- चर्चा मेें विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी
- राजस्थान के जालोर में बीता बचपन
- जिला स्तरीय लेवल पर लड़ी कुश्ती
- जयपुर से रहा है नाता
फोकस भारत। फ्रांस से 7 हजार किलोमीटर का सफर तय करते हुए रफाल की पहली खेल एयरबेस अंबाला पहुंची। पूरे देश में इस वक्त चर्चा है रफाल की और वासुसेना के उन जांबाजों की जिन्होंने बाकायदा कई महीने तक रफाल उड़ाने का प्रशिक्षण लिया और फिर फ्रांस से इस अत्याधुनिक फाइटर जेट को उड़ाकर हजारों किलोमीटर का आसमानी सफर तय करते हुए भारत पहुंचे। इन्हीं जांबाजों में से एक हैं राजस्थान के जालोर जिले के विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी।
विंग कमांडर अभिषेक : जमीन से आसमान तक ‘दंगल’
9 जनवरी 1984 को जन्मे विंग कमांडर अभिषेक त्रिपाठी मूलरूप से उत्तरप्रदेश के हरदोई से बिलोंग करते हैं। लेकिन माता-पिता दोनों सर्विस में थे इसलिए राजस्थान का जालोर ही उनका घर हुआ। अभिषक त्रिपाठी का बचपन जालोर में ब्रह्मपुरी स्थित किराए के मकान में बीता। इसके बाद पिता ने गुर्जरों का बास में राजेंद्र नगर में घर बना लिया। माता पिता दोनों शिक्षित थे और सर्विस में थे, पिता अनिल कुमार त्रिपाठी भूमि विकास बैंक और माता मंजू सेल टैक्स विभाग में कार्यरत थीं। पिता अनिल त्रिपाठी को खेलों का बड़ा शौक था, वे खुद बैडमिंटन खेला करते थे। अभिषेक और अनुभव की पढ़ाई पर माता-पिता ने विशेष ध्यान दिया। दोनों भाइयों की 10 वीं तक की पढाई इमैनुअल स्कूल में हुई। दोनों ही पढ़ाई के साथ साथ खेलकूद में भी आगे थे। अभिषेक को कुश्ती के दांव-पेंच रास आते थे तो अनुभव को इंजीनियरी का शौक था। पहलवान बनने का सपना लिये अभिषेक ने जालोर में ही आर्य वीर दल ज्वाइन किया। यह दल पहलवान तैयार करता था। अभिषेक ने पहलवान बनकर कुश्ती के दांव-पेंच सीखे। उधर,अभिषेक के छोटे भाई अनुभव अब अमेरिका में मल्टीनेशनल कंपनी में इंजीनियर हैं।
दंगल में भी दमदार रहे अभिषेक
शहर के राजेंद्र नगर में ही पड़ोस में शिवदत्त आर्य रहा करते थे। ये आर्यवीर दल के महामंत्री थे। उन्हीं की प्रेरणा से अभिषेक ने शाखा ज्वाइन कर ली और कुश्ती में हाथ आजमाया। 1997 में जिला स्तरीय कुश्ती प्रतियोगिता में अभिषेक दूसरे स्थान पर रहे। मेजर ध्यानचंद स्मृति क्रॉस कंट्री प्रतियोगिता में अभिषेक ने कई बार हिस्सा लिया।
जयपुर से भी रहा नाता
साल 2000 में पिता अनिल त्रिपाठी जालोर का अपना घर बेचकर जयपुर में शिफ्ट हो गए। जालोर में 10वीं तक पढ़े अभिषेक की आगे की पढ़ाई जयपुर में हुई। यहां उन्होंने मानसरोवर स्थित सीडलिंग पब्लिक स्कूल से 11वीं और 12वीं क्लास पास की। अच्छे अंकों से स्कूल पूरा करने के तुरंत बाद उन्होंने 2001 में एनडीए परीक्षा पास की और जमीन से जुड़ाव वाला यह होनहार अब आसमान में दंगल करने के लिए तैयार था। इसके बाद अभिषेक ने दिल्ली के जेएनयू से एमएससी की डिग्री भी हासिल की।
एनडीए की सफलता और वायु सेना में एंट्री
एनडीए की परीक्षा में सफल होने की खुशी अभिषेक समेत पूरे त्रिपाठी परिवार ने मनाई। अभिषेक अब एनडीए की ट्रेनिंग का हिस्सा हो गए। ट्रेनिंग के दौरान भी उन्होंने वायु-सेना के अहम दांव-पेंच सीखे और वायु सेना मे बतौर फ्लाइंग ऑफिसर अपनी ड्यूटी आरंभ की। वायु सेना में यह ऊर्जावान अफसर लगातार पदोन्नति पाता गया। फ्लाइंग ऑफिसर से फ्लाइंग लेफ्टिनेंट, स्क्वाडर्न लीडर और मौजूदा वक्त वे अंबाला में विंग कमांडर के पद पर कार्यरत हैं। वायुसेना में अपने सपनों को साकार करते हुए उत्तरप्रदेश की प्रियंका उनकी जीवनसंगिनी बनी।
जालोर के अभिषेक के गुरू और साथियों का कहना है कि वे बड़े हंसमुख और जिंदादिल हैं। गांव लौटते हैं तो सभी से बात करते हैं और बचपन की यादों को ताज़ा करते हैं।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा