(transgender crime gangrape and kidnap jodhpur ) ट्रांसजेंडर के साथ अपराध (यौन शोषण जैसे जघन्य अपराध) के मामले में ना तो पुलिस संजीदा है, ना ही थाने में सही FIR तक नहीं दर्ज होती और मीडिया की रिपोर्टिंग भी समाज का दोहरा नजिरए को उजागर करती है। आखिर कब समाज, पुलिस, और मीडिया संवेदनशीलता दिखाएंगे ट्रांसजेंडर के साथ होने वाली अपराध की घटनाओं में ?
राजस्थान पत्रिका जैसे समाचार पत्र नें जोधपुर के 20 अक्टूबर के अंक गलत और भ्रामक खबर प्रकाशित की है। इसके लिए संपादक को स्पष्टीकरण देना चाहिए।
क्या है पूरा मामला- जोधपुर में एक ट्रांसजेंडर के साथ जघन्य अपराध हुआ है। जिसमें घर में जबरदस्ती घूसकर मारपीट, गैंगरेप और उसके बाद अपहरण किया गया था ( जिसमें मुख्य साजिशकर्ता सरोज मोसी है जिसने तीन युवकों ( रवि, सोनू, चांदिया ) से ट्रांसजेंडर के साथ गैंग रेप करवाया और फिर बेरहमी से मारपीट करते हुए अपने घर ले गई जहां से मण्डोर थाने की पुलिस ने सूचना मिलने पर ट्रांसजेंडर को उनकी कैद से छुड़ाया था। इस संबंध में मण्डोर थाने की पुलिस ने 18 अक्टूबर को एक प्रेस रिलीज भी जारी किया है जिसमें सरोज मोसी और उसके साथी ट्रांसजेंडर को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है लेकिन तीन पुरुष साथी (रवि, सोनू और चांदिया ) अभी भी फरार है। पुलिस अभी तक गैंगरेप के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाई है।
6 अक्टूबर को जोधपुर में दो घटनाएं घटी थी..जिसमें एक सरोज मोसी द्वारा नकली किन्नरों को पकड़ा गया। दूसरी घटना जो जघन्य अपराध था वो थी ट्रांसजेंडर का अपरहरण, गैंगरेप। जिसकी साजिशकर्ता सरोज मोसी ही थी। जिस मामले को शुरु से ही रफा दफा करने की कोशिश हुई । लेकिन जब फोकस भारत ने इस मुद्दे को उठाया तब जाकर पुलिस ने कार्रवाई की । लेकिन हमारी साथी मीडिया राजस्थान पत्रिका की ये रिपोर्टिंग पत्रकारिता पर सवाल खड़े करता है?