- बिहार में चुनावी संग्राम शुरू
- सीएम नीतीश कुमार की डिजिटल रैली
- विपक्ष पर साधा जमकर निशाना
फोकस भारत। बिहार में चुनावी मौसम शबाब पर है, लिहाजा राजनीति भी ऊंचे स्तर पर शुरू हो गई है। इधर तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 15 साल का हिसाब मांगा तो उधर जवाब में मुख्यमंत्री महोदय ने तेजस्वी जी को पापा लालू यादव का जमाना याद दिला दिया, कहा कि उनके वक्त तो कब्रिस्तान तक सुरक्षित नहीं थे। बिहार की चुनावी राजनीति में ऐसे ऐसे सियासी बाण चलते हैं, जिनकी काट भी सिर्फ बिहार के पास ही होती है। सीएम नीतीश कुमार की पहली डिजिटल चुनावी रैली की खास बातें कुछ इस तरह हैं-
नीतीश का दांव- कोरोना से मौत पर 4 लाख की मदद
अपनी पहली ही डिजिटल रैली में नीतीश कुमार ने बड़ा दांव खेल दिया। घोषणा की है कि कोरोना से मरीज की मौत होने पर परिजनों को 4 लाख तक का मुआवजा दिया जाएगा। नीतीश ने कहा कि कोरोना काल में 15 लाख ज्यादा प्रवासी बिहार आए, अधिकतर को 14 दिन के लिए कोरेन्टीन किया गया, कोरन्टीन सेंटर में एक व्यक्ति पर 14 दिन में 5300 रुपए खर्च किए गए। सीएम ने कहा कि बिहार में कोरोना से ठीक होने वालों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 88.24 फीसदी है। जांच प्रखंड स्तर पर हो रही है और इलाज तीन स्तरीय हो रहा है। होम आइसोलेशन के अलावे कोविड केयर, हेल्थ सेंटर और कोविड अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है। कोरोना के इलाज के लिए बिहटा, पताही में 500-500 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है। स्वास्थ्यकर्मी की कोरोना से मौत होने पर आश्रित को नौकरी देने का फैसला भी किया गया है। जबकि केंद्र सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों को 50 लाख तक का बीमा दिया है।
रोजाना 10 लाख लोगों को काम
विपक्ष पर हमला करते हुए नीतीश ने कहा कि बिहार रोजगार का सृजन भी कर रहा है। राज्य सरकार की तरफ से 5,50,246 योजनाओं में 14 लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन किया गया है। इन योजनाओं में रोजाना काम चल रहा है और औसतन रोजना लगभग दस लाख लोग काम कर रहे हैं।
बाढ़ प्रभावित 16 जिलों में राशन की व्यवस्था
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में सूखे और बाढ़ की मार है। 83 लाख लोग बाढ़ प्रभावित हैं। सामुदायिक किचन से 10 लाख लोगों को खाना खिलाया जा रहा है। 16 से भी ज्यादा बाढ़ प्रभावित जिलों में राशन पहुंचाया जा रहा है।
100 रुपए की रजिस्ट्री से थमे अपराध
नीतीश कुमार ने कहा कि 15 साल में बिहार में अपराध लगातार कम हुए हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर अपराध जमीन और प्रोपर्टी को लेकर होते थे, लोग महंगी रजिस्ट्री के कारण बंटवारा नहीं करते थे और आपस में विवाद अपराध को जन्म देता था, उन्होंने कहा कि हमने 100 रुपए के सांकेतिक रजिस्ट्री चार्ज के जरिए पारिवारिक अपराधों को कम कर दिया है।
टोला सेवक और पोशाक योजना से सुधारा शिक्षा का स्तर
नीतीश ने कहा कि बिहार में शिक्षा का स्तर अच्छा नहीं था, 5वीं के बाद बालिकाएं स्कूल छोड़ देती थीं क्योंकि उनके पास स्कूल जाने के लिए ठीक-ठाक पोशाक नहीं होती थी, पोशाक योजना का लाभ उठाने के लिए गरीब मां बाप बेटियों को स्कूल भेजने लगे। इसी तरह 20 हजार टोला सेवक और तालीमी मकरजों की नियुक्ति की गई जो बच्चों को स्कूल से जोड़ने का काम करते थे। नीतीश ने स्कूली बच्चियों और लड़कों के लिए साइकिल योजना का भी जिक्र किया।
बिहार में सड़कों का जाल
मुख्यमंत्री ने वर्चुअल रैली में बिहार की सड़कों की हालत को भी याद किया। उन्होंने कहा कि किसी वक्त गड्ढों में सड़क नजर आती थी। 15 साल में सड़कों की स्थिति में इस कदर सुधार हुआ है कि बिहार के किसी भी कोने से आप 6 घंटे के भीतर पटना आ सकते हैं। सीएम ने कहा कि अब यह लक्ष्य 5 घंटे करना है, इसके लिए सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है, नए पुल बन रहे हैं, 54 हजार 461 करोड़ रुपयों की लागत से सड़कों का निर्माण किया गया है।
लालू युग पर नीतीश का तीखा हमला
तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्चुअल रैली के बहाने वे बिहार के एक्चुअल मुद्दों को भागने नहीं देंगे। तेजस्वी के तीखे हमलों के बाद नीतीश के निशाने पर लालू यादव और राबड़ी देवी रहे। नीतीश ने कहा कि लालू राज में कब्रिस्तान और मंदिरों की घेराबंदी तक नहीं थी, हमने 6099 कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवाई। मंदिर में मूर्ति चोरी रोकने के लिए 226 मंदिरों में चहारदीवारी निर्माण कार्य पूरा कर दिया।
बिजली आ गई, लालटेन की जरूरत नहीं
रैली में नीतीश ने करारा व्यंग्य भी किया। कहा कि बिहार में अब घर-घर बिजली आ गई है, ऐसे में लालटेन की जरूरत नहीं है। उन्होंने लोगों से अपील की कि जिन लोगों ने बिहार में जंगलराज देखा है वे अपने बच्चों को युवाओं को बताएं कि वे गलत लोगों के साथ न चले जाएँ।
बहरहाल, कोरोना, बेरोजगारी, पलायन, सूखा और बाढ़ झेलने वाला बिहार आसानी से राजनीति को भी झेल जाता है। बिहार की खासियत है कि वहां लोग राजनीतिक रूप से दक्ष और वोट के प्रति सजग हैं। बिहार की सामान्य समझ-बूझ भी अच्छी है। लिहाजा पर बार यहां चुनाव में राजनीतिक दलों की रस्साकसी अपने तीखे तेवरों के कारण अलग पहचान रखती है।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा