- धारावी में कोरोना विस्फोट विध्वंशक होता
- मुंबई प्रशासन ने अपनाए महत्वपूर्ण तरीके
फोकस भारत। धारावी, मुंबई की कच्ची बस्ती। इन दिनों धारावी सुर्खियों में है। कुछ दिन पहले तक धारावी कोरोना संक्रमण की वजह से अखबारों और मीडिया की खबरों के केंद्र में रही लेकिन अब धारावी का नाम शान से लिया जा रहा है। ऐसा क्या हुआ है धारावी में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धारावी की तारीफों के पुल बांधे हैं ? जानने के लिए सबसे पहले धारावी को समझने की कोशिश करते हैं।
धारावी को जानें
मुंबई के माहिम से सायन के बीच बसा लगभग ढाई वर्ग किलोमीटर का कच्ची बस्ती एरिया धारावी कहलाता है। दूर तक फैली स्लम्स इसकी पहचान हैं। माना जाता है कि इस झुग्गी झोंपड़ी की आबादी साढे छह लाख से ऊपर बताई जाती है। ऐसा माना जाता था कि धारावी मुंबई की सबसे बड़ी कच्ची बस्ती है लेकिन 2011 की जनसंख्या गणना के बाद यह जानकारी सामने आई कि धारावी से बड़ी मुम्बई में ही चार और गंदी बस्तियां हैं। लगभग 70 फीसदी साक्षरता के साथ यह भारत की सबसे साक्षर झुग्गी बस्ती है। बस्ती में लगभग 30 फीसदी आबादी मुस्लिम्स की है। धारावी के लोग आस-पास के पॉश इलाकों में घरेलू सेवक, चमड़े का काम, मांस मछली, कारपेंटर, टाइल्स, मिट्टी के बर्तन, ऑटो-टैक्सी चलने जैसे छोटे काम करते हैं। अधिकांश लोग बाहर से काम की तलाश में आए ग्रामीण लोग हैं जो यहां कई वर्षों से रह रहे हैं। सांताक्रूज, विले पार्ले और माहिम जैसे इलाके धारावी आस-पास हैं। महंगी मुंबई में धारावी बाहर से आने वालों को सस्ता किराया आवास विकल्प भी मुहैया कराती है। धारावी को बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों में आपने कई बार देखा होगा। फिल्म ‘नायक’ और ‘स्लमडॉग मिलेनियर’ के जरिए शायद आप धारावी को जान चुके होंगे।
धारावी में कोरोना संक्रमण
धारावी में एक अप्रैल को कोरोना का पहला केस सामने आया था। केस आने के बाद मुंबई प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। क्योंकि यहां बड़ी तादाद में घरों में शौचालय नहीं हैं, लोग पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं। झुग्गियां आपस में सटी हैं और एक झुग्गी में दस से पंद्रह लोग रहते हैं। ऐसे में क्या आइसोलेशन, क्या होम क्वारेन्टीन और क्या सोशल डिस्टेंस, संभव ही नहीं। ऐसे में प्रशासन ने नई रणनीति बनाई । कैंप लगाकर लोगों का टेम्प्रेचर लिया, नजदीकी स्कूल कॉलेज को क्वारेन्टीन सेंटर बनाया और लक्षण पाए जाने पर सेंटर्स में बेहतरीन सुविधाओं के साथ मरीजों को रखकर तुरंत इलाज किया। नतीजा ये रहा कि 77 फीसदी एक्टिव मरीज ठीक होकर घर जा सके।
कोरोना पर धारावी में यूं पाया काबू ?
बीएमसी के लगभग ढाई हजार लोग यहां काम में जुटे थे। जिनमें से 12 सौ से ज्यादा लोग मेडिकल टीम में शामिल थे और दर्जनभर डॉक्टरों ने दिन रात काम करके कोरोना को काफी कंट्रोल किया। फिलहाल धारावी में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 11 जुलाई को 2350 से ज्यादा रही। 166 मरीजों का उपचार किया जा रहा है और लगभग 2 हजार मरीजों को अब तक अस्पताल से छुट्टी दी गई है। मरीजों की संख्या लगातार गिरने से इलाके के 12 से मे 3 क्वारेन्टीन सेंटर बंद कर दिए गए हैं।
इसलिए की डब्लूएचओ ने तारीफ
धारावी में अगर कोरोना विस्फोट होता तो स्थिति बहुत खराब हो सकती थी। लेकिन बीएमसी की कोशिशें रंग लाईं। यहां कोरोना पर ब्रेक लगाने की मुंबई प्रशासन की क्षमता को देखते हुए डब्लूएचओ ने तारीफ की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से कहा गया कि वायरस को रोकने के लिए यहां जो कोशिशें की गईं उनकी बदौलत ही यह क्षेत्र कोरोना मुक्त होने के मुहाने पर है। संगठन के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम ने कहा – ‘भले ही यह संक्रमण कितना ही खतरनाक है लेकिन इस पर नियंत्रण किया जा सकता है, इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया और मुंबई की धारावी इसके उदाहरण हैं।‘ उन्होंने आगे कहा कि ‘मुंबई की इस मलीन बस्ती में जांच, ट्रैसिंग, सामाजिक दूरी, मरीजों का तुंरत इलाज होने के कारण कोरोना पर यह इलाका जीत की तरफ बढ रहा है।‘
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा