न लॉकडाउन, न कर्फ्यू, फिर भी इस देश ने कोरोना को दी मात

फोकस भारत। दक्षिण कोरिया ने बिना लॉकडाउन-कर्फ्यू के कोरोना पर काबू किया है। लेकिन क्या भारत जैसे देश सीख ले रहे हैं, क्या ऐसी तैयारी है? क्या लॉकडाउन से ही सब ठीक हो जाएगा? जाँच किट जैसे मेडिकल सामग्री पर्याप्त हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ बता रही है?

 

दक्षिण कोरिया में जहाँ हर रोज़ 900 से ज़्यादा मामले आने लगे थे वहाँ अब हर रोज़ 60-70 मामले आ रहे हैं। वहाँ अब तक 9037 मामले आए और 120 लोगों की मौत हुई। कोरोना पीड़ितों की मृत्यु दर भी एक फ़ीसदी से कम है। जबकि दुनिया भर में यह औसत क़रीब 3-4 फ़ीसदी है। इटली में तो यह मृत्यु दर इसकी दोगुनी है। तो दक्षिण कोरिया ने ऐसा कैसे कर दिखाया? क्या इसके पीछे उसकी ज़बरदस्त तैयारी नहीं रही है?  और क्या भारत जैसे दूसरे देशों के लिए सबक़ नहीं है? कोरोना वायरस से लड़ने में दक्षिण कोरिया एक मिसाल साबित हुआ है। तभी तो विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ इससे दूसरे देशों को सीख लेने के लिए कहा रहा है। और तभी फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफ़न लॉवन  ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन से बात कर आग्रह कर रहे हैं कि वह इस वायरस से लड़ने के लिए उपायों की विस्तृत जानकारी उनके साथ साझा करें। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक   ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने इस पर रिपोर्ट बनाई है।

1 उपाय

जब जनवरी के आख़िर में पहला मामला सामने आया तो सरकारी अधिकारियों ने कई मेडिकल कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की और आपातकालीन मंजूरी देने का वादा करते हुए उनसे आग्रह किया कि तुरंत ही वे कोरोना वायरस जाँच किट बनाना शुरू कर दें। जब देश में दो हफ़्ते के भीतर पॉजिटिव मामलों की संख्या दो अंकों में भी नहीं पहुँचा था तब उसने हज़ारों जाँच किट तैयार कर लिए थे। अब हर रोज़ एक लाख ऐसे किट को तैयार किया जा रहा है और दूसरे देशों को किट निर्यात करने के लिए बातचीत चल रही है।

 

2 उपाय

यह जाँच किट के उपलब्ध होने का नतीजा था कि इसने किसी भी देश से ज़्यादा लोगों की जाँच की है और ऐसे मरीजों को अलग-थलग कर इलाज किया है। दक्षिण कोरिया ने 3 लाख से ज़्यादा लोगों की जाँच की है जो प्रति व्यक्ति के स्तर पर अमेरिका से 40 गुना ज़्यादा है। इससे दक्षिण कोरिया की तैयारी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। हॉस्पिटलों में भीड़ नहीं बढ़े इसके लिए इसने अतिरिक्त 600 जाँच केंद्र खोल दिए। सड़कों के किनारे भी। जहाँ कार चला रहे व्यक्ति को बिना कार से उतरे ही 10 मिनट में जाँच हो जाती है और घंटे भर में ही उसका परिणाम भी आ जाता है। बार-बार सार्वजनिक माध्यमों से जाँच कराने की सूचना दी जाती है। विदेशों से आए यात्रियों को स्मार्टफ़ोन एप डाउनलोड करना ज़रूरी होता है जो उन्हें ख़ुद से लक्षणों को पता लगाने में मदद करती है। होटलों और बड़ी बिल्डिंगों में तापमान मापकर ही प्रवेश दिया जाता है।

3 उपाय

यदि किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो स्वास्थ्य कर्मी उस मरीज की आवाजाही की पूरी रिपोर्ट निकालते हैं कि वह कहाँ-कहाँ और कब गया था। फिर जो भी उसके संपर्क में आए हुए रहते हैं उनकी भी जाँच की जाती है और ज़रूरी होने पर उन सभी को अलग-थलग कर दिया जाता है। इससे तुरंत ही ऐसे लोगों का पता लगाने में सहायता मिलती है जिन्हें इस वायरस का संक्रमण हुआ हो।  दक्षिण कोरिया के लोगों के मोबाइल फ़ोन वाइब्रेट होने लगते हैं यदि उनके ज़िले में कोरोना वायरस का कोई नया केस सामने आता है। वेबसाइट और मोबाइल फ़ोन ऐप पर इसकी जानकारी हर घंटे और कभी-कभी हर मिनट अपडेट की जाती है। इसमें यह जानकारी दी जाती है कि संक्रमित व्यक्ति किस समय कहाँ-कहाँ गया, कौन-सी बस या गाड़ी पकड़ी, और यहाँ तक कि वह व्यक्ति मास्क पहने हुए था या नहीं। जिन लोगों को लगता है कि वे उस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए होंगे वे अपनी जाँच करा लेते हैं।

 

4 उपाय

चूँकि स्वास्थ्य कर्मी या शरीर का तापमान मापने के लिए लोग पर्याप्त नहीं हैं तो इस काम के लिए लोगों को लाने की व्यवस्था करनी होती है। वहाँ के नेताओं ने माना कि वायरस को रोकने के लिए ज़रूरी था कि लोगों को पूरी जानकारी हो और उनसे सहयोग माँगा जाए। इसके लिए सभी सार्वजनिक माध्यमों से लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की बार-बार अपील की गई। कई पोल सर्वे में यह बात सामने आई कि अधिकतर लोगों ने सरकार के प्रयासों की सराहना की, उनका विश्वास बना रहा और वे बहुत कम घबराए।

 

5 उपाय

जल्द टेस्ट और बेहतर इलाज से ही कोरोना वायरस के मामले कम हुए हैं। इसलिए मौतें भी कम हुईं. हमने 600 से ज्यादा टेस्टिंग सेंटर खोले. 50 से ज्यादा ड्राइविंग स्टेशनों पर स्क्रीनिंग की। कांग युंग वा ने बताया कि रिमोट टेम्परेचर स्कैनर और गले की खराबी जांची, जिसमें महज 10 मिनट लगे। एक घंटे के अंदर रिपोर्ट मिले, इसकी व्यवस्था की गई थी। हमने हर जगह पारदर्शी फोनबूथ को टेस्टिंग सेंटर में तब्दील किया। द. कोरिया में संक्रमण जांचने के लिए सरकार ने बड़ी इमारतों, होटलों, पार्किंग और सार्वजनिक स्थानों पर थर्मल इमेजिंग कैमरे लगाए, जिससे बुखार पीड़ित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके

 

6 उपाय

द. कोरिया के विशेषज्ञों ने लोगों को संक्रमण से बचने के लिए हाथों के इस्तेमाल का तरीका भी सिखाया। यह तरीका बेहद नया था, इसमें अगर व्यक्ति दाएं हाथ से काम करता है, तो उसे मोबाइल चलाने, दरवाजे का हैंडल पकड़ने और हर छोटे-बड़े काम में बाएं हाथ का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई ।ठीक, इसी तरह बाएं हाथ से ज्यादातर काम करने वालों को दाएं हाथ के इस्तेमाल के लिए कहा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि व्यक्ति जिस हाथ का ज्यादा इस्तेमाल रोजमर्रा के कामों के लिए करता है, वही हाथ सबसे पहले चेहरे पर भी जाता है यह तकनीक बेहद कारगर रही।

 

 

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