- राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र नवाचार प्रेमी
- अभिनव प्रयोगों के लिए जाने जाते हैं कलराज मिश्र
Kalraj Mishra Birthday- फोकस भारत। राजस्थान की राजनीति हाल में आरोप-प्रत्यारोप, सत्ता गिराने-बचाने, गुटबाजी-खेमाबंदी के दौर से गुजरी। ऐसे में राज्यपाल कलराज(Kalraj Mishra) मिश्र ने संवैधानिक पद की शक्ति का प्रदर्शन भी किया और धैर्य बनाए रखते हुए तमाम आक्षेपों का जवाब भी दिया। इस दौरान राज्यपाल का नाम विवाद में घसीटा जरूर गया लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी यह मानते हैं कि कलराज मिश्र पहले के राज्यपालों से एकदम अलग और सशक्त राज्यपाल हैं।
इस लेख का तात्पर्य राज्यपाल कलराज मिश्र का राजनीतिक सफर, उनकी प्रोफाइल, उनके पद और फैसले, उनका राजनीतिक दृष्टिकोण और राज्यपाल के रूप में उनके कथनों को तथ्यात्मक ढंग से इंगित करना बिल्कुल नहीं है। हमारी तुच्छ सी कोशिश है कि हम उस व्यक्ति को भीतर तक जान सकें, जो राज्यपाल जैसे नाममात्र के पद को भी इस वक्त अपने नवाचारों, अपनी सोच, अपनी दृष्टि और अपने कार्यों से विशिष्ट बनाए हुए है। देशभर के तमाम राज्यपालों को कलराज मिश्र से यह प्रेरणा लेने की आवश्यकता तो है ही, साथ ही प्रदेश की जनता को भी यह जानना लाभप्रद है कि राज्यपाल अपने वैचारिक दृष्टिकोण से समाज को किस प्रकार गति और दिशा प्रदान कर सकता है।
सारा किस्सा सोच और नजरिये का है। फिर आप किसी भी पद पर बैठे हों, उसका मूल्यवर्धन अपने आप हो जाता है। प्रदेशवासियों को जानना चाहिए राज्यपाल के उस विचार के बारे में जो उन्होंने 11 जुलाई को ट्वीट के माध्यम से सामाजिक मंच पर रखा-
‘’लोहे को कोई बर्बाद नहीं कर सकता लेकिन उसका खुद का जंग उसे बर्बाद कर देता है। ठीक उसी तरह मनुष्य को कोई नहीं हरा सकता है, पर उसकी स्वयं की सोच ही उसको हरा देती हैं । सकारात्मक रहें, अच्छा सोचें।‘’
अपने राज्यपाल को जानें
- पद- राजस्थान के राज्यपाल
- शपथ- 9 सितम्बर 2019
- पूर्वाधिकारी- कल्याण सिंह
- लोकसभा सदस्य रहे- 2014-2019
- चुनाव क्षेत्र रहा – देवरिया, उत्तरप्रदेश
- जन्मस्थान- सैदपुर, उत्तरप्रदेश
- जन्मतिथि-1 जुलाई 1941
- राजनीतिक दल- भारतीय जनता पार्टी
- जीवनसाथी- सत्यवती मिश्र
- संतान- तीन
संक्षिप्त राजनीतिक परिचय-
कलराज मिश्र भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। राजस्थान का राज्यपाल बनने से पूर्व वे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे व 16वीं लोकसभा में सूक्ष्म व लघु उद्योग मंत्री रहे। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर उत्तरप्रदेश की देवरिया सीट से जीतकर आए। इसके बाद 2017 में उन्होंने चुनावी राजनीति से स्वैच्छिक कार्यमुक्ति ले ली। 9 सितम्बर 2019 को वे राजस्थान के राज्यपाल बने।
राजनीति को अर्थ देते नवाचार –
राज्यपाल कलराज मिश्र जब उत्तरप्रदेश की राजनीति में व्यक्तित्व के तौर पर शीर्ष पर थे तब मुख्यमंत्री पद की फेहरिस्त में उनका नाम अग्रणी तौर पर लिया जाता था। उनका राजनीतिक जीवन सफल और बेदाग रहा। हालांकि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहते हैं और उत्तरप्रदेश जैसे राज्य में सफल राजनीतिक पारी खेल कर स्वैच्छिक रिटायरमेंट लेना ही अपने आप में बड़ी बात है। अब बात करते हैं राज्यपाल के तौर पर कलराज मिश्र के नवाचारों की-
न महामहिम, न गार्ड ऑफ ऑनर
राज्यपाल कलराज मिश्र से पहले गवर्नर रहे कल्याण सिंह ने महामहिम शब्द प्रचलन से हटवाया, उन्होंने ही गार्ड ऑफ ऑनर के रिवाज को भी अनावश्यक करार दिया। राज्यपाल कल्याण सिंह ने पूर्व गवर्नर के फैसलों को तो बनाए ही रखा, बल्कि एक कदम आगे बढ़ते हुए किसी समारोह में राज्यपाल के लिए लगी ऊंची कुर्सी की व्यवस्था खत्म कर दी।
उम्र 80 के पार, सोशल मीडिया पर एक्टिव
राज्यपाल कलराज मिश्र सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हैं। खात तौर पर ट्वीटर के माध्यम से वे अपनी भावनाएं व्यक्त करते रहते हैं। सामाजिक संचार माध्यमों पर भी उनका अनौपचारिक संवाद देखा जा सकता है। कोरोना के दिनों में उनका ये संदेश – ‘आप एकन्त में हैं, अकेले नहीं’ अपने आप में उनके सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है। वे रोजाना सुबह योग और प्राणायाम जरूर करते हैं।
विनम्र राज्यपाल कलराज
कलराज मिश्र को विनम्र विनयशील गवर्नर के तौर पर भी देखा जाता है, वे बहुत एक्टिव रहते हैं और सभी से उनके हालचाल लेते रहते हैं। उनके जन्मदिन पर ट्वीटर पर बधाई देने वालों के हजारों मैसेज आए। वे लगभग सभी को जवाब भी दे रहे थे। आखिर में उन्होंने इस बात को भी मेंशन किया किया कि जिन्हें जवाब नहीं दे पाया उनसे क्षमा चाहता हूं।
पर्यावरण प्रेमी राज्यपाल
राज्यपाल कलराज मिश्र सिर्फ व्याख्यानों में पर्यावरण की चिंता नहीं करते, बल्कि पर्यावरण प्रेम उनके व्यवहार में नजर आता है। अपने जन्मदिन को भी उन्होंने पौधारोपण करके ही मनाया था। वे नई पीढ़ी से लगातार पर्यावरण को संरक्षित करने और संवर्धित करने की अपील करते हैं।
कुलाधिपति राज्यपाल कलराज मिश्र
कुलाधिपति के रूप में उनके नवाचारों से विश्वविद्यालय अवगत ही होंगे। वे कुलाधिपति के रूप में विश्वविद्यालय परिसरों को अपना दूसरा आंगन मानते हैं और प्रोग्रेसिव कार्यक्रमों में रूचि रखते हैं, कोरोना-काल में उन्होंने कुलपतियों को पत्र लिखकर गोद लिए हुए गांवों में कोरोना बचाव और नियंत्रण के उपाय करने का आह्वान किया था। वे शोधार्थियों से कृषि के क्षेत्र में नई खोजें करने को प्रेरित करते हैं।
कोरोना-काल में प्रदेश की चिंता
उन्होंने कोरोना-काल में सरकार पर लगातार नजर रखी हुई है। कई बार अपनी नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं। अच्छा काम होता नजर आता है तो तारीफ भी करते हैं। उनका योगदान सिर्फ नाराजगी या तारीफ तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने प्रवासी उद्योगपतियों से सीधे कहा कि राजभवन को अपना घर समझें आते रहें, दरअसल गवर्नर चाहते हैं कि उद्योगपति कोरोना जैसे संकटकाल में प्रदेश की मदद करें। उन्होंने आगे बढ़कर राहत कोष बनाया और कोरोना-वॉरियर्स के लिए मेडिकल हाईजीन किट का वितरण भी मौजूद रहकर कराया।
यादगार – ऐसा भी हुआ
बात है पिछले साल 2019 की ही है। भाजपा की विजय संकल्प रैली थी। फरीदाबाद में कलराज मिश्र सभा कर रहे थे। सभा के बाद मिश्र के बयान का वीडियो को शेयर करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने आरोपबाज़ी की- लिखा कि भाषण के दौरान में कलराज मिश्र कहा कि ‘ये मेरा प्रदेश होता तो नीचे उतरकर मैं गोली मार देता।‘
इस पर कलराज मिश्र ने उसी सभा का पूरा वीडियो जारी करते हुए दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था-‘ये मेरा प्रदेश होता तो नीचे उतरकर मैं वही बात करता।‘ सुरजेवाला अपने किए पर खूब झेंपे भी। शरमिंदा हुए कि नहीं, इसका नहीं पता।
रिपोर्ट- आशीष मिश्रा