Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान में भाजपा नए चेहरों को देगी मौका, क्या होंगी बड़ी चुनौतियां?

Rajasthan Assembly Election 2023: राजनैतिक विश्लेषक कहते है कि राजस्थान में भाजपा BJP Rajasthan) इस बार नए चेहरों को देगी मौका, क्या होंगी बड़ी चुनौतियां?

– सक्रिय पन्ना प्रमुख  : गुजरात में प्रत्येक वोटर से कनेक्ट रखने के लिए पन्ना प्रमुख सक्रिय है। इनकी नियुक्ति वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने के हिसाब से होती है। पन्ना प्रमुख का काम-भाजपा के कामों की प्रत्येक वोटर तक जानकारी पहुंचाने से लेकर वोटिंग वाले दिन उनको घर से वोटिंग बूथ पहुंचाना और वोट डलवाने का होता है। अगर कोई वोटर बाहर चला गया है तो यह ध्यान रखना कि कहीं कोई दूसरा व्यक्ति फर्जी वोट तो नहीं दे गया। राजस्थान में 52 हजार बूथ हैं, जिनमें से लगभग 47 हजार बूथों पर बूथ कमेटियां बन चुकी हैं। पन्ना प्रमुख बनाने का काम अभी चल रहा है।

– एकजुटता संदेश देना और नेतृत्व की होड़ को समाप्त करना : जिस तरह से कांग्रेस में नेतृत्व की होड़ खुले आम है, भाजपा में आंतरिक लड़ाई छिड़ी हुई है। इस पर तत्काल कंट्रोल करके जनता में विश्वास पैदा करना होगा कि सब साथ हैं। चुनाव से पहले लोगों में यह विश्वास पैदा करना होगा कि नेताओं की गुटबाजी समाप्त हो गई और सब मिलकर काम कर रहे हैं। एकजुट होकर काम करने की यह सबसे बड़ी चुनौती है।

– कांग्रेस सरकार के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को भुनाना : राजस्थान में संगठित अपराध, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों के ऋण माफी जैसे बड़े मुद्दे हैं। सत्ता के खिलाफ एंटी इंकम्बेंसी को भुनाने की बड़ी चुनौती भाजपा के सामने है। हालांकि भाजपा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में आक्रोश रैलियां निकालकर पब्लिक में माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। जयपुर में एक दिसंबर से इसकी शुरुआत की गई जो 14 दिसंबर तक चलेगी। चुनाव में बचे हुए एक साल में उसे कार्ययोजना बनाकर टीम तैयार करनी होगी जो मुद्दों को भुना सके।

– गिले-शिकवे भुलाकर गले लगाने की चुनौती : भाजपा के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है कि पहले तो पार्टी के नेताओं के बीच गिले-शिकवे दूर करके एकजुटता दिखाए। कांग्रेस विरोधी प्रभावशाली नेताओं को साथ में लेने की चुनौती। उदाहरण के लिए पिछले लोकसभा चुनाव में आरएलपी से जो गठबंधन हुआ था, वो जारी रहता तो सरदारशहर का उपचुनाव भाजपा 26,000 से हारने के बजाय 16000 वोटों से जीतती। क्योंकि जो आरएलपी के खाते में 46753 वोट गए, उनमें से ज्यादातर कांग्रेस विरोधी वोट थे जो भाजपा के खाते में आते। सत्ताधारी कांग्रेस के विरोधी वोटों का बंटवारा न हो इसकी कार्ययोजना बनाने की चुनौती पार्टी के सामने बनी हुई है।

– नए चेहरों को उतारने की चुनौती: गुजरात में जिन नेताओं की लोगों के बीच लोकप्रियता कम हो गई, उनके भाजपा ने टिकट काटकर नए चेहरे मैदान में उतारे। गुजरात मॉडल लागू करने की स्थिति में भाजपा को राजस्थान में ऐसे चेहरे उतारने की चुनौती होगी, जो जिताऊ हो। चुनौती यह है कि पिछले चुनाव में लोगों की ओर से नकार दिए गए नेता और गुटबाजी में लिप्त प्रभावशाली लोगों को किनारे कर नए चेहरों को मैदान में उतारा जाए।

– बगावत रोकने की बड़ी चुनौती : गुटबाजी और नए उम्मीदवारों को लाने पर उपजे असंतोष को संभालना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। संगठन में ऐसे कद्दावर नेता इस काम के लिए अपने आपको समर्पित करें तो ही यह संभव होगा।

–  क्या भाजपा सीएम का चेहरा घोषित करेगी? जहां पार्टी सत्ता में होती है, वहां सीटिंग सीएम ही अगले सीएम का दावेदार होता है। उसी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाता है। जहां पार्टी सत्ता में नहीं होती वहां संगठन के सामूहिक नेतृत्व में ही चुनाव होता है। राजस्थान में भाजपा सत्ता में नहीं है। इसलिए मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना रस्साकशी को बढ़ावा देना होगा। इसलिए लगता नहीं कि राजस्थान में भाजपा सीएम का कोई चेहरा घोषित करेगी।