नेशनल हेराल्ड केस क्या है? जिस केस में ED ने सोनिया और राहुल गांधी को भेजा समन

National Herald case: https: प्रवर्तन निदेशालय (ED Notice) ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी (Rahul Gandhi)को समन भेजा है। ED ने मनी लॉन्ड्रिंग केस (अंडर सेक्शन 50 एक्ट) में राहुल को 2 जून और सोनिया को 8 जून को पूछताछ के लिए बुलाया है। सूत्रों के मुताबिक राहुल ने बाहर होने का हवाला देकर इसके लिए वक्त मांगा है, जबकि सोनिया 8 जून को पूछताछ में शामिल होंगी। दरअसल एजेंसी ने नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case)  की जांच में दोनों नेताओं को शामिल होने को कहा है। इस केस में ED ने कांग्रेस के 2 बड़े नेता पवन बंसल और मल्लिकार्जुन खड़गे को बीते 12 अप्रैल को जांच में शामिल किया था। 2014 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया और राहुल के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसमें स्वामी ने गांधी परिवार पर 55 करोड़ की गड़बड़ी का आरोप लगाया था।

नेशनल हेराल्ड केस क्या है?

ये मामला नेशनल हेराल्ड समाचारपत्र से जुड़ा है, जिसकी स्थापना 1938 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने की थी, उस समय से यह अख़बार कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता रहा था, अख़बार का मालिकाना हक़ ‘एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड’ यानी ‘एजेएल’ के पास था, जो दो और अख़बार भी छापा करती थी, हिंदी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘क़ौमी आवाज़’। आज़ादी के बाद 1956 में एसोसिएटेड जर्नल को ग़ैर व्यावसायिक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया और कंपनी एक्ट धारा 25 के अंतर्गत इसे कर मुक्त भी कर दिया गया। वर्ष 2008 में ‘एजेएल’ के सभी प्रकाशनों को निलंबित कर दिया गया और कंपनी पर 90 करोड़ रुपये का क़र्ज़ भी चढ़ गया। फिर कांग्रेस नेतृत्व ने ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक नई ग़ैर व्यावसायिक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे, ऑस्कर फर्नांडिस और सैम पित्रोदा को निदेशक बनाया गया। इस नई कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास 76 प्रतिशत शेयर थे जबकि बाकी के 24 प्रतिशत शेयर अन्य निदेशकों के पास थे।कांग्रेस पार्टी ने इस कंपनी को 90 करोड़ रुपए बतौर ऋण भी दे दिया। इस कंपनी ने ‘एजेएल’ का अधिग्रहण कर लिया। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्ष 2012 में एक याचिका दायर कर कांग्रेस के नेताओं पर ‘धोखाधड़ी’ का आरोप लगाया था। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि ‘यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड’ ने सिर्फ़ 50 लाख रुपयों में 90.25 करोड़ रुपये वसूलने का उपाय निकाला जो ‘नियमों के ख़िलाफ़’ है। याचिका में आरोप लगाया गया कि 50 लाख रुपये में नई कंपनी बनाकर ‘एजेएल’ की 2000 करोड़ रुपये की संपत्ति को ‘अपना बनाने की चाल’ चली गई।