वर्चुअल के बहाने एक्चुअल को भागने नहीं देंगे : तेजस्वी यादव

  • बिहार चुनाव की तारीखों का एलान इसी महीने संभव
  • वर्चुअल, डिजिटल और एक्चुअल संग्राम
  • तेजस्वी ने नीतीश कुमार से पूछे 10 सवाल  

फोकस भारत। बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान इसी महीने होने की उम्मीद है। कोरोना के चौपट काल में बिहार को साध लेना हर पार्टी के लिए टेढी खीर साबित होगी। बिहार में पहली बार लोग वर्चुअल वादों और डिजिटल सपनों की चुनावी सैर करेंगे। कांग्रेस यहां 10 सितम्बर से डिजिटल प्रचार अभियान की शुरूआत करने जा रही है जबकि नीतीश सरकार वर्चुअल रैलियों के जरिए बिहार में बहार साबित करने की तैयारी करने लगी है।

पलायन और आगमन के बीच झूलता बिहार

बिहार से बड़ी तादाद में लोग रोजी-रोटी के लिए महानगरों की तरफ पलायन करते हैं। लेकिन इस बार कोरोना ने उल्टी गंगा बहा दी। लॉकडाउन के कारण महानगरों से लाखों की तादाद में मजदूरों का पलायन हुआ और वे अपने देहात अंचलों की तरफ लौट गए। ऐसे में बिहार झारखंड और यूपी जैसे राज्यों में बेरोजगारी की दर बढ़ गई है। बिहार में कोरोना के साथ साथ हर साल आने वाली बाढ़ ने तबाही का मंजर पैदा किया है। राज्य का खजाना खाली है और चुनाव सिर पर है, जनता बेहाल है और विपक्ष हमलावर है। ऐसे में कुछ राजनीतिक दलों को सुशांत सिंह राजपूत चुनावी रामबाण सी नजर आती है। अब आप समझ गए होंगे कि क्यों मीडिया लगातार सुशांत की मौत को जिंदा रखे हुए है।

तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर लगाए आरोप

बिहार की राजनीति पर पूरे देश की निगाहें होती हैं। मीडिया के लिए बिहार का चुनाव किसी डिग्री कोर्स से कम नहीं होता। लालू यादव की गिरफ्तारी के बाद हालांकि इस बार कलेवर कुछ फीका है लेकिन बिहार फिर भी राजनीति की पाठशाला के तौर पर ही देखा जाता रहा है। लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार पर रोजगार को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। तीखा सवाल किया है कि बिहार में बेरोजगारी की दर 46.6 फीसद क्यों है? हालांकि इसका जवाब तेजस्वी भी जानते हैं लेकिन चूंकि रोजगार देना राज्य सरकार का फर्ज है लिहाजा विपक्ष के तौर पर सरकार को घेरना भी जरूरी है।

तेजस्वी के तीखे सवाल

तेजस्वी सिर्फ बेरोजगारी दर पर नहीं रुके। उन्होंने नीतीश सरकार पर कई और इल्जाम लगाए। सीधे कहा कि गांधी मैदान में 1 मार्च को जनता ने नीतीश सरकार को नकार दिया था। यह भी कहा कि वर्चुअल के बहाने एक्चुअल मुद्दों को आरजेडी भागने नहीं देगी। गौरतलब है कि पिछले जनादेश के कारण नीतीश कुमार ने लालू की पार्टी आरजेडी के साथ गठबंधन कर लिया था। लालू के दोने बेटे नीतीश सरकार में मंत्री बन गए थे। लेकिन भाजपा ने नित नए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीरीज चला दी। प्रेशर में नीतीश ने गठबंधन तोड़ दिया और भाजपा से मिलकर सत्ता का नया समीकरण बना लिया।

सवाल नंबर 1– 15 साल में नीतीश सरकार रही और बिहार में बेरोजगारी, ग़रीबी, भुखमरी और पलायन के मामले बढ़ते गए, क्यों ?

सवाल नंबर 2– बिहार क्यों बेरोजगारी का केंद्र बन गया, 46.6 फीसदी तक बेरोजगारी क्यों बढ़ गई

सवाल नंबर 3– नीती आयोग के सूचकांकों पर बिहार क्यों पिछड़ता जा रहा है, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सत्तत विकास सूचकांक में बिहार अंतिम पायदान पर कैसे पहुंचा?

सवाल नंबर 4– 15 साल में बिरार में 20 हजार करोड़ से ज्यादा के 58 घोटाले क्यों हुए

सवाल नंबर 5– दलितों पर अपराध का राष्ट्रीय औसत 21.8 फीसदी है, जबकि बिहार में 40.7 फीसदी, बिहार में दलितों पर अत्याचार क्यों बढ़ा ?

सवाल नंबर 6– एनसीआरबी,  नीति आयोग, एनएचएम जैसी संस्थाओं के मुताबिक बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य और क़ानून व्यवस्था की स्थिति बदतर क्यों है?

सवाल नंबर 7– प्रधानमंत्री ने 1 लाख 65 हजार करोड के पैकेज का एलान किया था, कितना पैसा आया, कहां खर्च हुआ, ब्योरा सार्वजनिक करेगी नीतीश सरकार ?

सवाल नंबर 8– बिहार में युवाओं के लिए उद्योग धंधे विकसित क्यों नहीं किए गए ?

सवाल नंबर 9– नीतीश कुमार ने 2013 और 2017 में जनादेश का अपमान क्यों किया, इससे बिहार को क्या फायदा हुआ ?

सवाल नंबर 10– क्या बिहार में एक भी एक दल है जिससे नीतीश कुमार ने स्वार्थ के चलते समझौता और विश्वासघात न किया हो, मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश की नीति, नियम, सिद्धान्त और विचार क्या हैं ?

हालांकि ये सच है कि प्रधानमंत्री मोदी को पानी पी-पीकर गरियाने वाले नीतीश कुमार ने आखिरकार भाजपा का ही दामन थाम लिया। इसके बाद भाजपा को ठेंगा दिखाकर लालू-नीतीश एक बार फिर साथ आ गए। तेजस्वी यादव को डिप्टी सीएम बना दिया गया। लेकिन आरजेडी पर लगे भ्रष्टाचार के लगातार आरोपों के बाद नीतीश ने अचानक गठबंधन तोड़ दिया और फिर से भाजपा के साथ मिलकर सत्ता बचा ली। बिहार की राजनीति में यह उठापटक चलती रहती है। विपक्ष के तौर पर बिहार में तेजस्वी से बड़ा चेहरा मिलना मुश्किल है। उनसे बड़ा राजनीतिक चेहरा फिलहाल सलाखों के पीछे है।

रिपोर्ट- आशीष मिश्रा