Rajiv Gandhi Ram Mandir। ‘राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट’…राजनीति में राम नाम की लूट मची है। हालांकि कांग्रेस (Rajiv Gandhi Ram Mandir)को कभी ये भरोसा नहीं रहा कि राम का मंदिर बन सकता है। लिहाजा इसे लटकाए रखना और तुष्टिकरण की नीति पर सेकुलरिज्म के भरोसे राजनीति किए जाना ही उसकी नियति थी। लेकिन समय बदला और समीकरण बदले। एक संगठन के राम मंदिर के एजेंडे को बीजेपी ने जब अपने घोषणा पत्र में शामिल किया तो देश की राजनीति कमंडल की राजनीति में तब्दील होती नजर आई और फिर उसके जवाब में मंडल की राजनीति का बाजार भी सज गया।
कांग्रेस को नहीं मिला मोदी का विकल्प
लेकिन कांग्रेस को न जाने क्यों अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि या यूं कहें कि हिंदू की उपेक्षा की नीति ज्यादा उचित लगी और और अपनी इस नीति से न तो हट सके और न भटक सके। 2013 में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा। जब नरेंद्र मोदी नाम का ऐसा नेता सियासी फलक पर उभरा जिसकी बातों से हिन्दूवादी सोच की बू आती थी। कांग्रेस ने उसे समझने की भूल की। उसे अटल बिहारी वाजपेयी की ही अगली पीढ़ी समझ लिया गया। कांग्रेस को लगा कि अटल बिहारी का जवाब उन्होंने मनमोहन सिंह के रूप मे ढूंढ लिया था तो अब मोदी के जवाब के रूप में राहुल गांधी को आगे कर दिया जाएगा। लेकिन 5 अगस्त 2019 और 5 अगस्त 2020 की इन दो तारीखों के दरमियान ही राजनीति के कुछ समीकरण इस कदर बदल गए हैं कि कांग्रेस को अपनी गिरेबान में झांकने की जरूरत पड़ गई है। हालांकि जब जब राहुल गांधी किसी मंदिर में जनेऊ दिखाते नजर आए, मूर्तियों के आगे शीश नवाते दिखाई दिए, तभी लगने लगा था कि कांग्रेस अब रास्ते से भटक चली है।
क्या हिंदुत्व के मुद्दे पर लौटना चाहती है कांग्रेस ?
राम मंदिर के बहाने एक सवाल अब अचानक पैदा हो गया है। कांग्रेस का भविष्य क्या होगा? उसकी सोच क्या होगी और रास्ता क्या होगा? हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस भयंकर रूप से कन्फ्यूज़ नजर आ रही है। एक तरफ वो अपने पर हिंदुत्व का ठप्पा नहीं लगने देना चाहती तो दूसरी तरफ बहुसंख्यक हिंदू वोट बैंक को यूं भाजपा के खाते में जाते भी नहीं देखना चाहती। कांग्रेस को आम आदमी पार्टी से कुछ सीखना चाहिए, जिसे बैलेंस करना आता है।
राजीव गांधी की तस्वीर वायरल करने का मकसद
प्रियंका गांधी नाम के एक पेज से राजीव गांधी की पुरानी तस्वीर वायरल की गई। हालांकि यह प्रियंका का ऑफीशियल ट्वीटर हैंडलर नहीं था, लेकिन काम किसी पक्के कांग्रेसी का था, तस्वीर में दावा किया गया कि ये तस्वीरें 9 नवंबर 1989 की हैं, उस दिन राम मंदिर का भूमि पूजन किया गया था, तब के पंडे आज की तरह ढोंगी नहीं थे, आप सिर्फ हिंदुत्व का ढोंग करते हैं। तस्वीर में राजीव गांधी कुर्ता और दुपट्टा डाले कुछ संतों के साथ नजर आ रहे हैं। हालांकि इस तस्वीर की पोल भी जल्दी ही खुल गई। ये तस्वीर 1989 की ही है, लेकिन तब की है जब इस्कॉन से जुड़ा ‘हरे रामा हरे कृष्णा मिशन’ का सोवित सदस्यों का दल रूसी भाषा में लिखी श्रीमदभागवत गीता प्रधानमंत्री को भेंट करने पहुंचा था। इस तस्वीर का कॉपीराइट भी इस्कॉन के पास है।
कांग्रेस को क्यों याद आ रही है राम मंदिर में राजीव की भूमिका ?
इसमें कोई दोराय नहीं कि राजीव गांधी ने विवादित राम जन्म भूमि स्थल से कुछ दूरी पर भूमि पूजन की इजाजत दी थी, इसकी वजह थी आने वाले चुनाव, वे हिंदू भावना को आहत कर बड़ा वोट बैंक खोना नहीं चाहते थे। लेकिन उन्होंने शिलान्यास समारोह से दूरी बनाई थी, ये भी सच है।
कांग्रेस नेताओं को बदले हुए सुर क्या कहते हैं ?
अब तक राम के वजूद पर ही सवाल उठाने वाले कांग्रेस नेताओं के सुर बदले हुए हैं। एक से एक दलीलें दी जा रही हैं। हिन्दू की आस्था पर डोरे डालने की कोशिशें की जा रही हैं।
राहुल गांधी तो अच्छी खासी कविता लिख डाली। लिखा –
मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सर्वोत्तम मानवीय गुणों का स्वरूप हैं। राम प्रेम हैं, वे कभी घृणा में प्रकट नहीं हो सकते, राम करुणा हैं, वे कभी क्रूरता में प्रकट नहीं हो सकते, राम न्याय हैं, वे कभी अन्याय में प्रकट नहीं हो सकते। कुल मिलाकर राहुल गांधी ने घृणा, क्रूरता और अन्याय जैसे शब्दों का इस्तेमाल किस पार्टी के लिए किया है, इस पर ज्यादा दिमाग खर्च करने की जरूरत नहीं है।
दिग्गज कांग्रेसी दिग्विजय सिंह ने कहा-
राजीव गांधी चाहते थे कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और रामलला वहां विराजें, हमारी आस्था का केंद्र राम ही हैं और देश रामभरोसे ही चल रहा है।
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ ने राम मंदिर निर्माण का स्वागत किया। कहा कि – भगवान राम सबके हैं। कमलनाथ ने तो भगवा चोला पहने तस्वीर को ही प्रोफाइल पिक्चर बना लिया। अपने आवास पर हनुमान चालीसा भी करा डाली। राम मंदिर की नींव के लिए कमलनाथ ने 11 चांदी की ईंटे तक अयोध्या भिजवा दीं। कमलनाथ ने लिखा-
आज अगर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जिंदा होते तो मंदिर निर्माण को लेकर उन्हें सबसे ज्यादा खुशी होती, हम मंदिर निर्माण का स्वागत करते हैं। राजीव गांधी की वजह से ही राम मंदिर का सपना साकार हो रहा है।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए, कहा –
राम भाजपा की बपौती नहीं हैं, भाजपा धार्मिक विवाद पैदा कर रही है। राम एक आदर्श व्यक्ति हैं जिनकी छवि लाखों लोगों के दिलों और दिमागों पर गहराई से अंकित है। गांधीजी रामधुन गाया करते थे, वे अपने अंतिम क्षणों में भी हे राम कहकर गए। कुछ वाम बुद्धिजीवी कांग्रेस पर भाजपा के रंग में रंगने का आरोप लगा रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने हिंदुओं या मुस्लिमों को उकसाया नहीं। कांग्रेस ने कभी भी राम मंदिर का विरोध नहीं किया।
बहरहाल, राम मंदिर का शिला पूजन हो ही गया। 2007 में राहुल गांधी ने अपने पिता की एक याद शेयर करते हुए कहा था कि मेरे पिता ने मेरी मां से कहा था, कि वे बाबरी मस्जिद के सामने खड़े हो जाएंगे, मंदिर के आंदोलनकारियों को पहले मुझे मारना होगा। कुल मिलाकर कांग्रेस हिंदू वोटबैंक छिटकने से ज्यादा चिंता करती है परंपरागत मुस्लिम वोटबैंक के किनारा करने से। लिहाजा वह तय नहीं कर पा रही है कि राम मंदिर मुद्दे पर आखिर क्या प्रतिक्रिया दी जाए। कांग्रेस ने आजादी के आंदोलन से मिली भावात्मक लहर को अपने पक्ष में तीन-चार दशकों तक भुनाया था, अब उसे डर है कि भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर और धारा 370 को लंबे समय तक भुनाने में कामयाब न हो जाए।
रिपोर्ट – आशीष मिश्रा