डेस्क। जहां एक तरफ देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। वहीं दूसरी तरफ देश की सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है। अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है। और ना जाने कितने लोगों की नौकरियां चली गई। सभी सेक्टर में भारी मंदी का दौर है। इसी बीच देश के कृषि प्रधान राज्य हरियाणा में किसान अपनी मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए।
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि अध्यादेशों को किसान विरोधी बताते हुए हरियाणा में धरना-प्रदर्शन हो रहे है। गुरूवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र में नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। नए कृषि अध्यादेशों के खिलाफ भारतीय किसान यूनियन ने अनाज मंडी में ‘किसान बचाओ, मंडी बचाओ’ महारैली का ऐलान किया था। प्रशासन ने कोरोना के चलते रैली की अनुमति नहीं देने के बावजूद किसान अपनी मांगों को लेकर सड़क पर प्रदर्शन कर रहे है।
आपको बता दें भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने उनके विरोध में बृहस्पतिवार को हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया। इसके बाद किसान और पुलिस के जवान आपस में भीड़ गए। जबाब में पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि सरकार के पास चार दिन का समय है। वो तीनों अध्यादेशों को वापस लें। 15 से 20 सितंबर तक जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन किया जाएगा।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने ट्वीट करते हुए लिखा कि ”लाठी-गोली चलाकर सरकारों ने जब-जब किसान को दबाने की कोशिश की है, वो अपने आत्मसम्मान के लिए लड़ा है। पीपली रैली में जा रहे किसानों से हुई बर्बरता सरकार की कायरता दिखाती है। किसान को अध्यादेश नहीं, सी-2 फार्मूले पर अपनी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य चाहिए। वक्त है संभल जाओ, किसान जागा तो आपको सोने नहीं देगा।”