Electricity crisis: मोदी सरकार संकट को संकट क्यों नहीं मानती?

(Coal Crisis) चीन के बाद अब भारत में भी बिजली संकट (Electricity crisis) गहराता जा रहा है। दिल्ली में ब्लैकआउट की चेतावनी जारी कर दी गई है तो उत्तर प्रदेश में आठ संयंत्र अस्थाई तौर पर ठप हो गए हैं। पंजाब और आंध्र प्रदेश ने पॉवर प्लांट में कोयले की कमी जाहिर की है। केंद्र सरकार ने कहा है की ऊर्जा मंत्रालय के नेतृत्व में सप्ताह में दो बार कोयले के स्टॉक की समीक्षा की जा रही है।

वरिष्ठ पत्रकार गिरिश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार-

2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 के लिए जो सबसे बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया था वह था 2022 तक देशभर में चौबीस घंटे सातो दिन बिजली उपलब्ध कराना ……2022 आने में अब मात्र ढाई महीने बचे है और पूरा देश भयानक बिजली संकट झेल रहा है शहरों में रहने वालों को वास्तविकता का अंदाजा नही है लेकिन देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में भारी बिजली कटौती शुरू हो गई है
यह सरकार इतनी बेशर्म है कि संकट को संकट मानती ही नही है जैसे कोरोना काल मे इन्होंने ऑक्सीजन की कमी को नही माना, चाहे हजारों मौते उसकी वजह से हुई वैसे ही अब भी नही मान रही है ऊर्जा मंत्री RK सिंह कल साफ पलट गए बोले कोई बिजली संकट नही है
पंजाब में तीन, राजस्थान में दो और महाराष्ट्र में 13 थर्मल पावर स्टेशन बंद हो चुके हैं। सभी कोयले की कमी के कारण बंद हुए हैं। उत्तर भारत ही नही बल्कि केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश जैसे दक्षिण भारत के राज्य भी इस समस्या से परेशानी झेल रहे हैं
2015 में जम्मू के रामबन में मोदी ने कहा था कि ‘ 2022 में जब देश आजादी के 75 साल मना रहा होगा तब देश के हर घर को 24 घंटे बिजली मिलेगी । मेरा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि वर्ष 2022 तक पूरे देश में चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध हो।’
2016 में सबको चौबीस घंटे किफायती बिजली उपलब्ध कराने के नाम पर ही मोदी सरकार ने विद्युत दर नीति 2006 में व्यापक संशोधन किया था जिसका परिणाम यह है कि 2014 की अपेक्षा 2021 में बिजली के दाम अत्यधिक बढ़ गए हैं
2014 में जब मोदी सरकार बनी थी तब केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री पियूष गोयल ने दावा किया था आने वाले पांच सालों में हर घर में बिजली होगी। वर्ष 2019 तक देश को बिजली अधिक्य वाला देश बनाने की कोशिश की जा रही हैं।
2019 में तो बकायदा सरकार की तरफ से घोषणा की गयी थी कि देश में एक अप्रैल से चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी. उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली देने की तैयारी विद्युत मंत्रालय की ओर से कर ली गई है.
2019 में बिजली से जुड़े कानून में संशोधन का विधेयक लाया गया इसके अंदर प्रावधान किया गया कि 24 घंटे बिजली का वादा पूरा न करने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगाया जाएगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने उस वक्त कहा था कि तकनीकी खामी या प्राकृतिक आपदा जैसी स्थितियों को छोड़कर बिजली कटौती की अनुमति नहीं होगी। इसका उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर जुर्माना लगेगा।…..
अब आज 2021 की स्थिति देख लीजिए क्या हाल है कोरोना काल मे सरकार ने बिजली का कोई भी बिल चाहे वह घरेलू हो या कमर्शियल माफ नही किया उद्योगपतियों ने व्यापारियों ने बन्द पड़ी फैक्ट्री ओर व्यापारिक प्रतिष्ठान का पूरा बिल भरा है
देश की अधिकांश इण्डस्ट्रीज बिजली ओरिएंटेटड इण्डस्ट्रीज हैं। जैसे आयरन, स्टील, पीवीसी , फार्मास्युटिकल, एग्रो बेस इण्डस्टीज सब बिजली से चलती है एक बार बिजली बंद होती है इनका लाखो करोडो का नुकसान होता है फार्मास्युटिकल्स इण्डस्ट्रीज बेच वाइस चलती है। अगर ट्रिपिंग से एक बेच खराब हुआ तो 1 से 3 लाख रु. तक का बैच खराब हो जाता है।……स्टील इंडस्ट्री में लोहा पिघाला जाता है और यदि बिजली चली जाती है तो उसमें मशीन पर काफी ट्रिपिंग होती है और उसके कारण जो लोहा पिघलाने के लिए गर्मी उत्पन्न होती है वह 700 डिग्री तापमान से घटकर 300 डिग्री पर आ जाती है। इससे उद्योगपतियों को लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है।
बिजली कंपनी एक रुपये की रियायत नही देती। अगर बिजली का बिल लेट हो तो बिजली काट दी जाती है। ऐसे में बिजली कंपनी खुद सर्विस नहीं दे पाती है तो क्या किया जाए। बिजली कंपनी को भी आप क्या रोओगे क्योंकि सरकार ही उसे कोयला उपलब्ध नही करवा पा रही है…….
इतना सारा नुकसान सिर्फ़ ओर सिर्फ मोदी सरकार के मिस मैनेजमेंट से हो रहा है ……..क्या कोई मीडिया चैनल और अखबार राष्ट्रीय स्तर पर मोदी सरकार की नाकामी के बारे में बात भी कर रहा है ?