जन्मदिन विशेष: महापौर से राज्यपाल तक का प्रेरणादायक सफर

नारी सशक्तिकरण की मिसाल उतराखंड की राज्यपाल (governor utrakhand) बेबी रानी मौर्य का आज जन्मदिन (birthday special)है। महापौर से लेकर राज्यपाल बनने तक उनका बेमिसाल सफर समाज और महिलाओं के लिए  प्ररेणादयाक है। 

प्रेरणादायक सफर

बेबीरानी  (Baby Rani Maurya) का ताल्लुक  उत्तरप्रदेश से  है। वे उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। उत्तराखंड के राज्यपाल बनीं बेबी रानी मौर्य इस पद पर पहुंचने वाली आगरा की पहली नेत्री हैं। 1995 में आगरा की मेयर बनीं, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं। भाजपा के साथ उनका जुड़ाव1990 के दशक से ही है।  1997 में बेबी रानी मौर्य भाजपा की अनुसूचित जाति विंग में सदस्य रहीं, इस विंग के अध्यक्ष तब रामनाथ कोविंद थे। बेबी रानी ने यूपी में दलितों के बीच भाजपा की पकड़ को मजबूत किया

राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि बेबी रानी मौर्य की  कामयाबी के पीछे उनकी जनहित के लिए संघर्षशील छवि रही है। आगरा के बालूगंज क्षेत्र में रहने वाले पीएनबी में अधिकारी रहे प्रदीप कुमार मौर्य की पत्नी बेबीरानी का वर्ष 1995 तक राजनीति से वास्ता नहीं था। वह गृहणी ही थीं। 1995 में आगरा का मेयर पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए सुरक्षित होने पर उनको भाजपा ने टिकट दिया और वह विजयी रहीं। पांच साल तक मेयर रहकर उन्होंने शहर के विकास के लिए प्रयास किए। वर्ष 2002 में इन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया। इसके बाद विधानसभा चुनाव में इन्हें एत्मादपुर सीट से भाजपा ने चुनाव लड़ाया, हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली। संघर्ष करने की वजह से पार्टी के अनुसूचित मोर्चा पदाधिकारी रहीं।

 

महिला सशक्तिकरण की परिचायक

बेबी रानी मौर्य ने उतराखंड में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कार्य किए है । उनके मार्गदर्शन में राज्य में कई विकास के कार्य हुए है । जिसकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी सराहना की और उनके जन्मदिन पर बधाई दी है।