ठाकरे के गढ़ से चुनावी बिहार के रूट पर चल पड़ी ‘किसान रेल’ !

  • किसान रेल नासिक से दानापुर के लिए रवाना 
  • रेल मंत्री ने दिखाई ‘आभासी हरी झंडी’
  • एयरकंडीशंड हैं इस मालगाड़ी की बोगियां

फोकस भारत। ठाकरे के राज वाले नासिक से चुनावी बिहार की ओर किसान रेल चल पड़ी है। किसानों और चुनावों को इससे कितना फायदा होगा, ये देखने वाली बात होगी। देश की पहली किसान रेल मालवाहक रेल महाराष्ट्र के नासिक जिले में देवलाली से बिहार के दानापुर के लिए रवाना हुई। इस रेल की खास बात ये है कि यह सिर्फ खेती किसानी से जुड़े पदार्थों का ही मालवहन करेगी। फल-सब्जियां, अनाज और दूध इसमें शामिल हैं। रेल की बोगियां रेफिजरेटेड हैं, जिनमें फल, फूल और सब्जियां गंतव्य पर पहुंचने तक ताजा रहेंगी। इससे जो उपज जल्दी खराब हो जाती हैं, उनसे भी किसान अब अपनी आमदनी में इजाफा कर सकेंगे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

केंद्रीय किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से दावा किया जा रहा है कि किसान रेल से सस्ती दरों पर खेती उत्पादों, खासतौर से जल्दी खराब होने वाली उपजों को लाने-ले जाने में मदद मिलेगी। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य भी मिलेगा। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की भलाई के कई उपाय के हैं और इससे किसान आत्मनिर्भर बनेंगे और समृद्ध होंगे।

हर शुक्रवार चलेगी किसान रेल

किसान रेल साप्ताहिक सेवा है, यह हर शुक्रवार को देवलाली से सुबह 11 बजे चलेगी और अगले दिन शाम 6 बजकर 45 मिनट पर दानापुर स्टेशन पहुंचेगी। वापसी में हर रविवार को दानापुर से दोपहर 12 बजे रवाना होकर अगले दिन शाम 7 बजकर 45 मिनट पर देवलाली पहुंचेगी। एक फेरा पौने 32 घंटे का होगा और इस दौरान किसान रेल 1 हजार 519 किलोमीटर का सफर करेगी। किसान रेल देवलाली से नासिक रोड-मनमाड-जलगांव-भुसावल-बुरहानपुर-खंडवा-इटारसी-जबलपुर-सतना-कटनी-मानिकपुर-प्रयागराज-पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और बक्सर में ठहरती हुई दानापुर पहुंचेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण ने बजट में की थी घोषणा

इस मालगाड़ी की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसी साल फरवरी में बजट में की थी। हवाला दिया गया था कि जो फल और सब्जियां जल्दी खराब हो जाते हैं उस उपज का भी किसानों को नुकसान न हो इसके लिए किसान रेल चलाई जाएगी।

नासिक से दानापुर ही क्यों रखा गया रूट ?

कहा जा रहा है कि भुसावल डिवीजन प्राथमिक तौर पर कृषि आधारित डिवीजन है और नासिक और इसके आसपास के इलाकों में ताजा सब्जियों, फलों, फूल, प्याज और अन्य कृषि उत्पादों का उत्पादन बड़ी तादाद में होता है। किसान रेल चलने से इन उत्पादों को को खराब होने से पहले ही मार्केट में पहुंचाया जा सकेगा। ये उत्पाद नासिक के इन इलाकों से बिहार में पटना, उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद, मध्य प्रदेश के कटनी, सतना और अन्य इलाकों में भेजे जाते रहे हैं।

ममता बनर्जी ने किया था प्रयास, शुरू नहीं हो सका प्रोजेक्ट

मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान रेल मंत्री रहीं ममता बनर्जी ने साल  2009-10 के बजट में फलों और सब्जियों को वातानुकूलन की सुविधा के साथ लाने-ले जाने के लिए रेल चलाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इसकी शुरूआत नहीं हो सकी थी।

बहरहाल, 2022 में किसानों की आय दोगुना करने का ऐलान कर चुकी मोदी सरकार इस दिशा में प्रयास तो कर रही है। लेकिन कुछ किसानों को लाभ पहुंचाकर आंकड़े सभी किसानों को खुशहाल दिखाने वाले अगर खेल की तरह इस्तेमाल किये गए तो ये इंसाफ नहीं होगा। सिर्फ नासिक से दानापुर तक ही किसान बेल्ट नहीं है। देशभर में किसानों के लिए इस तरह की विशेष ट्रेनों का इंतजाम किया जाना चाहिए। किसान रेल का दानापुर तक जाना भी चुनावी मुद्दा ज्यादा नजर आता है क्योंकि जल्द ही बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में किसान हित की यह योजना भी चुनावी गुब्बारा ही साबित न हो जाए। यूं भी ट्रेन साप्ताहिक है, इसलिए जल्दी खराब होने वाले फल-सब्जी के किसान इसके फेरे बढ़ाए जाने की मांग जल्द ही कर सकते हैं।

रिपोर्ट – आशीष मिश्रा