Rajasthan: किसानों की जमीन नीलामी का मामला कांग्रेस के गले की फांस बना, इनसाइड स्टोरी

Rajasthan News:  राजस्थान (Rajasthan) में किसानों (Farmers) की कर्जमाफी(Debt forgiveness) की राहुल गांधी(Rahul Gandhi)घोषणा के बावजूद अब किसानों की जमीन नीलाम(Auction of farmers’ land) होने के नोटिस मिलने का मामला कांग्रेस के लिए गले की फांस बनता दिख रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत(CM Ashok Gehlot)  ने आदेश जारी करके फिलहाल किसानों की जमीन नीलाम होने पर स्थगन तो दिलवा दिया है, लेकिन यह कोई स्थाई समाधान नहीं है। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि ऐसे में अगर आने वाले दिनों में किसानों की कर्जमाफी का मामला नहीं सुलझा तो कांग्रेस के अंदर ही उठ रहे विरोध के स्वर तेज हो सकते है ।

 

कांग्रेस  ने 2018 के विधानसभा चुनाव में किसानों की कर्जमाफी का वादा किया था। और जयपुर में हुई सभा में खुद राहुल गांधी ने यह बात कही थी कि सरकार बनने के 10 दिनों में ही सभी किसानों का कर्जा माफ हो जाएगा। क्योंकि राज्य सरकार के हाथ में सिर्फ सहकारी बैंको का कर्जा माफ करना ही है जिसे कर दिया गया। लेकिन अन्य बैंकों का कर्जा माफ किया जाना राज्य सरकार के हाथ की बात नहीं है। ऐसे में आज भी किसान कर्जदार है।  इस बात को लेकर भाजपा लगातार कांग्रेस सरकार पर हमलावर भी रही और कहती रही कि कर्ज माफी की बात मात्र दिखावा है।  अब तक राजस्थान सरकार ने भाजपा के बयानों को हल्के में लिया, लेकिन अब जब बैंकों ने कर्जदार किसानों की जमीन नीलाम करने के सैकड़ों नोटिस दे दिए और जमीन नीलाम होने की तैयारी हुई तो भाजपा को ना सिर्फ राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधने का मौका मिला बल्कि इसके जरिए भाजपा ने सीधे कांग्रेस नेता राहुल गांधी  पर भी निशाना साध लिया।

राजनीतिक पंड़ित कहते है कि ऐसे में अब कांग्रेस में भी अंदरखाने इस बात को लेकर चिंता दिखाई दे रही है कि यदि किसानों की कर्जमाफी का मामला जल्दी ही नहीं सुलझा और बैंको ने नोटिस देना जारी रखा, तो इसका असर राजस्थान में कांग्रेस के चुनावी तैयारियों पर पड़ना निश्चित है।  दरअसल 9 फरवरी को विधानसभा का बजट सत्र शुरु होना है और राजस्थान में कांग्रेस के मंत्री और विधायक चाहते है कि कर्जा का मामला और किसानों की जमीन नीलामी होने पर स्थाई रोक लगा दी जाए लेकिन राज्य सरकार के पास यह शक्ति नहीं है कि वह केन्द्रीय बैंकों पर लगाम लगा सके। हालांकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रस्ताव दिया था कि केन्द्रीयकृत बैंक 90 फीसदी कर्ज माफ करें और राज्य सरकार इसमें 10 फीसदी हिस्सा देकर मदद करें और इस तरह किसानों के कर्ज को सैटल कर दिया जाए। लेकिन अभी तक इस मामले पर कोई निर्णय नहीं हुआ है।