फोकस भारत। (inside story sachin pilot new strategy ) राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) की नई रणनीति आखिर क्या है। जिससे सत्ता और संगठन में भागीदारी मिले। राजनीतिक विश्लेषक कहते है कि दबाव की राजनीति तो है लेकिन अब उसका चाल और चरित्र बदल गया है। जनाधार वाले लोकप्रिय नेता की छवि का दबाब । ये वो रणनीति है जिसकी सियासी बिसात सूबे बिछ चुकी है बस चाले चलना बाकी है। अब पायलट अपनी जमीनी ताकत का इस्तेमाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और कांग्रेस आलाकमान पर दबाब बनाने के लिए करेंगे। इसी कड़ी में राजस्थान में कोरोना से जिनकी मौतें हुई हैं, पायलट उन परिवारों को सांत्वना देने उनके घर जा रहे है।
जनाधार वाले लोकप्रिय नेता की छवि का दबाब
राजनीतिक पंड़ित कहते है कि सचिन पायलट ने इसकी शुरुआत रविवार से ही कर दी है। दौरे के पहले चरण में वह कांग्रेस पार्टी के उन विधायकों के घर जा रहे हैं जिन्होंने अपनों को खोया है। पायलट रविवार को कठूमर से विधायक बाबूलाल बैरवा और राजगढ़ लक्ष्मणगढ़ से विधायक जौहरीलाल मीणा के घर गए और उनसे मुलाकात की। जौहरीलाल मीणा की पत्नी का निधन हो गया था। वह गहलोत गुट के दोनों ही विधायकों के घर सांत्वना देने गए थे, लेकिन इसके पीछे सियासी मकसद भी छिपा है। कहते है कि राजनीति में कोई भी कदम बेवजह नहीं होता है। दोनों ही विधायक गहलोत सरकार के कामकाज को लेकर खफा बताए जाते हैं। पायलट बसपा से कांग्रेस में आए विधायक दीपचंद खैरिया के तो दफ्तर जा पहुंचे थे । पायलट समर्थकों की रणनीति है कि फील्ड में जनसमस्याओं को लेकर दबाव और अफसरों की घेराबंदी की जाए। राजनीतिक विश्लेषक मानते है कि अब आने वाले दिनों में सचिन पायलट लाव लश्कर के साथ धुआंधार दौरे करते दिखेंगे। पायलट ये जानते हैं कि मौजूदा हालात में सिर्फ पार्टी हाईकमान को दस महीने पूर्व किया वादा याद दिलाकर समर्थकों को सरकार-संगठन में जगह नहीं दिला पाएंगे। जनाधार वाले लोकप्रिय नेता की छवि का दबाब ज्यादा कारगर साबित हो सकता है। पायलट समर्थक इस काम में जुट चुके है।