क्या छह महीने में बर्बाद हो जाएंगे बैंक ?

  • आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कही बड़ी बात
  • छह महीने में बर्बाद हो जाएंगे बैंक- रघुराम
  • जनधन खाते का जैसा प्रचार, वैसा फायदा नहीं

फोकस भारत। मोदी सरकार को अयोध्या में राम मंदिर के भूमि पूजन की चिंता है,  लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर क्या कह रहे हैं और कितनी बड़ी बात कह गए हैं, इस पर मोदी जी का कोई ध्यान नहीं है। सरकार का कोई बड़ा नेता अब दड़बे से निकलेगा और रघुराम राजन को देशविरोधी करार देकर अपनी छवि चमका जाएगा।

रघुराम राजन ने जो कुछ कहा उसका साफ मजमून ये था कि अगले  छह महीने में बैंकों में फंसा हुआ कर्ज सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता जाएगा, कोरोना काल में बर्बाद हुई अर्थव्यवस्था के कारण लोग या कंपनियां कर्ज लौटाने की स्थिति में नहीं होंगी। ऐसे में बैंक सिस्टम के तबाह होने का डर है। उन्होंने आगाह किया कि समय रहते इस समस्या को समझ लिया जाए।

राजन ने एक पक्ष इस तरह का भी रखा कि सरकार जन-धन खातों की कामयाबी की दास्तान दोनों हाथ उठाकर सुनाती है, वह जनधन खाते किसी काम नहीं आ रहे। जैसे प्रचार किया गया था वैसा जनधन खाते में कुछ नहीं है। सही भी है, किसी गरीब के अकाउंट पांच सौ रुपैया महीना आ भी गया तो वह उस पांच सौ में आम का अचार भी नहीं डाल सकता।

हालांकि पूर्व गवर्नर पर यह ठप्पा लगाया गया कि वे सरकार विरोधी बयानबाजी करते हैं। लेकिन इतने बड़े पद पर बैठे अर्शशास्त्र के जानकार की बात को इस तरह खारिज करना ठीक नहीं, वैसे रघुराम ने कहा है कि खेती की अर्थव्यवस्था में सब ठीक-ठाक चल रहा है और मोदी सरकार ने जो आर्थिक सुधारों की शुरूआत की है, उसे अगर ठीक से कार्यान्वित किया गया तो फायदा भी हो सकता है।

रघुराम राजन ने नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लायड एकोनॉमिक रिसर्च यानी NCAER की ओर से आयोजित इंडिया पॉलिसी फोरम-2020 के एक सत्र में ये सब बातें कही।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा 

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