राहुल के इल्जाम से डर गए मोदी ? रक्षा मंत्रालय ने क्यों हटाए दस्तावेज ?

फोकस भारत। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को देश की राजनीति और विभिन्न मंत्रालयों ने शायद गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। चीनी सैनिकों की लद्दाख में घुसपैठ पर राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे थे। इस मामले में प्रधानमंत्री का दावा था कि चीन ने सिर्फ बफर जोन में कुछ हलचल की है, भारतीय सीमा का अतिक्रमण नहीं किया है। लेकिन राहुल गांधी लगातार इस मुद्दे पर सरकार को घेरते रहे। अब रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से चीनी अतिक्रमण के के दस्तावेज अचानक छुपा दिये गए हैं या उन्हें हटा दिया गया है। ऐसे में राहुल के आरोपों को बल मिला है और ये सवाल भी पुष्ट होने लगा है कि प्रधानमंत्री ने एलएसी के मुद्दे पर क्या वाकई देश से झूठ बोला ?

 

राहुल गांधी का ट्वीट वॉर

कांग्रेस नेता राहुल ने ट्वीटर पर लद्दाख में चीन के हस्तक्षेप को लेकर लगातार मुहिम चलाई है। उन्होंने अपने लेटेस्ट ट्वीट में कहा है कि -चीन का सामना करना तो दूर की बात,  भारत के प्रधानमंत्री में उनका नाम तक लेने का साहस नहीं है। इस बात से इनकार करना कि चीन हमारी मातृभूमि पर है और वेबसाइट से दस्तावेज़ हटाने से तथ्य नहीं बदलेंगे। यहां उल्लेखनीय है कि राहुल ने प्रधानमंत्री के लद्दाख दौरे और रक्षा मंत्रालय की साइट पर दस्तावेजों को हटाए जाने को मुद्दा बनाया है, जो वाकई काबिल-ए-मुद्दा है।

राहुल का सवाल- प्रधानमंत्री झूठ क्यों बोलते हैं ?

राहुल गांधी ने प्रमुख समाचार पत्र जनसत्ता में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए पूछा है कि प्रधानमंत्री झूठ क्यों बोलते हैं ? असल सवाल ही यही है कि प्रधानमंत्री ने क्या झूठ बोला है, और अगर चीन की हरकतों को लेकर कुछ बोला भी है, तो क्या वो झूठ की श्रेणी में आता है ?

अखबार ने क्या छापा ?

पहले आपको बताते हैं कि जनसत्ता ने क्या छापा है- अखबरा का कहना है कि पहली बार सरकार ने मई में चीन की घुसपैठ की बात कबूली है, इस बाबत रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी ब्योरे का भी अखबार ने हवाला दिया। खबर में कहा गया है कि मंत्रालय ने उस वक्त ये ब्योरा जारी किया है जब शीर्ष स्तर की सैन्य वार्ता के पांच दौर के बावजूद पैंगोंग त्सो और गोगरा में गतिरोध बना हुआ है। हालांकि राहुल गांधी के हमले के बाद रक्षा मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट से चीनी सैनिकों के अतिक्रमण से जुड़े दस्तावेज हटा लिए। इसके बाद मुखर हुए राहुल ने ट्वीट कर कहा कि सच्चाई को नकारने और रिपोर्ट हटाने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे।

क्या था मंत्रालय की साइट के दस्तावेज में ?

दस्तावेज में पहली बार आधिकारिक तौर पर स्वीकारा गया था कि चीनी सैनिकों ने मई में पूर्वी लद्दाख में भारतीय इलाके में घुसपैठ की थी और मौजूदा गतिरोध लंबा खिंच सकता है। 17-18 मई को चीनी सेना ने भारतीय सीमा का उल्लंघन किया। चीनी पक्ष ने कुगरांग नाला (हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास), गोगरा (पट्रोलिंग पॉइंट 17 ए) और पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया था। मौजूदा गतिरोध लंबा चल सकता है और जो हालात पैदा हो रहे हैं, उन पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत हो सकती है।

क्या कहा था प्रधानमंत्री मोदी ने ?

गलवान घाठी में चीनी सैनिकों से भारतीय सैनिकों की झड़प और 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद लद्दाख पहुंचे प्रधानमंत्री ने कहा था कि न तो कोई भारतीय क्षेत्र में घुसा और न ही कोई अभी घुसा हुआ है। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा था कि हम एक इंच भी घुसपैठ बर्दाश्त नहीं करेंगे और विस्तारवादी नीति का अंत हो चुका है। इस पूरे बयान में मोदी ने एक बार भी चीन का नाम नहीं लिया था, इशारों में ही बात की थी जिसका तात्पर्य चीन से था।

क्या कांग्रेस मामले को भुना पाएगी ?

राहुल गांधी के तमाम आरोपों को लेकर कांग्रेस के प्रवक्ता अजय माकन ने संवादादाता सम्मेलन में रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से चीनी अतिक्रमण से जुड़ी रिपोर्ट को हटाए जाने पर सवाल तो उठाया है। साथ ही आरोप है कि प्रधानमंत्री को बचाने के लिए ऐसा किया गया है। लेकिन क्या अब कांग्रेस उस पॉजीशन में है कि इस मुद्दे पर देशव्यापी लहर बना सके। क्योंकि मामला राष्ट्र की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। और क्या भाजपा इस कूटनीतिक हार को स्वीकार कर पाएगी ? जबकि कांग्रेस का कहना है कि भारतीय सेना और आईटीबीपी पीछे हट रही है लेकिन चीनी सेना पीछे नहीं हट रही है।

बहरहाल, बिहार में चुनाव की सुगबुगाहट है और कोरोना के चलते रैलियों का स्वरूप वर्चुअल हो चुका है। राहुल गांधी ने गुरूवार को वीसी के जरिए बिहार इकाई के नेताओं से बात की, साथ ही वर्चुअल रैली को संबोधित भई किया। राहुल ने यहां चुनावी पत्ता भी खेल दिया और कहा कि चीन ने बिहार रेजीमेंट के 20 जवानों को मार दिया लेकिन हमारे पीएम चुप हैं और चीन हमारी जमीन कब्जाए बैठा है।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा