आख़िर पूरी कवायद से बीजेपी महाराष्ट्र में क्या हासिल कर पाई?

BJP Mahrashtra- महाराष्ट्र के सियासी घटनाक्रम पर  राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार के बाद महाराष्ट्र दूसरा राज्य हैं जहाँ ज़्यादा सीटों के बाद भी गठबंधन में बीजेपी ‘छोटे भाई’ की भूमिका में है, राजनैतिक पंड़ित मानते हैं कि बीजेपी ने एक साथ कई संदेश देने की कोशिश की है।  जिसमें बड़ा संदेश सोशल इंजीनियरिंग का है, महाराष्ट्र में मराठा 30 फ़ीसदी हैं, ब्राह्मण चेहरे के साथ पाँच साल बीजेपी ने काम चलाया, लेकिन मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष और ख़ास तौर पर शरद पवार की एनसीपी ने उन्हें हमेशा बैकफुट पर रखा, इस वजह से इस बार बीजेपी ने रणनीति के तहत मराठा चेहरे को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया है। ऐसा नहीं कि बीजेपी के पास ख़ुद के मराठा चेहरे नहीं है, लेकिन शिवसेना के मराठा चेहरे को आगे कर बीजेपी ने एक तीर से कई शिकार किए हैं।

इसमें बीजेपी के दीर्घकालिक लक्ष्य की बात करें तो वो हैं 2024 का लोकसभा चुनाव अहम है,  महाराष्ट्र, भारत की आर्थिक राजधानी होने के साथ साथ लोकसभा में 48 सांसद भी भेजती है। शिवसेना का सीएम बना कर एक संदेश 2024 के लिए भी बीजेपी बाक़ी शिवसैनिकों को देना चाहती है, बीजेपी जानती है कि शिवसेना और बीजेपी 2024 में साथ मिलकर चुनाव लड़े तो नतीज़े गठबंधन के पक्ष में हो सकते हैं, लेकिन बीजेपी 2024 में लोकसभा चुनाव अकेली लड़ी और शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ी तो नतीजे अलग हो सकते है, ये डर भी बीजेपी को सता रहा है। वहीं बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद छोड़ कर और उपमुख्यमंत्री पद लेकर,  ये संदेश  देने की कोशिश की है कि बीजेपी सत्ता की भूखी नहीं है। आख़िर पूरी कवायद से बीजेपी महाराष्ट्र में क्या हासिल कर पाई?

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