राज्यसभा चुनाव: हरियाणा इंक चेंज कांड फिर चर्चा में, जानें कैसे बिगड़े कांग्रेस के समीकरण

राजस्थान (Rajasthan Rajya sabha Elections) की चार राज्यसभा सीटों के लिए होने वाले चुनाव में प्रत्याशियों ने मंगलवार सुबह नामांकन दाखिल कर दिए। कांग्रेस की ओर से मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी ने नामांकन भरे। BJP से घनश्याम तिवाड़ी और बिजनेसमैन सुभाष चंद्रा(Subhash Chandra) ने BJP समर्थित उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा। दरअसल सुभाष चंद्रा हरियाणा से निर्दलीय राज्यसभा सांसद हैं, अब उनका टर्म पूरा हो रहा है। हरियाणा में नंबर गेम इस बार पक्ष में नहीं होने के कारण सुभाष चंद्रा ने राजस्थान से BJP से राज्यसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है। मौजूदा ​संख्या बल के हिसाब से BJP एक सीट पर जीत रही है। दूसरी सीट के लिए उसे 11 वोट चाहिए। BJP ने घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। सुभाष चंद्रा भी मैदान में है, वे कांग्रेस-निर्दलीय विधायकों में तोड़फोड़ करके ही जीत सकते हैं, सीधे तौर पर समीकरण पक्ष में नहीं है। BJP के 71 विधायक हैं। एक सीट जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। दो उम्मीदवारों के लिए 82 वोट चाहिए। BJP समर्थक दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए 11 वोट कम पड़ रहे हैं। अगर हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के 3 विधायकों का सपोर्ट BJP को मिलता है तो कुल संख्या 74 हो जाती है। फिर दूसरे उम्मीदवार के लिए 8 वोटों की कमी रहती है। कांग्रेसी खेमे में सेंध लगाकर आठ वोट का प्रबंध करने पर ही BJP समर्थक दूसरा उम्मीदवार जीत सकता है।

मसलन सुभाष चंद्रा के राजस्थान से राज्यसभा के उम्मीदवार बनने से एक बार फिर हरियाणा के पेन चेंज कांड की चर्चा है। 2016 में हरियाणा के राज्यसभा चुनाव में BJP ने निर्दलीय के तौर पर सुभाष चंद्रा को बाहर से समर्थन किया था। कांग्रेस और इनेलो ने सुप्रीम कोर्ट के वकील आरके आनंद को उम्मीदवार बनाया था। संख्या बल सुभाष चंद्रा के पक्ष में नहीं था, लेकिन 14 कांग्रेस विधायकों के वोट गलत पेन यूज करने की वजह से रद्द हो गए थे।