देश को राज्यपाल देने वाली ‘फैक्ट्री’ है उत्तरप्रदेश !

  • देश को 9 प्रधानमंत्री दे चुका है उत्तरप्रदेश
  • अब अधिकतर राज्यों में यूपी से ताल्लुक रखने वाले राज्यपाल

Governors in Indian States Uttarpradesh। देश को राज्यपाल देने वाली फैक्ट्री कोई है तो वो है उत्तरप्रदेश। जी हां, राजस्थान के संदर्भ में बात की जाए तो मौजूदा राज्यपाल कलराज मिश्र और मिश्र से पहले राज्यपाल कल्याण सिंह का ताल्लुक भी उत्तरप्रदेश है। वैसे जम्मू कश्मीर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा (Governors in Indian States Uttarpradesh)को जम्मू कश्मीर का नया उपराज्यपाल बनाया गया है, इन मनोज सिन्हा का कनेक्शन भी उत्तरप्रदेश से ही है। तो क्या केंद्र सरकार को उत्तरप्रदेश के राजनेताओं पर इतना गहरा विश्वास है, कि देश में कहीं भी राज्यपाल नियुक्त करने की बात हो तो जेहन में उत्तरप्रदेश ही आता है।

उत्तरप्रदेश ने देश को दिए हैं दिग्गज नेता

उत्तरप्रदेश को केंद्र की सियासत का केंद्र बिंदु भी माना जाता है। लिहाजा जिस पार्टी ने उत्तरप्रदेश को होल्ड कर लिया, उसकी ताकत केंद्र में साफ दिखाई देती है। उत्तरप्रदेश ने देश को 9 प्रधानमंत्री दिए हैं और मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी उत्तरप्रदेश से ही हैं। प्रधानमंत्री चाहे इंदिरा गांधी रही हों या फिर नरेंद्र मोदी। उनका जन्मस्थान या मूल राज्य भले कुछ भी रहा हो, लेकिन चुनावी राजनीति चमकाने के लिए उन्हें उत्तरप्रदेश की राह करनी ही पड़ी।

मौजूदा दौर में उत्तरप्रदेश से संबंधित राज्यपालों पर एक नजर डाली जाए  

मनोज सिन्हा, उपराज्यपाल, जम्मू कश्मीर

मनोज सिन्हा भाजपा के कद्दावर नेता हैं, वाराणसी में जन्मे और गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुनकर आए। 11वीं, 13वीं और 16 लोकसभा में बतौर सांसद मनोज सिन्हा ने जीत हासिल कर संसद का रुख किया। पढ़े लिखे हैं, बीएसयू से पढाई की है, इंजीनियरिंग में एमटेक किया है। लोकसभा में सबसे अक्लमंद सांसदों में इनका नाम गिना जाता है। रेल राज्यमंत्री के तौर पर भी इन्होंने अपनी नीतियों से प्रभावित किया। कश्मीर का उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को बनाया जाना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी के तौर पर देखा जा रहा है। हाल ही में जम्मू कश्मीर में धारा 370 को हटे एक साल पूरा हुआ है। इससे पहले कश्मीर के उप राज्यपाल रहे गिरीश मुर्मू ने इस्तीफा दे दिया था।

कलराज मिश्र, राज्यपाल, राजस्थान

राजस्थान के मौजूदा सियासी संकट में राज्यपाल कलराज मिश्र का नाम बार बार राष्ट्रीय मीडिया तक सुनाई दिया। उनके तेवर सभी ने देखे। गहलोत सरकार को तीन बार संशोधित करके विधानसभा सत्र बुलाने की अर्जी लगानी पड़ी और सरकार चाहकर भी 31 जुलाई से सदन नहीं बुला सकी। खैर, केंद्र को ऐसे ही राज्यपालों की दरकार होती है। राजस्थान का राज्यपाल रहने से पहले कलराज मिश्र हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। वे 16वीं लोकसभा में उद्योग मंत्री भी रहे। उत्तरप्रदेश के सैदपुर में जन्मे कलराज मिश्र यूपी के ही देवरिया से चुनाव जीतते आए हैं और लंबा राजनीतिक जीवन सफलता से जिया है।

आरिफ मोहम्मद खान, राज्यपाल, केरल

केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है। मुस्लिम बहुल केरल में मुस्लिम राज्यपाल लगाने का मतलब सीधे तौर पर वहां की जनता में अपना प्रभाव पैदा करने से है। वैसे भी केरल में आतंकी गतिविधियों के नेटवर्ट और आईएसआईएस से कनेक्शन सामने आने के बाद भाजपा ने अपने ऐजेंडे में केरल को शामिल कर लिया है। आरिफ का जन्म यूपी के बुलंदशहर में हुआ था। वे 7वीं, 8वीं, 9वीं और 12वीं लोकसभा के सदस्य रहे। लगातार लोकसभा चुनाव जीतकर उन्होंने अपना दमखम साबित किया है। केंद्र में वे मंत्री भी रहे। सबसे ज्यादा सुर्खियों में वे तब आए थे जब रावीज गांधी के शासनकाल में शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट के तीन तलाक के फैसले को पलट दिया गया था, तब आरिफ ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। आरिफ का राजनीतिक सफर रोचक रहा, वे कांग्रेस में रहे, जनता दल में रहे, बसपा में रहे और फिर भाजपा में आ गए। मोदी सरकार में उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ कानून बनवाने में अहम रोल निभाया। तभी उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया गया।

सत्यपाल मलिक, राज्यपाल, गोवा

सत्यपाल मलिक गोवा के राज्यपाल हैं। मलिक का जन्म यूपी के बागपत में हुआ था। भाजपा में आने से पहले वे भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, लोकदल, जनता दल और भारतीय क्रांति दल की सैर करके आए थे। यूपी का अलीगढ़ इनका लोकसभा चुनाव क्षेत्र रहा और इस क्षेत्र में इनकी तूती बोलती रही। मौजूदा समय में सत्यपाल मलिक गोवा के राज्यपाल हैं, वे बिहार के भी राज्यपाल रह चुके हैं और गोवा का राज्यपाल बनने से पहले वे जम्मूकश्मीर में भी लंबे समय तक उप राज्यपाल रहे। धारा 370 हटने के दौरान उनकी भूमिका खासी प्रभावी रही। संभव है जम्मू कश्मीर का तनाव भरा माहौल झेलने के ईनाम के स्वरूप अब उन्हें गोवा का गवर्नर बनाया गया हो।

फागू चौहान, राज्यपाल, बिहार

फागू चौहान बिहार के राज्यपाल हैं। बिहार में चुनाव होने को हैं। कोरोना के कारण टल रहे हैं। लिहाजा फागू चौहान की आने वाले समय में भूमिका अहम होगी। वैसे बिहार में जदयू-एनडीए सरकार सत्ता में है। उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में जन्मे फागू चौहान उत्तरप्रदेश के मऊ जिले की घोसी सीट से चुनाव जीतते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में लंबे समय तक फागू चौहान की धाक बरकरार रही। फागू चौहान भाजपा का दलित चेहरा भी रहे हैं और उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में दलित किसान मजदूर पार्टी, जनता दल, बसपा का दामन थाम कर भाजपा में वापसी की। वे मायावती और योगी दोनों की कैबिनेट में मंत्री रहे।

बेबीरानी मौर्या, राज्यपाल, उत्तराखंड

बेबीरानी का ताल्लुक भी उत्तरप्रदेश से ही है। वे उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। 15 अगस्त को उत्तरप्रदेश के आगरा में जन्मी बेबी रानी राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य रहीं। भाजपा के साथ उनका जुड़ाव1990 के दशक से ही है। वे आगरा की महापौर भी रहीं। 1997 में बेबी रानी मौर्य भाजपा की अनुसूचित जाति विंग में सदस्य रहीं, इस विंग के अध्यक्ष तब रामनाथ कोविंद थे। बेबी रानी ने यूपी में दलितों के बीच भाजपा की पकड़ को मजबूत किया जबकि आगरा से विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर वे चुनाव लडीं लेकिन बसपा प्रत्याशी से हार गई थीं।

ब्रिगेडियर (रि.) बीडी मिश्रा, राज्यपाल, अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश सीमान्त राज्य है। इसकी सीमाएं भूटान और चीन से लगती हैं। चीन का दखल भी आए दिन यहां होता रहता है। ऐसे में सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा की भूमिका राज्यपाल के रूप में यहां बढ़ जाती है। इन बीडी मिश्रा का ताल्लुक भी उत्तरप्रदेश से है। वे यूपी के भदोही में जन्मे और पले बढ़े हैं। उन्होने भारतीय सेना में 34 साल रहकर अपने कारनामों और जांबाजी के कारण अलग स्थान बनाया है।

इसके अवाला भी एक फेहरिस्त है जिसमें कल्याण सिंह का नाम गिनाया जा सकता है, केसरीनाथ त्रिपाठी और स्व. लालजी टंडन का नाम गिनाया जा सकता है, बहरहाल, जिस प्रदेश ने देश को नौ प्रधानमंत्री दिए हों उसका राजनीति में दखल कितना बड़ा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा