बॉलीवुड- याद रहेंगे ‘सूरमा भोपाली’


फोकस भारत।
बॉलीवुड के लिए यह साल दोहरा संकट लेकर आया है। फिल्म निर्माण कोरोनाकाल की वजह से बंद रहा और इस बीच अभिनेता ऋषि कपूर, इरफान खान, सुशांत सिंह राजपूत, नृत्य निर्देशिका सरोज खान, संगीतकार वाजिद खान के निधन के समाचार आते रहे। इसी फेहरिस्त में एक दुखद समाचार और जुड़ गया है। सिनेमाई पर्दे के ‘सूरमा भोपाली’ हास्य अभिनेता जगदीप अब इस दुनिया में नहीं रहे। अपनी चढ़ी हुई आंखों, मटकती भौहों और चेहरे पर अजीबोगरीब विकृतियां लाकर जगदीप गजब का हास्य रचते रहे हैं। जगदीप काफी समय से बीमार चल रहे थे, 81 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

बहुत कम लोग जानते होंगे कि जगदीप का असली नाम सैयद इश्तियाक अहमद जाफरी था। अभिनेता जावेद जाफरी और नावेद उनके बेटे हैं। 29 मार्च 1939 को जन्म जगदीप ने बाल कलाकार के तौर पर बीआर चोपड़ा की ‘अफसाना’ से अभिनय की शुरूआत की और बॉलीवुड में 400 फिल्मो में अभिनय कर लंबी पारी खेली। ‘शोले’, ‘अब दिल्ली दूर नहीं’, ‘आर पार’, ‘दो बीघा जमीन’,’कुर्बानी’, ‘शहंशाह’, ’अंदाज अपना अपना’ ‘हम पंछी एक डाल के’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाया था। उनकी ‘हम पंछी एक डाल के’ देखकर खुश हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू ने जगदीप को अपना पर्सनल स्टाफ उपहार में दे दिया था। जगदीप ने कुछ राजस्थानी फिल्मों में भी अभिनय किया था। तो वहीं फिल्म ‘शोले’ में जगदीप के ‘सूरमा भोपाली’ किरदार को बहुत पसंद किया गया था।

जगदीप के निधन से बॉलीवुड हस्तियां शोकाकुल हैं। ट्वीटर और सोशल मीडिया के माध्यम से कई हस्तियों ने अपना दुख प्रकट भी किया है। अभिनेता धर्मेंद्र देओल ने लिखा ‘तुम भी चले गए, सदमे के बाद सदमा, जन्नत नसीब हो तुम्हें’
अनुपम खेर ने ट्वीटर पर लिखा ‘एक और सितारा आसमान में जा पहुंचा’
अजय देवगन ने लिखा ‘जगदीप साहब के निधन से दुख पहुंचा, उन्हें स्क्रीन पर जब भी देखा एंजॉय किया, वे हमेशा ऑडियन्स के लिए खुशी लेकर आते थे’

इसके अलावा रितेश देशमुख, शिल्पा शेट्टी, डायरेक्टर हंसल मेहता ने भी जगदीप को श्रद्धांजलि दी।
जगदीप का फिल्मों तक का सफर आसान नहीं था। शुरूआती जिंदगी में उन्होंने काफी मुश्किलों का सामना किया था। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनकी मां ने उन्हें बहुत हिम्मत दी। संघर्ष के दिनों में वे एक बार अपनी मां के साथ अंधेरी से जा रहे थे। बम्बई में तूफान आया हुआ था, इसी बीच उड़कर आए टिन के एक पतरे से मां का पैर जखमी हो गया। जगदीप ने वहीं रुक जाने की सलाह दी लेकिन मां ने पैर पर पट्टी बांधते हुए कहा- ‘वो मंजिल ही क्या जो आसानी से तय हो, वो राह की क्या जो थककर बैठ जाए।‘ जगदीप ने कहा था कि उनकी मां के इन शब्दों ने उन्हें हर कदम पर हिम्मत दी।

रिपोर्ट – आशीष मिश्रा

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