्रमुख मुद्दे हैं, ऐसे में कोरोना महामारी की चिंताओं के बीच विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने इसके बाद राज्यपाल से राजभवन जाकर मुलाकात की और वे कांग्रेस कार्यालय चले गए।

विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर सरकार के प्रस्ताव पर राज्यपाल की तीसरी आपत्ति के बाद राजस्थान में सियासी संकट गहरा गया है। ऐसा लगता है कि राज्यपाल मिश्र ने उनको लेकर लगातार हो रही बयानबाजी और टिप्पणियों को निजी तौर पर ले लिया है और अब वे गहलोत सरकार और उनके खेमे से खफा हो गए हैं। 31 जुलाई को विधानसभा सत्र आहूत करने को लेकर गहलोत मंत्रिमंडल की ओर से मंजूरी मिलने की पूरी उम्मीद के सथा तीसरी बार संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था गया था, लेकिन राज्यपाल ने तीसरी बार भी फाइल लौटा दी है। क्या राजस्थान का राजनीतिक संकट अब राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है, अहम सवाल है।

राज्यपाल पर तल्ख टिप्पणियां

24 जुलाई, शुक्रवार-  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल अपनी आत्मा की आवाज सुनें, अगर जनता राजभवन का घेराव करेगी तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी।

24 जुलाई, शुक्रवार- राजभवन के दालान में गहलोत खेमे के मंत्रियों और विधायकों ने ‘शर्म करो’ के नारे लगाए

27 जुलाई, सोमवार -मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आह्वान पर देशभर के राजभवनों पर कांग्रेस का प्रदर्शन

29 जुलाई, बुधवार- कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने हैशटैग गेटवैल सून गवर्नर अभियान चलाते हुए राज्यपाल को मानसिक तौर पर बीमार बताया।

कुल मिलाकर गहलोत सरकार, जो 31 जुलाई को ही विधानसभा सत्र बुलाना चाहती थी, उसके राज्यपाल ने कोरोना का हवाला देते हुए तीसरी बार मंजूरी देने से इनकार कर दिया। कांग्रेस एक तरफ राज्यपाल के समक्ष प्रस्ताव पर प्रस्ताव भेजती रही तो दूसरी तरफ उन पर सियासी हमले भी होते रहे, गेट वैल सून के अभियान चलाए जा रहे हैं, उन्हें मानसिक रोगी करार दिया जा रहा है, जनता द्वारा राजभवन के घेराव की चेतावनियां भी दी गई ।

राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात करने से पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने तीसरी बार विधानसभा सत्र आहूत करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था लेकिन तीसरी बार प्रेम पत्र मिल गया है। यह तंज इसी तरफ इशारा था कि राज्यपाल की ओर से अनुमति नहीं मिली है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने जो सवाल उठाये थे उनका उचित जवाब दिया जा चुका है अब उनकी सलाह सरकार के लिए अनिवार्य नहीं है। गहलोत सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा था कि ‘हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं। जो पहले प्रस्ताव था, वह हमारा अधिकार है, कानूनी अधिकार है।

बताया जा रहा है कि सरकार ने तीसरे प्रस्ताव में भी फ्लोर टेस्ट की बात का जिक्र नहीं किया था। यह कहीं उल्लेख नहीं किया कि वह विधानसभा सत्र में विश्वासमत हासिल करना चाहती है या नहीं। सिर्फ  31 जुलाई से सत्र आहूत करने का प्रस्ताव दिया गया। सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि राज्यपाल की ओर से जो सवाल पूछे गए थे उनके बिंदुवार जवाब संशोधित प्रस्तावों में दे दिये गए थे।

फिलहाल देखना होगा कि आगे गहलोत सरकार क्या रणनीति अपनाती है, विधानसभा और राजभवन की इस जंग में यूं तो जीत विधानसभा की होती आई है, लेकिन इस बार हालात कुछ ज्यादा टफ नजर आ रहे हैं।

रिपोर्ट – आशीष मिश्रा