‘विधायिका’ और ‘न्यायपालिका’ के बीच कैसे हों संबंध? पीठासीन आधिकारियों के सम्मेलन में होगा आज मंथन

Jaipur News: भारतीय लोकतंत्र के दो मजबूत स्तंभों- विधायिका और न्यायपालिका (Legislature and Judiciary )के बीच किस तरह का संबंध होना चाहिए और इसे किस तरह से ज्यादा से ज्यादा सामंजस्यपूर्ण बनाया जा सकता है, इन सवालों को लेकर लोक सभा और देश की विभिन्न राज्यों की विधान सभाओं एवं विधान परिषदों के अध्यक्षों के दो दिवसीय अखिल भारतीय सम्मेलन में विस्तार से विचार विमर्श होने की संभावना है, बुधवार से लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) की अध्यक्षता में राजस्थान विधानसभा में शुरू होने वाले इस दो दिवसीय पीठासीन आधिकारियों के सम्मेलन में भारत को मिली जी-20 (G-20) की अध्यक्षता, लोकतंत्र के सशक्तिकरण और विधायिका को प्रभावी बनाने के तौर तरीकों पर भी विचार मंथन होगा

लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मेलन के एजेंडा की जानकारी देते हुए बताया कि संविधान ने विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका का कार्य क्षेत्र और उनके अधिकार को परिभाषित किया हुआ है, ये तीनों अंग संविधान की भावना के अनुरूप समन्वय और सामंजस्य से कार्य करें, यह बहुत आवश्यक है. सम्मेलन के दौरान एक-दूसरे के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप से बचते हुए आपसी संबंधों को और मजबूत बनाने पर भी मंथन किया जाएगा, देश की विधायी संस्थाओं के अध्यक्षों के इस सबसे बड़े समागम, अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन का उद्घाटन उपराष्ट्रपति और राज्य सभा सभापति जगदीप धनखड़ बुधवार सुबह 10.15 बजे करेंगे