फोकस भारत। केंद्र सरकार ने गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग का गठन किया गया है। आयोग के जरिए देश में गोवंश के संरक्षण, सुरक्षा और संवर्द्धन के साथ उनकी संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा. इसमें देशी गायों का संरक्षण भी शामिल है। यह अच्छी बात है। होना भी चाहिए। भारत कृषि प्रधान देश है। भारत की 70 फीसदी से ज्यादा आबादी गांवों में बसती है। इस तरह देखा जाए तो भारत गांवों का देश है।
गांव में हर घर में एक गाय का प्लान
केंद्र सरकार चाहती है कि हर गांव में हर किसान के घर में कम से कम एक गाय जरूर होगी। गाय होगी तो गाय के गोबर और गोमूत्र से साबुन बनाया जाएगा और इस तरह भारत आत्मनिर्भर बनेगा। इस अभियान के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने काम शुरू भी कर दिया है।आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभभाई कथीरिया ने खुद एक इंटरव्यू में यह बात कही है और अपने ट्वीटर हैंडलर से इसे शेयर भी किया है। डॉ. कथीरियाका कहना है कि गाय के जरिए भारत आत्मनिर्भर बनेगा, इसके लिए किसानों और गौसेवकों के साथ निरंतर वेबिनार की जा रही है।
आयोग अध्यक्ष का ‘आत्मनिर्भरता गणित’
डॉ. कथीरिया ने गायों के जरिए आत्मनिर्भर भारत का गणित यूं समझाया-
जितनी जमीन उतनी गायें हो सकती हैं, एक देसी गाय 5-7 लीटर दूध देती है, इसमें से कुछ दूध बेच सकते हैं, ये दूध 50 रुपए लीटर तक बिकना चाहिए, अभी 30 रुपए में ही बिक रहा है। ज्यादा गायें पालने के लिए सरकार से लोन, सब्सिडी भी दी जा रही है, इससे छोटे किसान 3-4 हजार रुपए रोज कमा सकते हैं। गांव-गांव गौशाला खुलेंगी तो रोजगार बढ़ेगा।
आयोग अध्यक्ष का ‘आत्मनिर्भरता ज्ञान’
डॉ. कथीरिया ने गायों को लेकर अपना ज्ञान भी साझा किया-
अभियान के तहत गोबर से गणेश मूर्ति बनाई जा रही हैं, गांवों की गरीब महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, गौशालाओं में मूर्ति समेत कई तरह के सामान बनाना सिखा रहे हैं। गोबर से 50 तरह के सामान बनाए जा रहे हैं।
आयोग अध्यक्ष का ‘आत्मनिर्भर विज्ञान’
डॉ. कथीरिया का गाय के जरिए भारत को आत्मनिर्भर बनाने का विज्ञान भी तगड़ा है, वे कहते हैं-
गाय के गोबर से बायो पेस्टीसाइड, बायो फर्टिलाइजर बन सकता है, इसमें छोटे कॉर्पोरेट काम कर सकते हैं। बड़ी गौशालाएं गौमूत्र और गोबर का सही उपयोग कर रही हैं, जिनसे बायो पेस्टीसाइड प्लांट और बायो फर्टिलाइजर के प्लांट तैयार हो सकते हैं। उद्यमी बायो गैस और सीएनजी भी तैयार कर सकते हैं।
गौमूत्र से बन रहा फिनाइल, साबुन शैम्पू
आयोग अध्यक्ष का कहना है कि गोमूत्र से औषधि के अलावा साबुन, शैंपू और फिनाइल बनाने का काम हो रहा है। महिलाओं के स्वयं सहायता समूह इस ओर काम कर रहे हैं।
बहरहाल, जब राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बना ही दिया है तो फिर आयोग कुछ न कुछ तो जरूर करेगा। हो सकता है गोमूत्र से कोरोना की वैक्सीन ही तैयार कर ली जाए। आयोग अध्यक्ष ने जो बातें कही हैं वो युग-युगान्तर से होती आई है। पशुपालन ही खेती किसानी का जीने का आधार रहा है। गोबर से गैस बनाने का तरीका नया नहीं है और गोबर से जैविक खाद और ईंधन भी काम में लिया जाता रहा है। भाजपा गाय को बनाए रखना चाहती है क्योंकि गाय भाजपा का बहुत पुराना चुनावी मुद्दा है।
रिपोर्ट – आशीष मिश्रा