फोकस भारत। भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल के सदस्य एवं हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार की आत्मकथा निज पथ का अविचल पंथी ने भाजपा की राजनीति में सियासी हलचल तेज कर दी है। शांता कुमार ने लिखा है कि उन्हें सच बोलने की भारी कीमत चुकानी पड़ी। शांता कुमार ने अपनी किताब ‘निज पथ का अविचल पंथी’ में मौजूदा उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू पर वर्ष 2003 में 300 करोड़ रु. का घोटाला करने का आरोप लगाया, तब नायडू ग्रामीण विकास मंत्री थे। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पाने के लिए भाजपा विभिन्न राज्यों में विधायकों की खरीद फरोख्त कर रही है।
शांता कुमार ने बताया, कैसे पकड़ा था घोटाला
आत्मकथा में शांता ने लिखा है कि वर्ष 2003 में ग्रामीण विकास मंत्री वेंकैया नायडू को भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उनका ग्रामीण विकास मंत्रालय मुझे दिया गया। कुछ दिन बाद तमिलनाडु के दो सांसद मिलने आए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में आंध्र प्रदेश को 90 करोड़ स्वीकार किए गए थे, लेकिन मंत्रालय से जब पत्र जारी हुआ तो 90 करोड़ का 190 करोड़ कर दिया गया। तीन वर्ष से आंध्रप्रदेश को प्रति वर्ष 100 करोड़ अधिक जा रहा है। लोकसभा में भी यह प्रश्न लगने नहीं दिया गया। शांता ने लिखा है कि उन्होंने आरोपों के आधार पर जब जांच की आरोप सही निकले। जांच में पाया गया कि योजना आयोग की फाइल में स्वीकृत राशि 90 करोड़ थी। मंत्रालय से जब धन भेजा गया तो 190 करोड़ भेजा गया। अधिकारियों से जब पूछा तो उनके पास कोई जवाब नहीं था। शांता ने लिखा है कि उन्होंने 300 करोड़ के घोटाले की फाइल संसदीय कार्य मंत्री प्रमोद महाजन को भी दिखाई। उन्होंने मुझे बताया कि इस विभाग के उस समय जो मंत्री थे, वह अब पार्टी के अध्यक्ष हैं। इसलिए चिंता छोड़ो और यह सब भूल जाओ। फिर मैंने फाइल प्रधानमंत्री को भी दिखाई। अटल जी हैरान होकर कहने लगे यह क्या हो रहा है। फिर चुप हो गए। लालकृष्ण आडवाणी, योजना आयोग के अध्यक्ष केसी पंत को भी यह बात बताई। किसी के पास कोई उत्तर नहीं था।