दक्षिण चीन सागर : क्या क्वाड के पास है हल ?

फोकस भारत। दुनिया की महाशक्तियों की महत्वकांक्षा सिर्फ और सिर्फ अपनी ताकत को बरकरार रखने और दुनिया पर राजनीतिक और आर्थिक तौर पर राज करने की होती है। भले वह चीन हो, अमेरिका हो या फिर रूस। ब्लादिमिर पुतिन का लंबे समय के लिए खुद को राष्ट्रपति के तौर पर तय कर देना इसी महत्वकांक्षा को इंगित करता है, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी कभी मैक्सिको की दीवार के बहाने, तो कभी अमेरिका में प्रवासियों पर तरह तरह का दबाव बनाकर भले अपने ही देश में विरोधों के बीच घिरे हों लेकिन लद्दाख मुद्दे पर, दक्षिण चीन सागर और दुनिया के तमाम हिस्सों में अमेरिका अपनी गिद्ध नजर जरुर रखता है। चीन का विस्तारवाद तो किसी से नहीं छुपा है। अहम सवाल यह है कि दक्षिण चीन सागर को लेकर अब नया बखेड़ा क्या खड़ा हुआ है।

क्या है दक्षिण चीन सागर का मामला ?

दक्षिण चीन सागर वियतनाम, फिलीपीन्स, मलेशिया और चीन से घिरा एक छोड़ा समुद्री इलाका है। इस इलाके से होकर कई देशों का समुद्री व्यापार चलता है और यह इलाका अंतरराष्ट्रीय मानकों में न्यूट्रल माना जाता है। लेकन चीन ने कुछ समय से समुद्र में कृत्रिम द्वीप का निर्माण कर अपने सैन्य अड्डे स्थापित करने की करतूतों को अंजाम दे रहा है। इतना ही नहीं, वह फिलीपीन्स की सीमा के समुद्री इलाकों तक अपने इन मसूंबों को अंजाम देता आया है। चीन अपनी सैन्य ताकत की आजमाइश करना चाहता है, हो सकता है इसीलिये उसने अमेरिका की नौसेना के लिए कहा कि वह कोरोनाकाल में कमजोर हो गई है। इसी का जवाब देते हुए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में नौसेना के दो विमान वाहक युद्ध पोतों के साथ युद्ध अभ्यास कर डाला। अमेरिका और चीन में लगातार बढ़ती तल्खी ने इस इलाके में जंग के मैदान सी तिलमिलाहट और बेचैनी भर दी है। जिसका असर आप-पास के देशों और इस समुद्री रास्ते से व्यापार करने वाले देशों पर पड़ रहा है।

क्या क्वाड के पास है कोई हल ?

सबसे पहले तो यह समझते हैं कि क्वाड आखिर है क्या। दरअसल भारत, जापान, अमेरिका और आस्ट्रेलिया ने 2007 में एक अनौपचारिक वार्ता समूह बनाया था। यह था ‘द क्वाड्रिलैरल सिक्यूरिटी डायलॉग’। जब दक्षिण चीन सागर में चीन ने अपना वर्चस्व दिखाना शूरू किया तो क्वाड समूह के चारों देशों को चिंता सताने लगी, क्योंकि इन देशों के व्यापार का बड़ा हिस्सा इस समुद्री रास्ते पर निर्भर है। ऐसे में इस इलाके में चीन की सामरिक हलचल ने चारों देशों के इस ‘क्वाड’ समूह से उम्मीदें पैदा दी हैं। हालांकि अपनी स्थापना के 10 साल तक यह संगठन सुस्त रहा, लेकिन 2017 में सभी ये देश मिले और दो साल बाद यानी 2019 में चारों देशों के विदेश मंत्रियों ने औपचारिक बैठक भी की। हालांकि क्वाड सैन्य गठबंधन नहीं है। लेकिन चीन पर लगाम कसने के लिए इस संगठन के पास जिस इच्छाशक्ति और वजहों का होना जरूरी है, वे सब इसके पास हैं।

दक्षिण चीन सागर में भारत की भूमिका

फिलहाल भारत को चीन की गीदड़भभकियों और अमेरिका के अहसानात से अपने आप को दूर रखना होगा। चीन भारत का पडोसी है इसलिए वह भारत को प्रभावित या परेशान करने की क्षमता रखता है, चीन ये बिल्कुल नहीं चाहेगा कि सभी मुद्दों पर भारत अमेरिका के पाले में ही खड़ा नजर आए। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी गिरती हुई साख को दूसरे मुद्दों की ओर अवाम का ध्यान भटकाकर सुधारना चाहते हैं। भारत को एक बार फिर अपनी उसी नीति की ओर लौटना होगा जो वह भूल चुका है- गुटनिरपेक्षता और दक्षिण एशिया सहयोग संगठन।

रिपोर्ट – आशीष मिश्रा

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