- पायलट गुट के विधायकों का वीडियो जारी
- कहा- भाजपा के बंधक नहीं, गहलोत से खफा
फोकस भारत। राजस्थान की राजनीति में गज़ब का थ्रिल और सस्पेंस चल रहा है। हर रोज़ एक नया घटनाक्रम सामने आ रहा है। सचिन पायलट गुट पर खार खाए बैठे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए नए पैंतरे आजमा रहे हैं।
कोशिश ये है कि सचिन की तो कांग्रेस से हमेशा के लिए छुट्टी हो जाए, लेकिन उनके अलावा जो 18 विधायक पायलट के ‘झांसे’ में आकर पार्टी से बगावत कर बैठे हैं, वे ‘सुबह के भूले शाम को घर लौट आएं’। इसके लिए मुख्यमंत्री ने मीडिया में एक बयान भी जारी कर दिया। मुख्यमंत्री ने बयान में क्या कुछ कहा, इन बिंदुओं से समझिये
- भारतीय जनता पार्टी ने हरियाणा में कांग्रेस के बागी विधायकों को बंधक बना रहा था है।
- कांग्रेस के बागी विधायकों पर बाउंसर बैठाए हुए हैं, भाजपा उनको वहां से निकलने नहीं दे रही है।
- कांग्रेस के बागी विधायक ‘घर’ लौटना चाहते हैं, उन्हें जबरदस्ती रोका गया है।
- कांग्रेस के बागी विधायक आने के लिए तड़प रहे हैं, वे रो रहे हैं, फंसे हुए हैं।
मुख्यमंत्री के इस तरह के बयानों का मतलब मीडिया और पत्रकारिता जगत के लोग खूब समझते हैं। मुख्यमंत्री इस तरह के बयान जारी कर पायलट गुट में फूट डालना चाहते हैं और इमोशनली उन्हें मैसेज दे रहे हैं कि पार्टी के दरवाजे उनके लिए खुले हैं। साथ ही वे यह टोह भी लेना चाहते हैं कि इस पर पायलट गुट के विधायकों का रुख क्या रहता है। मुख्यमंत्री का इंतजार खत्म हुआ, पालयट गुट के नेताओं ने आज सोशल मीडिया पर उपस्थित होकर सफाई दी कि उन्हें मुख्यमंत्री बदनाम कर रहे हैं। ये तक कह दिया कि मुख्यमंत्री जी, आप कुर्सी से चिपके हुए क्यों हैं, कांग्रेस की एकता के लिए आपको कुर्सी छोड़ देनी चाहिए।‘ क्या कहा पायलट गुट के नेताओं ने इन बिंदुओं के आधार पर समझिये
- अशोक गहलोत हमसे हमसे नाराज हैं, लगातार हमारे खिलाफ आरोप लगा रहे हैं, हमने अपनी बात आलाकमान के सामने रखने के लिए दिल्ली का रुख किया था
- हमारा बीजेपी से कोई संपर्क नहीं है
- न हम बीमार हैं, न तड़प रहे हैं, न आंसू बहा रहे हैं
- हमारी एक भी मांग नहीं सुनी जाती, हमारे विधानसभा क्षेत्र में काम नहीं कराए जाते। कुर्सी बचाओ, लेकिन सही तरीका अपनाओ
- वेदप्रकाश सोलंकी ने कहा- भाजपा ने हमें बंधक नहीं बनाया है। हम मर्जी से आए हैं। डीएम के जरिये मुझे एक पास मिला था, उससे पहुंचा।
- सुरेश मोदी ने कहा- गहलोत की हरकतों से पार्टी को नुकसान हो रहा है। हमारे परिजन भी डरे-सहमे हैं। वे कांग्रेस के हितैषी हैं तो कुर्सी छोड़ दें।
बहरहाल, रस्साकसी सियासी है लेकिन इस खींच-तान में हाथों में छाले दोनों पक्षों में पड़ गए हैं। बिल्लियों की लड़ाई में रोटी बंदर के हिस्से आ जाती है, वो कहानी तो आपने सुनी ही होगी। अब ये लड़ाई कहां जाकर थमती है, पटाक्षेप कहां होगा, ये ऊपरवाला ही जाने।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा