Udaipur Murder Case- राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां (Satish Poonia) ने भाजपा प्रदेश कार्यालय में मीडिया से बातचीत में उदयपुर हत्याकांड को लेकर कहा कि, प्रदेश में कानून व्यवस्था की नाकामी प्रदेश के पुलिस इंटेलिजेंस की फेल्योर और पुलिस का इकबाल खत्म होना यानि किसी की दुकान पर जाकर गर्दन काट देना ये पुलिस के इकबाल खत्म होने की सबसे बड़ी निशानी है, अपराधी बेखौफ हो जाएं और सरेआम इस तरह से अपराध करें तो ये सीधे-सीधे राज्य सरकार की कानून व्यवस्था की विफलता को बताता है।
एनआईए और केन्द्र की एजेन्सी तभी आती है तब स्थानीय प्रशासन, राज्य सरकार, पुलिस नाकाम हो जाती है और उदयपुर की इस घटना से शायद एनआईए का अपना एक संकेत है कि ये घटना केवल एक, दो या तीन व्यक्ति की नहीं है, इसके तार कहीं तक जायेंगे, कोई कह नहीं सकता, क्योंकि राजस्थान में कांग्रेस सरकार के शासन में जो सहूलियत अपराधियों को मिली हुई है, इस तरह के राज में अपीजमेंट की राजनीति हो रही है, जिस राज में पुलिस मेें राजनैतिक दखल से नियुक्तियां होती हों, जिस राज में पुलिस के बेड़े को आधुनिकीकरण के लिए संसाधन के लिए कोई सोच नहीं हो तो ऐसी परिस्थिति मेें वहां की पुलिस नाकाम हो जाती है।
राज्य का पुलिस प्रशासन और सरकार कमजोर हो जाती है तो सबसे पहले कोई दोषी हैं तो वो राजस्थान के गृहमंत्री और मुख्यमंत्री हैं, जिन पर जन सुरक्षा की नैतिक जिम्मेदारी थी पर ये अफसोस है कि वो टविटर के जरिये शांति और सदभाव की अपील करके प्रधानमंत्री जी के बारे में ये कहते हैं कि उनको आगे आना चाहिए, तो भाई आप पीछे क्यों हो, राजस्थान की जिम्मेदारी तो आपके जिम्मे है। और इसलिए स्वभाविक तौर पर एनआईए जब आया है तो ये उम्मीद की जा सकती है कि एनआईए उन सब लोगों तक पहुंचेगा तो राजस्थान की शांति और सदभाव को बिगाड़ना चाहते हैं, जो लोग ये बयान देते हैं कि पूरे देश में केरोसिन फैल जाएगा यानि ये स्पष्ट है कि किस तरह की मानसिकता से यह लोग प्रदेश को अराजकता में धकेलना चाहतेे हैं, पूरे देश में अशांति फैलाना चाहते हैं, ये पहला इंसिडेन्ट नहीं है।
राजस्थान में सिलसिले से इतनी घटनाएं हुई हैं, इन घटनाओें पर भी राज्य सरकार चेतती तो शायद इसकी पुनरावृत्ति नहीं होती। यदि कृष्णा बाल्मिकी की मॉब लिंचिंग पर चेतते, अलवर के योगेश जाटव और हरीश जाटव के इंसिडेंट, चित्तौड़गढ़ में पूर्व पार्षद रतन सोनी के बेटे के हत्याकांड पर चेतते, कुल मिलाकर लगातार एक के बाद एक घटनाएं हुई थी, उन्हें इस बात का पूरा अवसर दिया था। करौली, जोधपुर, हनुमानगढ़ में लगातार घटनाएं हुईं तो एक पूरी लंबी फेहरिस्त है राज्य सरकार को समय रहते उदयपुर मामले में कन्हैयालाल को सुरक्षा मुहैया करानी चाहिए थी।
इस मामले में प्रश्न ये है कि अपराधी पकड़े गए, लेकिन लोगों का भरोसा कैसे बढ़े तो सरकार के पास इस बात की पूरी मंशा व नीयत होनी चाहिए कि उसको फास्ट ट्रैक के जरिये या कानूनी कोई ऐसा रास्ता हो जिससे हत्यारों को जल्द से जल्द सख्त सजा मिले और पीड़ित परिवार को भी संबल मिले और जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश जाए। राज्य के मुख्यमंत्री जो स्वयं गृहमंत्री भी हैं, जो अपनी भूमिका में पूर्णतया विफल हैं, इस प्रकार की तालीबानी घटनाओं से राज्य की जनता भयभीत है और सरकार जन सुरक्षा का भरोसा देने में असफल हुई है। हम एक जिम्मेदार राजनैतिक दल के नाते अपील करते हैं कि प्रदेश में शांति और सदभाव बना रहे, लेकिन प्रश्न यह है कि राज्य में इस प्रकार की घटनाएं कांग्रेस के शासन में ही क्यों होती हैं?