आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी के वर्चस्व की तकरार, किसी आदिवासी को राज्यसभा भेजेगी कांग्रेस?

rajya sabha chunav- कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद ही पार्टी की चिंताए ओर बढ़ती हुई नजर आ रही है।  जिस वागड़ में राहुल गांधी  से लेकर कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने चिंतन किया, वहां राज्यसभा चुनाव से पहले कांग्रेस नेताओं के बीच अंदरूनी झगड़ा अब खुलकर सामने आ गया है। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि तकरार की असली वजह आदिवासी बनाम गैर-आदिवासी का वर्चस्व है । आदिवासी विधायक अब गैर-आदिवासी नेताओं के वर्चस्व से नाराज हैं। कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा और रामलाल मीणा इस मुद्दे पर खुलकर विरोध में आ चुके हैं। राजनीतिक पंडित कहते है कि गणेश घोघरा के नाराज होकर इस्तीफा देने के पीछे इसी वर्चस्व की लड़ाई भी अहम कड़ी हो सकती है।  राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कांग्रेस में आदिवासी इलाके से राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर भी माथापच्ची चल रही है। दरअसल कांग्रेस के आदिवासी नेता राज्यसभा के लिए दावेदारी कर रहे हैं।

दरअसल आदिवासी कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। राजस्थान के  डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और उदयपुर जिलों से पिछले  करीब 30 साल में किसी आदिवासी को कांग्रेस ने राज्यसभा नहीं भेजा। वर्ष 1980 में कांग्रेस ने खेरवाड़ा के धुलेश्वर मीणा को राज्यसभा सांसद बनाया था। तब से अब तक आदिवासी बेल्ट से कांग्रेस से कोई आदिवासी नेता राज्यसभा सांसद नहीं बना। वहीं बीजेपी में मौजूदा समय में वागड़ क्षेत्र से दो राज्यसभा सांसद हैं। पूर्व मंत्री और आदिवासी नेता कनकमल कटारा बीजेपी से राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, डूंगरपुर के पूर्व राजपरिवार के सदस्य हर्षवर्धन सिंह भी बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं।

 

 

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