फोकस भारत। देशभर में नदियां उफान पर हैं। कई राज्यों में बाढ़ आई हुई है। ऐसे में कभी कभी कुछ दोस्त मिलकर वीकेंड प्लान कर लेते हैं। लेकिन खबर की जानकारी देने से पहले फोकस भारत आपसे अपील करता है कि वीकेंड पर आप नदी, नाले, झरने, पोखर, टापू, बांध और पहाड़ जैसी जगहों पर जाना अवॉइड करें या फिर जाएं तो अपनी जान की हिफाजत रखें। खास बात ये कि वीकेंड में नशे का जहर न घोलें, ये जानलेवा साबित हो सकता है। इसकी नजीर है छत्तीसगढ़ के बिलासपुर का मामला।
बिलासपुर में वेस्टवियर पर अटकी जान
छत्तीसगढ के बिलासपुर खूंटाघाट पर वीकेंड मनाने पहुंचा एक लड़का वेस्टवीयर पर चला गया। वेस्टवियर वो पक्की फर्श होती है जो किनारे को टूटने से बचाने के लिए बनाई जाती है। डैम की धाराएं कितनी घातक होती हैं आप जानते ही हैं। डैम से पानी बहुत तेज धार में बह रहा था। बताया जा रहा है कि लड़का नशे में था। वेस्टवियर से बहा तो ये लड़का चट्टानों पर उगी कुछ झाड़ियों पर जा अटका। और ऐसा अटका कि सारा नशा काफूर हो गया। शाम से रात हुई, रात से फिर सुबह हो गई। न नींद आई और न धड़कन की रफ्तार थमी। सांस रोके लड़का झाडियों को थामे रहा। पूरे 16 घंटे उसके आस-पास सुपरसोनिक लहरें मौत का तांडव करती रहीं।
भीड़ जुटी, पुलिस आई लेकिन कुछ नहीं कर सकी
लड़का जहां फंसा था वहां रस्सी या नाव के सहारे उसे बचाना नामुमकिन था। रेस्क्यू के लिए पहुंची रतनपुर पुलिस के भी हाथ पांव फूल गए थे। लड़के की जान जोखिम में थी। कोई एक लहर उसे जिंदगी की गोद से छीनकर मौत के हवाले कर सकती थी। जो उपाय किये जा सकते थे, उन्हें आजमाने की हिमाकत भी नहीं की गई। रविवार की रात दहशत में गुजरी और सोमवार की सुबह वायुसेना का चॉपर फरिश्ता बनकर लड़के के ऊपर मंडराने लगा।
क्योंकि पुलिस रेस्क्यू हो गया था विफल
गिधौरी के निवासी जितेंद्र कश्यत ने सोचा भी नहीं होगा कि उसका ये वीकेंड जिंदगी का दी एंड साबित हो सकता है। उसे बचाने की कोशिशें रविवार शाम से ही शुरू हो गई थी। आस-पास भीड़ भी जुटी थी। रात में बिलासपुर से पुलिस ने स्पेशल रेस्क्यू टीम भी बुला ली थी। लेकिन अंधेरा ज्यादा होने और लहरों का शोर तेज होने के कारण न तो कुछ दिखाई दे रहा था और न सुनाई दे रहा था। ऊपर से लहरों का बहाव इतना तेज था कि कुछ भी किया जाना मौत को दावत देना था। बस दूर खड़ी टीम को देखकर जितेंद्र की हिम्मत बंधी रही कि उसे बचा लिया जाएगा। पुलिस रात भर वहां मौजूद रहकर उसका हौसला बढ़ाती रही। जब पुलिस की तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हुईं तो फिर एयरफोर्स से संपर्क साधा गया। लेकिन रात में एयरफोर्स इस अभियान को अंजाम नहीं दे सकती थी।
एयरफोर्स का एमआई-17 चॉपर जिंदगी बनकर आया
पुलिस ने एयरफोर्स के अधिकारियों से मदद मांगी थी, लड़की लोकेशन एयरफोर्स के अधिकारियों को भेजी गई। सुबह की पहली किरण के साथ ही वायुसेना का एमआई-17 चॉपर खूंटाघाट के लिए उड़ान भर चुका था। लड़के की जिंदगी लोगों के लिए तमाशा बन गई थी। रेस्क्यू को देखने के लिए हजारों की भीड़ डैम के दोनों ओर जुट गई थी। लोगों में कौतुहल था। लोग दिल थामकर इस ऑपरेशन को लेकर तमाम तरह के अंदेशे लगा रहे थे। जितेंद्र पूरी रात ठंडे पानी की तेज धाराओं के बीच पेड़ की टहनी को कसकर थामे हुए बेदह थक गया था। क्या रेस्क्यू होने तक उसमें इतनी जान होगी कि मदद की रस्सी को कसकर पकड़े रह सके। लेकिन जब जिंदगी मौत के मुंह में हो तो बचने के लिए इंसान आखिरी सांस तक संघर्ष करता है। जितेंद्र ने खुद को चॉपर से लटकाई हुई रस्सी में फंसाया और उसे सुबह 7 बजे एयरलिफ्ट कर लिया गया। जितेंद्र की जान बच गई।
अस्पताल में मुस्कुराई जिंदगी
16 घंटे तक लगातार लहरों से लड़ने और अपने आप को बचाकर रखने की जद्दोजहद में जितेंद्र बुरी तरह थक गया था। ठंडे पानी के कारण उसका शरीर सुन्न हो गया था। उसकी तबियत बिगड़ रही थी। उसे सीधे रायपुर के रामकृष्ण हॉस्पिटल ले जाकर भर्ती कराया गया। इसके बावजूद मौत के मुंह से निकालने के बाद उसके चेहरे पर मुस्कुराहट नजर आई।
बहरहाल, ये घटना बारिश के सीजन में कुछ सबक दे रही है। जिसका जिक्र हम शुरूआत में ही कर चुके हैं। एक बार फिर से ध्यान दीजिए, जितेंद्र भाग्यशाली रहा कि वायुसेना के चॉपर का इंतजार करने के लिए उसके पास 16 घंटे थे। मौत हर किसी को मोहलत नहीं देती। सावधान रहिये, सुरक्षित रहिये।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा