फोकस भारत। मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुजरात कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी राकेश अस्थाना (IPS Rakesh Asthana ) को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर(New Police Commissioner) नियुक्त करने का आदेश जारी किया, तो ये उनकी पाँचवीं नियुक्ति थी। वो भी सेवानिवृत होने से सिर्फ़ चार दिनों पहले। गौरतलब है कि राकेश अस्थाना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का करीबी माना जाता है। मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय से ही अस्थाना उनके और अमित शाह के खास पुलिस अधिकारियों में गिने जाते रहे हैं।
कौन है राकेश अस्थाना
1961 में पैदा हुए राकेश अस्थाना, 31 जुलाई को सेवानिवृत हो रहे थे, लेकिन सरकार ने उन्हें एक साल का एक्सटेंशन दे दिया है। गृह मंत्रालय का आदेश आने से पहले राकेश अस्थान सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के डीजी और एनसीबी (नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के चीफ के पद पर नियुक्त थे। राकेश अस्थाना धनबाद में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के एसपी रह चुके हैं। रांची में वे डीआईजी भी रहे. 1994 में उन्होंने सनसनीखेज पुरुलिया आर्म्स ड्रॉप केस की फील्ड इंवेस्टिगेशन सुपरवाइज की थी। इसके बाद उन्हें बिहार के चर्चित चारा घोटाले की जांच सौंपी गई थी। तब उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को गिरफ्तार कर लिया था। अस्थाना ने ही धनबाद में डीजीएमएस के महानिदेशक को घूस लेते पकड़ा था।
विवाद-
राकेश अस्थाना वही अधिकारी हैं जिनकी निगरानी में सुशांत सिंह-रिया चक्रवर्ती ड्रग्स कनेक्शन मामले में दो एफआईआर दर्ज की गई थी। बीएसएफ का डीजी बनाए जाने से पहले राकेश अस्थाना सीबीआई में स्पेशल डायरेक्टर भी रह चुके हैं। उनके इस पद पर रहते तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने उनके खिलाफ कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया था। वहीं, अस्थाना ने भी आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। सीबीआई में आने से पहले राकेश अस्थाना गुजरात में सूरत के कमिश्नर रहे। उन्होंने आसाराम मामले में एक महत्वपूर्ण जांच अपनी निगरानी में शुरू की थी, जिसमें आसाराम और उसके बेटे नारायण साईं की गिरफ्तारी भी की गई थी। इसके अलावा राकेश अस्थाना ने दिल्ली, मुंबई और देश के कई राज्यों में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की कमान संभालते हुए कई बड़े ड्रग्स ऑपरेशन किए हैं.