Padma Shri Award 2023: देश में गन्ना क्रांति के जनक के साथ ही शुगर केन मैन के रूप में पहचान बनाने वाले साइंटिस्ट डा. बक्शी राम(Dr Bakshi Ram )। उन्हें गन्ना किसानों के जीवन में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू (President Draupadi Murmu) ने पद्म श्री सम्मान (Padma Shri Award )प्रदान किया। वह कहते हैं कि सम्मान से जहां मनोबल बढ़ता है, आत्मविश्वास बढ़ता है वहीं जिम्मेदारी भी बढ़ती है। डॉ. बख्शी राम के विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अहम योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है, डॉ. बख्शी राम दिल्ली नजफगढ़ के पास पंडवाला खुर्द गांव के रहने वाले हैं, साल 2021 में सेवानिवृत्त होने के बाद से वे गुरुग्राम में रह रहे हैं, डॉ. बख्शी राम ने अपनी पढ़ाई हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से की है, एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से ही उन्होंने PhD की, इसके बाद साल 1984 से 1986 तक हिसार यूनिवर्सिटी में ही उन्होंने अपनी सेवाएं दी, उसके बाद डॉ. बख्शी गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान करनाल और कोयंबटूर में भी रहे, बता दें कि डॉ.बख्शी राम को गन्ना क्रांति(Ganna Kranti) का पुरोधा भी माना जाता है, डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में करीब 24 सालों तक बतौर प्रधान वैज्ञानिक काम किया, इसके बाद अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बन गए, डॉ. बख्शी राम की अगुवाई वाली टीम ने देश को गन्ने की कई प्रजातियां दी जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया, CO-0238 इन जातियों में ऐसी प्रजाति है, जिसे उत्तर भारत में अधिकांश किसानों ने अपनाया
2009 के दौरान गन्ना की नई प्रजाति विकसित की
डा. बक्शी राम ने वर्ष 2009 के दौरान गन्ना की नई प्रजाति सीओ 0238 विकसित की थी। इस प्रजाति के विकसित होने के बाद गन्ना किसानों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। उत्पादन में 20 टन प्रति हेक्टेयर तक की बढ़ोत्तरी हो गई। नई प्रजाति का लाभ हरियाणा के अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब सहित देश के कई राज्यों के गन्ना किसान उठा रहे हैं। वह देश के पुराने गन्ना संस्थानों आईसीएआर गन्ना प्रजनन संस्थान कोयम्बटूर और यूपी गन्ना अनुसंधान परिषद शाहजहांपुर के निदेशक की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। गन्ना ब्रीडर के रूप में उनकी पहचान रही है। सेवानिवृति के बाद भी उनके कदम नहीं रुके हैं। वह देश भर में घूम-घूमकर गन्ना किसानों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
करनाल में रहकर डॉ. बख्शी ने देश को दी थी सीओ-0238 गन्ना प्रजाति
हरियाणा और पंजाब में करीब 60 से 70 प्रतिशत सहित उत्तर भारत में औसतन करीब 52 प्रतिशत से अधिक किसानों तक पहुंची सीओ-0238 गन्ना प्रजाति के लिए डॉ. बख्शी राम को जाना जाता है। उनके ही नेतृत्व वाली वैज्ञानिकों की टीम ने गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल में इस प्रजाति को 2009 में जारी किया था। उन्हें पद्मश्री मिलने से करनाल केंद्र के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर है।
गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र करनाल के अध्यक्ष डॉ. एसके पांडेय ने बताया था कि डॉ. बख्शी राम ने करनाल अनुसंधान केंद्र में करीब 24 सालों तक कार्य किया है। वह बतौर वैज्ञानिक यहां आए थे, फिर वरिष्ठ वैज्ञानिक बने और फिर प्रधान वैज्ञानिक। इसके बाद वह अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बने। उनकी अगुवाई वाली टीम ने गन्ने की कई प्रजातियां देश को दी। जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया। सीओ-0238 इन सभी प्रजातियों में ऐसी प्रजाति है, जो उत्तर भारत में अधिकांश किसानों तक पहुंची। गन्ना उत्पादक क्षेत्र में औसतन 52 प्रतिशत में अकेले इसी प्रजाति का एकाधिकार हो गया। हरियाणा और पंजाब में तो ये प्रजाति 60 से 70 प्रतिशत किसानों की पहली पसंद बनी है। डॉ. बख्शी राम ने 2014 तक करनाल क्षेत्रीय गन्ना अनुसंधान केंद्र में बतौर अध्यक्ष कार्य किया। इसके बाद वह गन्ना शोध परिषद शाहजहांपुर चले गए। वहां से वह कोयंबटूर गन्ना प्रजनन संस्थान के निदेशक बने।