फोकस भारत। आज केन्द्रीय जल मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है जिसमें उन्होंने कहा कि ‘लॉकडाउन नहीं, मोदी सरकार की कोशिशों से साफ हुई है गंगा’ लेकिन फोकस भारत ने इसकी तह तक जाने के लिए पिछले कुछ बयान खंगाले जिनसे साफ है कि मोदी सरकार लॉकडाउन को भुनाने में लगी है।
आजतक को दिया ये बयान
e-एजेंडा आजतक की तीसरी कड़ी जान भी जहान भी के मंच पर गंगा के प्रदूषण और उसमें सफाई को लेकर केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से गंगा साफ नहीं हुई बल्कि मोदी सरकार के काम का असर दिख रहा है, इस बार पिछले वर्ष की तुलना में 56 फीसदी पानी ज्यादा पिछले दस साल के औसत से 46 फीसदी ज्यादा पानी इस साल हमारे बांधों में है।
कुछ दिन पहले ये दिया था बयान
कुछ दिनो पहले एबीपी न्यूज को जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा था कि उद्योगों से होने वाले जल प्रदूषण और वर्तमान हालात का अध्ययन किया जा रहा है, शेखावत ने ये माना कि लॉक डाउन के दौरान यमुना का पानी भी साफ हुआ है लेकिन कहा कि इसका एकमात्र कारण उद्योगों का बंद होना नहीं है, उनके मुताबिक़ पिछले दिनों बरसात का पानी भी यमुना में आया है, जिससे नदी साफ हुई है।
लॉकडाउन से कैसे नदियों का पानी हुआ साफ
लॉकडाउन शुरू होने के बाद कुछ तस्वीरें वायरल हुई थीं जिसमें दिल्ली में हमेशा मैली दिखने वाली यमुना नदी का पानी बिल्कुल साफ़ और स्वच्छ दिखाया गया था, गंगा के पानी की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आ गया है? सूत्रों के मुताबिक, लॉकडाउन के चलते बन्द पड़े कल कारखानों के चलते उससे निकलने वाला कचरा नदियों में कम जा रहा है लेकिन नगरों और महानगरों के सीवेज का गंदा पानी अभी भी गंगा और यमुना जैसी नदियों में जाना जारी है। उत्तर प्रदेश , बिहार और बंगाल जैसे राज्यों में गंगा में जाने वाला 80 फ़ीसदी गन्दा पानी सीवेज से ही जाता है,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Mod) ने 24 मार्च को ही 21 दिनों के लॉकडाउन (Lockdown) की घोषणा कर दी थी। इस लॉकडाउन का परिणाम ये हुआ है कि लोगों के घरों में रहने और कारखानों में पूरी तरह से ताला लगे होने के कारण अब वाराणसी और हरिद्वार से बहने वाली गंगा नदी के पानी की गुणवत्ता काफी बेहतर हो गई है। वैज्ञानिकों का दावा है कि गंगा का पानी इतना स्वच्छ हो गया है कि उसे सीधे पिया जा सकता है। न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक हरिद्वार के घाट पूरी तरह से बंद होने के कारण कोई भी गंगा नदी में नहाने नहीं आ रहा है। लोगों के गंगा में डुबकी न लगाने और कचरा न फेंके जाने से पानी पूरी तरह से साफ दिखाई देने लगा है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अब गंगा नदी में मछलियों को आसानी से देखा जा सकता है।आईआईटी-बीएचयू के एक प्रोफेसर ने भी एएनआई को बताया कि गंगा में प्रदूषण का दसवां हिस्सा उद्योगों, आसपास के होटलों और अन्य स्रोतों से आता है। इन सभी के बंद होने से पानी की गुणवत्ता में 40 से 50 प्रतिशत तक का सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में बारिश हो जाने से गंगा का जल स्तर भी काफी बढ़ गया है
गंगा साफ होने में 10-15 साल लगेंगे: जावड़ेकर
बीबीसी हिन्दी को साल 2016 में दिये एक इंटरव्यू में पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना था कि, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि पांच साल में ही गंगा मिशन पूरा हो जाएगा. लेकिन पांच साल में एक बड़ी तब्दीली देखने को मिलेगी, यह एक लंबी परियोजना है.” वो आगे कहते हैं, “पचास या साठ साल पहले राइन और टेम्स नदियों की भी यही दुर्दशा थी, इनके हालात बदलने में बीस साल लग गए, हम भी गंगा को साफ करने के लक्ष्य को 10 से 15 सालों में हासिल कर लेंगे”