आगे रास्ता बंद है…!

  • सीबीआई को क्यों घुसने नहीं देना चाहते गहलोत ?
  • क्या सीबीआई आई, और सरकार गई ?

फोकस भारत। राजस्थान में पैंतरे का जवाब पैंतरे से दिया जा रहा है। मामला संगीन है लेकिन राजनीति में रूचि रखने वालों के लिए यह ड्रामा अब्बास मस्तान की फिल्म से कम नहीं है। राजस्थान में दो छुटभैये नेता एक दूसरे से बात कर रहे थे। कुछ खरीदने और कुछ गिराने की बात चल रही थी। हथियारों की तस्करी पर कान साधे पुलिस ने ये बातचीत सुनी तो हरिराम नाई की तरह जेलर साब यानी मुख्यमंत्री महोदय के पास पहुंच गई- ‘आपकी जेल में सुरंग है’ अर्थात आपकी ही पार्टी के नेता सुरंग बनाकर भाजपा के खेमे में जाने की कोशिश कर रहे हैं, वो भी सरकार गिराकर।

अशोक गहलोत सरकार ने इस मामले में एसओजी का इस्तेमाल किया। और सही ही किया। वो मुखिया ही क्या जो अपनी ही ताकत का इस्तेमाल न कर सके। तो पुलिस ने भी बड़ी वफादारी से तरफदारी निभाई। अशोक गहलोत जानते हैं कि इस तरह की एजेंसियां कितनी काम की होती हैं और क्या से क्या कर सकती हैं। बस इसीलिये अशोक गहलोत को डर है कि केंद्र सरकार सीबीआई का तोता उनकी सरकार के पीछे न लगा दे, इनकम टैक्स और ईडी की ‘मैना’ तो दाना चुग ही गई है। मजे की बात ये है कि जिस ऑडियो टेप को हासिल करने में अशोक गहलोत ने एसओजी का सहारा लिया, उसी ऑडियो टेप मामले की जांच करने में केंद्र सरकार सीबीआई का आसरा लेना चाहती है।

मामले की गंभीरता को समझते हुए गहलोत सरकार ने उस आम सहमति को खारिज कर दिया जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 6 कहते हैं। इस धारा के तहत केंद्र, राज्यों में सीबीआई जांच कर सकता है। अब सीबीआई को राजस्थान में घुसने के लिए राजस्थान सरकार की इजाजत लेनी पड़ेगी, जिसे फिलहाल वह देने के मूड में है नहीं।

सवाल ये भी कि ऐसा क्या हो गया जो अशोक गहलोत सीबीआई के नाम से इतना डर ही गये और आम सहमति की ही टांग तोड़ दी और राज्य गृह विभाग से अधिसूचना भी जारी करवा दी। वैसे यही कारनामा 1990 में भी हुआ था। बीजेपी के पूनिया जी भले इसे ‘आपातकाल’ करार दे दें लेकिन डिफेंस खेलना हर खिलाड़ी का हक होता है।

अशोक गहलोत ने तोते के पर पहले ही कतर दिये, क्योंकि सीबीआई, ईडी, आईटी के बहाने बीजेपी ने कम सियासी गुल नहीं खिलाए हैं।

  • -कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने राज्यसभा चुनाव में फूट के डर से अपने 40 विधायकों को गृहमंत्री के पर्सनल रिजॉर्ट में रखवा दिया, उस समय उसी रिजॉर्ट पर आयकर विभाग का छापा पड़ गया, इसका क्या मतलब ?
  • -राबर्ट वाड्रा पर जमीन सौदों में गड़बड़ी का आरोप लगा, फरीदाबाद उनके तीन ठिकानों पर ईडी ने छापा मार दिया, वे सोनिया के दामाद हैं इसलिए छापे मारे गए ऐसे आरोप लगे।
  • -एक थे वीरभद्र सिंह, हिमाचल के सीएम थे। आरोप लगा कि यूपीए सरकार में मंत्री रहते हुए उन्होंने मोटा माल खेंचा, बेटी की शादी के दिन ही 11 ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मार दिये।
  • -केजरीवाल पहाड़ से टकरा जाएंगे लेकिन बीजेपी से टकराने में डरने लगे हैं, दिल्ली में आप के 10 से ज्यादा विधायकों को पुलिस अलग-अलग मामलों में पकड़ ले गई, केजरीवाल के शासन सचिव को सीबीआई ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया, जानते हो क्यों ?
  • -ममता दीदी ने सीबीआई के तोतों को अपनी पुलिस के जवानों ने खूब पिटवाया। वे जानती हैं कि चिटफंड और नारदा स्टिंग में उनके कई नेता फंसे हैं। परिवहन मंत्री तक की गिरफ्तारी हो गई थी। दर्जनभर नेता लपेटे जाते, सीबीआई ने आरोप दर्ज किया था। अब ममता भी शांत हैं और तोता भी, कोरोना की वजह से सब शांति है।
  • -मायावती ने बड़े हाथी खड़े किए थे। उनके भैया आनंद कुमार, आनंद से जीवन यापन कर रहे थे कि आय से अधिक संपत्ति मामले में लिपट गए। ईडी और आईटी के छापे भी पड़ लिए। मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं ये आनंद 7 करोड़ के मालिक थे, कुछ ही बरसों में  तेरह सौ करोड़ के आसामी हो गए थे। बहन जी कहती रहीं- बीजेपी फंसा रही है।
  • -यूपी के यादव परिवार की फूट तो आपको याद ही होगी, मुलायम जी ने बड़ी मुलायमियत से आरोप लगाया था कि सब बीजेपी का किया धरा था, रामगोपाल यादव को सीबीआई का डर दिखाकर उससे सब कुछ कराया गया। दरअसल रामगोपाल एक मित्र रहे यादव सिंह, सुना नोएडा विकास प्राधिकरण में पूर्व चीफ इंजीनियर थे। उन्हीं को धर लिया गया था, शायद वे मुंह खोलते तो यादव परिवार के लिए कोई भली-बुरी बात निकल जाती। आरोप है कि रामगोपाल जी दबाव में बहक गए थे।
  • -लालू जी तो अंदर हइये हैं, लेकिन बाहर तेजस्वी-तेजप्रतापवा ई लोग भी बड़ा मॉल और माल बना रहा था बाहर। ईडी और सीबीआई ने तेजस्वी के ठिकानों को खोज खोज कर छापे मारे। लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ लिया और सरकार टूटकर भाजपा की झोली में आ गिरी।

ये कुछ ऐसी सच्ची-झूठी, आधी हकीकत-आधा फसाना वाली कहानियां जो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खूब सुन रखी थीं। शायद देख भी ऱखी थीं। इसीलिये उन्होंने तय किया कि अभी राजस्थान में राजनीतिक संकट के बादल हैं, तो ऐसे में सीबीआई को राज्य से बाहर ही रखा जाए, उतना ही बेहतर।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा