Anti Defection Law -साल 1985 में संविधान में 10वीं अनुसूची जोड़ी गई, ये संविधान में 52वां संशोधन था। इसमें विधायकों और सांसदों के पार्टी बदलने पर लगाम लगाई गई। इसमें ये भी बताया गया कि दल-बदल के कारण इनकी सदस्यता भी ख़त्म हो सकती है,
-अगर कोई विधायक या सांसद ख़ुद ही अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है
– अगर कोई निर्वाचित विधायक या सांसद पार्टी लाइन के ख़िलाफ़ जाता है
– अगर कोई सदस्य पार्टी ह्विप के बावजूद वोट नहीं करता
–अगर कोई सदस्य सदन में पार्टी के निर्देशों का उल्लंघन करता है।
–इसके बाद संविधान में 91वाँ संशोधन जोड़ा गया, जिसमें व्यक्तिगत ही नहीं, सामूहिक दल बदल को असंवैधानिक करार दिया गया
विधायक कुछ परिस्थितियों में सदस्यता गँवाने से बच सकते हैं, अगर एक पार्टी के दो तिहाई सदस्य मूल पार्टी से अलग होकर दूसरी पार्टी में मिल जाते हैं, तो उनकी सदस्यता नहीं जाएगी, ऐसी स्थिति में न तो दूसरी पार्टी में विलय करने वाले सदस्य और न ही मूल पार्टी में रहने वाले सदस्य अयोग्य ठहराए जा सकते हैं
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