सूर्यनगरी में 9.6 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का काम जल्द शुरू होगा। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री(Union Jal Shakti Minister) गजेन्द्र सिंह शेखावत(Gajendra Singh Shekhawat) ने शुक्रवार को नई दिल्ली में अधिकारियों को बुलाकर जोधपुर(Jodhpur) एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के डीपीआर कार्य की समीक्षा बैठक ली और कार्य की प्रगति का प्रेजेंटेशन देखा। केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने संबंधित अधिकारियों को स्थानीय जरूरतों से अवगत कराया। साथ ही जल्द से जल्द डीपीआर के अनुरूप कार्य निष्पादन के निर्देश दिए। शेखावत ने कहा कि पूरा प्रयास है कि एलिवेटेड रोड जनता के लिए हर दृष्टिकोण से अधिकाधिक उपयोगी बने। एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट के निर्माण में स्थानीय विरासतों का भी ध्यान रखा गया है, जिनसे संस्कृति और जनभावना जुड़ी हुई है। इस प्रोजेक्ट के एक-एक चरण को परखा जा रहा है।
शेखावत के प्रयासों से मंजूर हुआ था प्रोजेक्ट
जोधपुर के वर्षों पुराने एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया था, लेकिन केन्द्रीय मंत्री शेखावत के प्रयास से केंद्र सरकार ने करीब 1700 करोड़ रुपए मंजूर किए। जोधपुर को 561 साल के इतिहास का सबसे बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट मिला है।
नई तकनीक से निर्माण, 50 साल तक दूर होगी ट्रैफिक समस्या
जोधपुर एलिवेटेड कॉरिडोर प्रोजेक्ट का निर्माण नई तकनीक से किया जाएगा। पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने बताया था कि दोनों पिलरों के बीच करीब 100 मीटर का अंतर होगा, जबकि वर्तमान में निर्मित पिलरों में यह अंतर 30 मीटर का है। पिलरों की संख्या कम होने से सडक़ पर आने वाले अवरोध कम होंगे। साथ ही, यह एक थ्री लेयर एलिवेटेड रोड होगी। एलिवेटेड रोड बनने से 50 साल तक शहर की ट्रैफिक की समस्या दूर हो जाएगी।
शहर को मिलेगी राहत
जोधपुर शहर से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमश: एनएस-62 (नागौर -जोधपुर-पाली), एनएच-25 (बाडमेर-जोधपुर-बर) और एनएच-125 (जैसलमेर-पोकरण-जोधपुर) गुजरते हैं। तीनों राष्ट्रीय राजमार्गों के शहर के बीच से गुजरने के कारण जोधपुर की हार्टलाइन (मण्डोर-पावटा-सोजती गेट-आखलिया चैराहा) पर यातायात का दबाव बना रहता है। शहर में इस हार्टलाइन के अतिरिक्त ऐसी कोई वैकल्पिक रोड नहीं है, जिससे यातायात सुगम हो सके।