फोकस भारत। राजस्थान समेत देश के अन्य राज्यों में कोरोना के बढ़ते कहर ने हालात को इस कदर बिगाड़ दिया है कि वीकेंड अथवा वेकेशनल टूरिज्म से जो थोड़ा बहुत आगमन सैलानियों का अब तक बना हुआ था, वह भी अचानक खत्म हो गया। स्वर्णनगरी का पर्यटन व्यवसाय पिछले साल की भांति इस बार भी कोरोना की चपेट में आ गया है। असमय हुए लॉकडाउन के चलते पिछले दो सप्ताह से अचानक पर्यटक आना बंद हो गए हैं।हालत यह है कि शहर के सारे पर्यटन स्थलों पर वीरानी छाई हुई है और सम के धोरे जो कि 200 करोड़ की आमदनी देते थे वह भी देशी पावणों के अभाव में निर्जीव नजर आते हैं।
जैसलमेर की 70 प्रतिशत जनता पर्यटन क्षेत्र से सीधे जुड़े है तो वही बाकी के 30 प्रतिशत अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े है। पिछले साल उन्होंने मार्च से लगभग अक्टूबर-नवम्बर तक कोरोना की मार झेली। बाद में हालात में बदलाव आने पर डेढ़ से दो लाख देशी सैलानी जैसलमेर पहुंचे और डूबते पर्यटन को सहारा दे दिया। वे पिछले साल की मुसीबतों को भुलाकर आगे बढऩे की कोशिशों में जुटे ही थे कि कोरोना की दूसरी लहर ने उन्हें फिर से सदमा दे दिया। जैसलमेर पर्यटन क्षेत्र में वीकेंड टूरिज्म का सिलसिला पिछले दो-तीन साल से जड़ें जमा चुका है। इसके अलावा सप्ताह में कभी भी छुट्टियां आने पर देशी सैलानी अच्छी तादाद में अपने वाहनों से जैसलमेर पहुंचते रहे हैं। इस बार भी मार्च माह तक यह रुझान बना रहा, लेकिन इसके बाद सब गड़बड़ हो गया। जैसलमेर के जाने माने पर्यटन व होटल व्यवसायी मयंक भाटिया व अर्जुनदास चांडक कहते हैं कि” कोरोना के मामले राजस्थान के विभिन्न बड़े शहरों के साथ पड़ोसी गुजरात के अलावा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा आदि में बढ़ जाने तथा सरकार की ओर से बाहरी लोगों के आगमन पर 72 घंटे पुरानी कोविड.19 जांच की नेगेटिव रिपोर्ट साथ लेकर आने की पाबंदी के चलते सैलानियों का आगमन एकदम थम गया है। रही सही कसर राजस्थान में वीकेंड लॉकडाउन और आगे जनता अनुशासन पखवाड़े जैसे कदमों से पूरी हो गई है। इससे इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की कमर ही टूट गई है। पिछले साल से इस साल भी कोरोना ने इस इंडस्ट्री को बर्बाद कर दिया है।
रिपोर्ट – सिकंदर शैख
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