राजस्थान: BJP कार्यकर्ताओं में लीडरशिप को लेकर उपजे असमंजस को अमित शाह दूर कर पायेंगे?

फोकस भारत। Rajasthan Politics: गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) शनिवार दोपहर 3:30 बजे राजस्थान के जैसलमेर जिले में स्थित तनोट माता मंदिर पहुंचे। उनके साथ केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे। यहां बीएसएफ की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यहां उन्होंने विजय स्तंभ पर पुष्पचक्र अर्पित शहीदों को श्रद्धांजी दी। उन्होंने बीएसएफ की हैट भी पहनी। इसके बाद वे मंदिर में पहुंचे। जहां तनोट माता मंदिर के दर्शन किए। यहां वे करीब 10 मिनट तक रूके। इसके बाद उन्होंने सेना के जवानों के साथ सेल्फी भी ली। राजस्थान दौरे से पहले उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि अपने दो दिवसीय प्रवास पर वीरभूमि राजस्थान में रहूंगा। आज जैसलमेर में बीएसएफ के बॉर्डर आउट पोस्ट पर बहादुर जवानों से मुलाकात करूंगा। जानकारी के मुताबिक अमित शाह शनिवार की रात सरहद पर ही बिताएंगे। राइजिंग डे परेड के दौरान वे जवानों को संबोधित करेंगे। तनोट माता मंदिर के पास बने हैलीपेड पर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए है। इस पूरे क्षेत्र को निगरानी में रखा गया है। दर्शन के बाद वे रोहिताश बॉर्डर पोस्ट के लिए रवाना हुए। यहां वे रात बिताएंगे।  सवाल ये है कि राजस्थान में BJP कार्यकर्ताओं में लीडरशिप को लेकर उपजे असमंजस को अमित शाह दूर कर पायेंगे?

अमित शाह के राजस्थान दौरे के क्या है सियासी समीकरण?

राजस्थान बीजेपी में मचे सियासी घमासान के बीच गृह मंत्री अमित शाह  (Amit Shah) शनिवार को जैसलमेर में रात बिताने के बाद  रविवार 5 दिसंबर को जयपुर आयेंगे। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि अमित शाह गुटों में बंटी बीजेपी को एकजुटता को एकता का पाठ पढ़ाएंगे। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के साथ जनप्रतिनिधियों के बड़े सम्मेलन में शाह के संबोधन पर पार्टी के सभी नेताओं की निगाह टिकी है। उनका दौरा ये भी संकेत देगा कि 2023 में पार्टी किसी चेहरे को आगे कर चुनाव लड़ेगी या फिर पीएम मोदी के फेस पर राजस्थान की जनता के बीच जाएगी।  राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि बैठक में संगठनात्मक गतिविधियों की समीक्षा होगी। साथ ही आगामी कार्ययोजना का ऐलान भी होगा ताकि पार्टी का कार्यकर्ता फिर से रिचार्ज हो सके। गहलोत सरकार को घेरने के लिए वो और ज्यादा मुखर हो।

राजनीतिक पंड़ित का मानना है कि बीजेपी में वसुंधरा राजे 2023 के चुनाव की तैयारी में जुट गई है। उनकी देवदर्शन यात्रा ने पार्टी के प्रदेश और आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है।  आलाकमान अभी किसी भी पार्टी नेता को 2023 के लिए सीएम का चेहरा प्रोजेक्ट नहीं करना चाहता। केंद्रीय नेतृत्व से वसुंधरा राजे के रिश्ते अभी सामान्य नहीं बताये जा रहे हैं। राजे ने देवदर्शन के बहाने जो भीड़ जुटाई, उससे ये सियासी मैसेज देने की उन्होंने कोशिश की है कि वह राजस्थान में ही रहेंगी। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि  2023 के लिए बीजेपी में कई चेहरों की मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी से ही दावेदारी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल, सांसद दीया कुमारी,  बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नाम खबरों में हैं। हालांकि संगठन निष्ठ नेता खुद को सीएम का चेहरा कभी नहीं मानते। वसुंधरा राजे का बड़ा समर्थक वर्ग है। उनके विरोधी भी मानते हैं कि अभी उनमें बहुत राजनीति बाकी है। बीजेपी की टिकट पर जीते सभी जनप्रतिनिधियों के बीच अमित शाह साफ साफ मैसेज देने आ रहे हैं कि पार्टी किसी व्यक्ति के पीछे नहीं विचारों के साथ चलती है। कार्यकर्ताओं में लीडरशिप को लेकर उपजे असमंजस को भी शाह दूर करने की कोशिश करेंगे ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल न टूटे और पार्टी में बिखराव की स्थिति न हो। कार्यकर्ता आलाकमान के निर्देश पर चलें, न कि किसी नेता के।